Supreme Court: 'उपभोक्ताओं की शिकायत पर कार्रवाई सुनिश्चित हो', दवा कंपनियों के गलत व्यवहार पर 'सुप्रीम' फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को दवा कंपनियों की अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का आसान और प्रभावी तंत्र बनाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि गलत आचरण करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आचार संहिता का हवाला दिया, लेकिन पीठ ने उपभोक्ता संरक्षण पर जोर दिया।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को दवा कंपनियों के अनैतिक तौर-तरीकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का उपयुक्त तंत्र बनाना चाहिए। ताकि, उनके शिकार बनने वाले उपभोक्ता सुविधाजनक तरीके से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। शीर्ष कोर्ट ने साथ ही कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गलती करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मांग की गई है कि दवा विपणन प्रथाओं की आचार संहिता के जरिये दवा कंपनियों की कथित अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगाया जाए।
केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि सरकार ने दवाओं के मूल्य निर्धारण को सीमित करने और ऐसी गतिविधियों को विनियमित करने के उद्देश्य से कई नीतियां बनाई हैं। उन्होंने फार्मास्युटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी), 2024 संबंधी आचार संहिता का हवाला दिया, जो दवा कंपनियों को स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों या उनके परिवार के सदस्यों को उपहार और यात्रा सुविधाएं देने से रोकती है।
इस पर पीठ ने कहा, जब आप एक समान आचार संहिता लाए हैं तो उसमें ऐसे उपाय क्यों नहीं होने चाहिए जिससे उपभोक्ताओं के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने और यह सुनिश्चित करने का एक सुविधाजनक तंत्र हो कि गलत आचरण करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
यूसीपीएमपी के तहत शिकायत दर्ज करने और दंड की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए नटराज ने कहा कि इस संबंध में एक स्वतंत्र पोर्टल लाया जा सकता है। उन्होंने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 का भी उल्लेख किया, जो औषधियों के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को नियंत्रित करता है। पीठ ने कहा कि यूसीपीएमपी के तहत प्रक्रिया इतनी मजबूत होनी चाहिए कि धोखाधड़ी के शिकार हर व्यक्ति या उपभोक्ता की उस तक पहुंच हो। मूल्य निर्धारण के पहलू पर नटराज ने कहा कि इसके लिए एक अलग तंत्र और विनियमन मौजूद है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि यूसीपीएमपी 2024 केवल एक स्वैच्छिक संहिता है। पीठ ने नटराज से कहा कि वे इस बारे में निर्देश प्राप्त करें कि क्या सरकार की ओर से इन गतिविधियों की देखभाल के लिए कोई वैधानिक व्यवस्था लाने के लिए कोई कदम उठाया गया है। पीठ ने पारिख से याचिका में उठाए गए मुद्दों पर सुझाव देने को भी कहा। पीठ ने कहा कि विधि अधिकारी सुझावों पर निर्देश प्राप्त कर सकते हैं और मामले की सुनवाई 16 दिसंबर तक स्थगित कर दी।