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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार, सीबीआई और अनिल अंबानी को भेजा नोटिस; बैंकिंग धोखाधड़ी का आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Tue, 18 Nov 2025 12:51 PM IST
सार

प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले समूह की कंपनियों में बड़े पैमाने पर बैंकिंग और कॉरपोरेट घोटाला हुआ है, जिसमें बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं, लेकिन इस एंगल से केंद्रीय एजेंसियां जांच नहीं कर रही हैं।

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Supreme court notices to Centre CBI ED Anil Ambani on PIL alleging massive banking corporate fraud
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार, सीबीआई, ईडी और उद्योगपति अनिल अंबानी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया, जिसमें दावा किया गया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और इसकी समूह कंपनियों और प्रमोटरों ने बड़े पैमाने पर बैंकिंग और कॉरपोरेट धोखाधड़ी की है। याचिका में अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। 
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नोटिस का जवाब देने के लिए दिया तीन हफ्ते का समय
जनहित याचिका पूर्व केंद्रीय सचिव ईएएस सरमा ने दायर की है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण अदालत में पेश हुए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद  चंद्रन की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की और तीन हफ्ते में नोटिस का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अब पीठ तीन हफ्ते बाद याचिका पर फिर से सुनवाई करेगी। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले समूह की कंपनियों में बड़े पैमाने पर बैंकिंग और कॉरपोरेट घोटाला हुआ है, जिसमें बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं, लेकिन इस एंगल से केंद्रीय एजेंसियां जांच नहीं कर रही हैं। 
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याचिका में लगाए गए हैं ये आरोप
प्रशांत भूषण ने सीबीआई और ईडी से जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की मांग की। याचिका में आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी समूह की कंपनियों में व्यवस्थागत तरीके से सार्वजनिक धन का डायवर्जन किया गया, वित्तीय दस्तावेजों में हेरा-फेरी की गई। इसमें कहा गया है कि 21 अगस्त को सीबीआई और ईडी ने जो कार्रवाई की, वह एक बड़े घोटाले का छोटा सा हिस्सा है। फोरेंसिक ऑडिट में कई गंभीर गड़बड़ियों का पता चला है, लेकिन जांच एजेंसियां इस गड़बड़ी में बैंक अधिकारियों, ऑडिटर्स की जांच नहीं कर रही हैं। याचिका में कहा गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी व्यवस्थागत खामियों और फंड के डायवर्जन की बात मानी थी। 

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