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SC: शराब की दुकानों में खरीदारों की उम्र जांच के लिए ठोस नीति की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 11 Nov 2024 05:55 PM IST
सार

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच के सामने पेश हुई इस याचिका में शराब की घर पर डिलीवरी का भी विरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे कम उम्र के लोगों में शराब का उपभोग करने की आदत में बढ़ोतरी होगी। 

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Supreme Court notice to Centre on plea for robust policy for age check at liquor sale points news and updates
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शराब की दुकानों में खरीदारों की उम्र की जांच की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, याचिका में कहा गया है कि शराब खरीदने के लिए जाने वाले लोगों की उम्र की सीमा तय है और इसलिए इससे जुड़े नियम सख्ती से लागू होने चाहिए। याचिका में शराब की दुकानों में उम्र की जांच के लिए एक ठोस नीति भी बनाई जानी चाहिए।
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याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों की आबकारी नीति में उम्र को लेकर कानून हैं। इसके तहत एक तय उम्र तक लोगों का शराब लेना अवैध है। लेकिन शराब की दुकानों में इसे लेने जाने वालों की उम्र की जांच के लिए ठोस प्रणाली नहीं है। 
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जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच के सामने पेश हुई इस याचिका में शराब की घर पर डिलीवरी का भी विरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे कम उम्र के लोगों में शराब का उपभोग करने की आदत में बढ़ोतरी होगी। एनजीओ कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग के वकील ने दलील दी कि शराब की दुकानों, बार, पब, आदि में लोगों की उम्र की जांच के लिए प्रणाली या व्यवस्था नहीं है। इसलिए एक मजबूत नीति शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं को कम करेगी और कम उम्र के लोगों को शराब की पहुंच से दूर रखेगी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि जो लोग नाबालिगों को शराब बेचते हैं, शराब परोसते हैं या मुहैया कराते हैं, उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों के प्रावधान होने चाहिए। इस याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उत्तरदाता बनाने की मांग की गई है। 

याचिकाकर्ताओं की मांग पर बेंच ने कहा कि वह इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब तलब करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘नोटिस प्रतिवादी संख्या एक (भारत संघ) तक सीमित रखा जाए।’’ मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी।

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