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Subhas Chandra Bose: शाह बोले- मोदी सरकार में हल हुआ OROP मुद्दा, आजादी की जंग का बड़ा तीर्थ है सेलुलर जेल

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Tue, 24 Jan 2023 09:47 AM IST
सार

Subhas Chandra Bose: शाह ने कहा, आज का दिन भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले पूरे विश्व में किसी भी अन्य देश ने राष्ट्र के लिए लड़ने वाले जवानों के नाम पर द्वीपों का नाम रखकर उनकी वीरता को सम्मानित करने का कदम नहीं उठाया है...

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Subhas Chandra Bose: home minister amit Shah said, OROP issue resolved in Modi government
Parakram Diwas: Amit Shah Honours Paramveers - फोटो : Agency
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विस्तार
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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित एक विशेष समारोह में कहा, देश में मोदी सरकार बनने के बाद 'वन रैंक वन पेंशन' का मुद्दा हल हुआ है। गत आठ वर्ष में केंद्र सरकार ने सेना के लिए बहुत सारे कदम उठाए हैं। सेना के एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर में एतिहासिक परिवर्तन किए गए हैं। डिफेंस सिस्टम को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया। तीनों सेनाओं को आधुनिक हथियारों व आधुनिक संचार व्यवस्था से लैस किया गया है। सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर, प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर नामकरण किया है। पीएम ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का अनावरण भी किया।

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शौर्य, पराक्रम के साथ मिलेंगे संस्कार 

नेताजी की 126वीं जयंती को 'पराक्रम दिवस' के तौर पर मनाया गया। पोर्ट ब्लेयर में आयोजित विशेष समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर रिटायर्ड ऑनरेरी कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, सूबेदार मेजर संजय कुमार, नायब सूबेदार बाना सिंह व अन्य जवानों के परिजनों का सम्मान किया। शाह ने कहा, आज का दिन भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले पूरे विश्व में किसी भी अन्य देश ने राष्ट्र के लिए लड़ने वाले जवानों के नाम पर द्वीपों का नाम रखकर उनकी वीरता को सम्मानित करने का कदम नहीं उठाया है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सुभाष द्वीप, जहां स्वतंत्रता आंदोलन के समय नेताजी रहे थे, वहां उनका एक स्मारक बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है। पीएम मोदी द्वारा लिए गए दोनों निर्णय अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की स्वतंत्रता की स्मृतियों को समग्र देश के साथ जोड़ने वाले हैं। इन निर्णयों से युगों-युगों तक भारत की युवा पीढ़ी को देशभक्ति, शोर्य और पराक्रम का संदेश और संस्कार मिलेंगे।

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क्रांतिवीरों को सेलुलर जेल में रखा गया

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, 1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों पर निर्मम अत्याचार करना शुरू किया, तब अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की इस भूमि पर हमारे क्रांतिवीरों को सेलुलर जेल में रखा गया। उस वक्त अनेक कठिन यातनाओं को सहन करने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को इसी भूमि ने मां बनकर सांत्वना देने का काम किया। सेलुलर जेल आजादी की लड़ाई का बहुत बड़ा तीर्थ स्थान है। नेताजी द्वारा आजाद हिंद फौज के प्रयासों से देश को आजाद कराने के कोशिशों में सर्वप्रथम इस हिस्से को स्वतंत्रता प्राप्त करने का सम्मान मिला है। नेताजी ने इसी द्वीप पर पहली बार तिरंगा फहराया था। आजादी की लड़ाई में ध्रुव तारे की भांति चमकने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर सुभाष स्मारक की भी घोषणा की गई है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने माइनस 45 डिग्री तापमान और दुर्गम मौसम में कोलकाता से बर्लिन तक 15000 किलोमीटर की लंबी यात्रा कर देश को आजाद कराने के लिए पहुंचे थे, लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें भुलाने के बहुत प्रयास किए गए।

अमर ज्योति को बीच में ही रोक दिया गया

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, सेलुलर जेल में रहे क्रांतिकारियों की स्मृति में बनने वाली अमर ज्योति को बीच में रोक दिया गया था। नरेंद्र मोदी सरकार ने फिर से ज्योति प्रज्वलित कर युगों-युगों तक उनको श्रद्धांजलि देने का काम किया है। आज मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव तक हमारे सभी पराक्रमी सेनानायकों को स्मृति में संजोने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। सुभाष द्वीप पर नेताजी स्मारक की घोषणा हुई है। इसके अलावा यहां म्यूजियम, पर्यटकों के लिए पोर्ट ब्लेयर और सुभाष द्वीप के बीच में समुंद्र की लहरों का आनंद लेने के लिए रोप-वे, लेजर लाइट एंड साउंड शो और एम्यूज़मेंट पार्क भी बनाया जाएगा। भारत सरकार का प्रयास है कि इस स्मारक को इस तरह से विकसित किया जाए कि आने वाले कई पीढ़ियां स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम से प्रेरणा और संस्कार ले सकें।


सीडीएस जनरल भी पहुंचे अंडमान-निकोबार
सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान भी अंडमान-निकोबार पहुंचे। यहां उन्होंने नेताजी को श्रद्धांजलि दी। बताया गया है कि सीडीएस ने कैंपबेल बे पर एयर फोर्स स्टेशन, और कार्निक एंड इंदिरा पॉइंट, जो कि भारत के दक्षिण में सबसे अंतिम छोर है, वहां तक दर्शन किए।

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