SC Updates: सीजेआई पर जूता उछालने वाले राकेश किशोर पर SCBA की कार्रवाई, सदस्यता समाप्त की
एससीबीए ने कहा कि किशोर का बेहद अनुचित, अव्यवस्थित और अतिशयोक्ति भरा व्यवहार सीधे तौर पर न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला था। बार एसोसिएशन ने इसे पेशेवर आचार, अदालत की गरिमा और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा का गंभीर उल्लंघन माना है। एससीबीए की कार्यकारी समिति ने बयान जारी कर कहा, "यह घटना अदालत की गरिमा, न्यायिक स्वतंत्रता और बार तथा बेंच के बीच लंबे समय से चले आ रहे आपसी सम्मान और विश्वास पर सीधे प्रहार के समान है। राकेश किशोर का SCBA का सदस्य बने रहना इस संस्था की अपेक्षित गरिमा और अनुशासन के अनुरूप नहीं है।"
बार काउंसिल पहले ही रद्द कर चुका है किशोर का लाइसेंस
इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने किशोर का बार लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। काउंसिल ने इस कदम को न्यायिक प्रक्रिया की सुरक्षा और पेशेवर आचार के पालन के लिए जरूरी करार दिया था।
2022 से पहले भ्रूण फ्रीज, तो सरोगेसी कानून से छूट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2021 के सरोगेसी कानून के तहत आयु प्रतिबंध उन दंपतियों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने 25 जनवरी, 2022 यानी कानून के प्रभावी होने से पहले भ्रूण को फ्रीज करने जैसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। शीर्ष अदालत ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के प्रावधान पर विचार करते हुए यह आदेश दिया। इच्छुक जोड़े को अब पात्रता प्रमाणपत्र देना होगा, जो यह साबित करता हो कि वह विवाहित हैं और प्रमाणीकरण के दिन महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सरोगेसी अधिनियम 25 जनवरी, 2022 से लागू हुआ। इससे पहले सरोगेसी के इच्छुक दंपतियों पर आयु प्रतिबंध का कोई बाध्यकारी कानून नहीं था। पीठ ने कहा, जब दंपती ने सरोगेसी का प्रयोग शुरू कर दिया और उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है, तो सरकार को दंपती की प्रजनन क्षमता पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। शीर्ष कोर्ट तीन दंपतियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आयु सीमा को चुनौती दी थी।
पीठ ने कहा, अधिनियम की धारा 4(3)(सी)(आई) पूर्वव्यापी प्रभाव वाली नहीं है। इसलिए यदि कानून लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की है और भ्रूण फ्रीज करने के चरण में हैं। साथ ही, भ्रूण सरोगेट मां के गर्भाशय में स्थानांतरित करने की अवस्था है, तो आयु प्रतिबंध लागू नहीं होगा। पीठ ने कहा, यह साफ करना उपयोगी है कि कानून उन दंपतियों पर कोई आयु प्रतिबंध नहीं लगाता, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना व बच्चे पैदा करना चाहते हैं। ब्यूरो
संसद के विवेक पर सवाल नहीं
पीठ ने कहा, यह फैसला केवल उन दंपतियों तक ही सीमित है, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले प्रक्रिया शुरू की थी और अब इसे जारी रखना चाहते हैं। कोर्ट अधिनियम के तहत आयु सीमा या इसकी वैधता तय करने के संसद के विवेक पर सवाल नहीं उठा रहा।