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करूर भगदड़ हादसा: 'मद्रास हाईकोर्ट में कुछ गड़बड़ है', सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Fri, 12 Dec 2025 04:14 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के मद्देनजर कई सवाल उठे। सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि चेन्नई की प्रधान पीठ ने एसआईटी के गठन का आदेश कैसे दिया, जबकि यह मदुरै पीठ के अंतर्गत आता है।

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Supreme Court karur stampede case says something wrong with Madras High Court Vijay TVK Tamil Nadu Government
करूर भगदड़ हादसे पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई - फोटो : ANI
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विस्तार
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करूर भगदड़ मामले में मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की भेजी गई रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टिप्पणी की कि उच्च न्यायालय में 'कुछ गड़बड़' है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और विजय बिश्नोई की पीठ ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट को पक्षकारों के वकीलों के साथ साझा किया जाए और उनसे प्रतिक्रिया मांगी।

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अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके की रैली के दौरान 27 सितंबर को तमिलनाडु में हुई भगदड़ की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की ओर से मामले में हस्तक्षेप करने के तरीके पर सवाल उठाए थे।
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'करूर का इलाका मदुरै पीठ के अधिकार क्षेत्र में फिर...' :सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि चेन्नई स्थित हाई कोर्ट की प्रधान पीठ ने केवल राज्य पुलिस अधिकारियों वाली एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन का निर्देश कैसे दे दिया, जबकि करूर का इलाका मदुरै पीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

13 अक्टूबर को सीबीआई जांच के लिए पारित अंतरिम आदेश में अदालत ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट मांगी थी जिसमें यह बताया गया हो कि चेन्नई पीठ ने इस मामले को कैसे संभाला। रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद गुरुवार को न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने टिप्पणी की, 'हाईकोर्ट में कुछ गड़बड़ चल रही है। हाईकोर्ट में जो हो रहा है वह सही नहीं है।'

राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा, 'हमारे हाईकोर्ट में अदालत के समक्ष आने वाले मुद्दे से संबंधित जो भी बात होती है, उस पर वे आदेश पारित करते हैं।' सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसले में संशोधन की याचिका खारिज कर दी।

सीबीआई जांच की निगरानी के लिए जांच समिति का गठन
सीबीआई जांच का आदेश देने वाले अपने फैसले के अनुच्छेद 33 में 'मूल निवासी' शब्द के प्रयोग के खिलाफ पीठ के सामने मौखिक प्रार्थना की गई। उक्त फैसले के अनुसार जांच की निष्पक्षता के संबंध में पक्षों की चिंताओं को दूर करने के लिए न्यायालय ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। 

न्यायमूर्ति रस्तोगी को समिति के अन्य सदस्यों के रूप में पुलिस महानिरीक्षक के पद से नीचे के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का चयन करने के लिए कहा गया था, जो तमिलनाडु कैडर के हो सकते हैं, लेकिन तमिलनाडु के मूल निवासी नहीं होने चाहिए।

पीठ ने आज अपने फैसले में संशोधन करने से इनकार कर दिया। साथ ही, उसने के.के. रमेश की ओर से दायर एक नई याचिका पर नोटिस जारी किया। तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए वकील विल्सन ने आश्वासन दिया कि राज्य आयोग सीबीआई जांच में हस्तक्षेप नहीं करेगा और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केवल सिफारिशें देने तक ही सीमित रहेगा। हालांकि, पीठ ने न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही अपना अंतरिम आदेश रद्द किया।

विजय की पार्टी ने की सीबीआई से ही जांच कराए जाने की मांग
वहीं, अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी टीवीके ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। करूर भगदड़ मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश को रद्द करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है। टीवीके ने दावा किया है कि राज्य सरकार के हलफनामे में दिए गए कई बयान झूठे और भ्रामक हैं। टीवीके ने कहा कि तमिलनाडु सरकार की याचिका में तथ्यों का अभाव है। टीवीके ने मांग की कि करूर भगदड़ हादसे की जांच सीबीआई से ही कराई जाए। 

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