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तकनीक ने बदला युद्ध का मैदान, सैन्य अफसरों के आदेश पर युद्ध लड़ेंगे रोबोट और फ्लाइंग मशीनें

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 11 Feb 2021 11:59 AM IST
सार

  • भारत ने तेजी से बढ़ाए इस क्षेत्र में कदम, भारतीय कंपनियां ईजाद कर रही हैं नई तकनीकें
  • चीन की तकनीक को टक्कर देने की तैयारी
  • अमेरिका ने खोले रोबोटिक वॉरफेयर के रास्ते

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Technology changes the battlefield, robots and flying machines will fight on the orders of military officers
Indian Army carried out a live demonstration of Drone Swarming capability using 75 indigenously designed & developed drones - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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सूचना प्रौद्योगिकी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इजीनियरिंग के तमाम क्षेत्रों ने मिलकर आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के मामले में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की तरफ कदम बढ़ा दिया है। सैन्य अधिकारियों और आंतरिक सुरक्षा के सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में सैन्य अफसरों की कमांड पर मशीनें युद्ध करेंगी। रोबोट सैनिक दुश्मन को चकमा देगा और उसका साथी रोबोट दुश्मन का खात्मा कर देगा।

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इतना ही नहीं मशीन उड़ेंगी और दुश्मन पर आत्मघाती हमला करेंगी, धुएं, राख के अलावा कुछ नहीं बचेगा। सूत्र बताते हैं कि चीन, पाकिस्तान के मोर्चे पर भावी चुनौतियों को देखते हुए समुद्री सीमा की रखवाली से लेकर जमीन और आकाश की सुरक्षा के लिए भारत इस प्रणाली को तेजी से विकसित करने में जुट गया है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब पहली बार अमेरिका के दौरे पर गए थे तो उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े कुछ युवाओं को प्रेरणा देते हुए उनमें से कुछ को देश में अपना योगदान देने के लिए आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री की यह मुहिम रंग ला रही है। हर्षा किक्केरी भी इनमें से एक हैं। हर्षा न केवल भारत लौटे बल्कि मैसूर में एक महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की। रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि हर्षा किक्केरी जैसे तमाम आईटी एक्सपर्ट मॉडर्न वॉरफेयर की दिशा में काफी काम कर रहे हैं।

ऐसे रोबोट सिस्टम की परिकल्पना की जा रही है, जो न केवल आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में मोर्चा संभालेगा, बल्कि सीमाओं की निगरानी, सुरक्षा और सैन्य अभियान में भी अपना योगदान देगा। मॉडर्न वॉरफेयर पर काम कर रहे सूत्रों का कहना है कि इसमें काफी हद तक सफलता मिल रही है और अगले कुछ सालों में भारत इस तरह की कारगर तकनीक हासिल करने वाले देशों में शुमार हो जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे दुश्मनों से निपटने के अभियानों का बड़ा हिस्सा बन जाएगी।

Technology changes the battlefield, robots and flying machines will fight on the orders of military officers
swarm of 75 drones destroying a variety of simulated targets in explosive kamikaze attacks for the first time. on Indian Army Day - फोटो : Amar Ujala

ड्रोन फाइटिंग तकनीक में भी टक्कर देने की तैयारी

ड्रोन (मानव रहित विमान) निगरानी और युद्धपद्धति में भी भारतीय वैज्ञानिक टक्कर देने की तैयारी में हैं। एरोस्पेस वॉरफेयर स्टडीज के सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ सालों में काफी कुछ तेजी से बदलने वाला है। सूत्र का कहना है कि पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर चौकसी एक बड़ी चुनौती बनी है। वैज्ञानिक इसे भी ध्यान में रखकर काफी कुछ कर रहे हैं।

15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के अवसर पर सशस्त्र सेना ने ड्रोन तकनीक की एक झलक दिखाई थी। सूत्र का कहना था यह प्रदर्शनी केवल एक झांकी भर थी। वह दावे के साथ कह सकते हैं कि आने वाले सालों में भारत इस क्षेत्र में काफी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा। कई तरह के ड्रोन पर काम चल रहा है। सिविलियन ड्रोन पर भी काफी चल रहा है और आंतरिक सुरक्षा से लेकर यातायात, प्राकृतिक आपदा समेत हर क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाएगा।

अभी अमेरिका, चीन और इस्राइल हैं काफी आगे

कर्नल (रिटा.) एके शर्मा मॉडर्न वॉरफेयर पर काफी काम कर रहे हैं। कर्नल का कहना है कि अमेरिका, इस्राइल, रूस और यूरोपीय देशों की रक्षा कंपनियां इस क्षेत्र में तेजी से काम कर रही हैं। इसके साथ-साथ चीन ने भी बड़ी सफलता हासिल की है। ड्रोन तकनीक के मामले में चीन की प्रौद्योगिकी भी काफी उन्नत है। शर्मा के मुताबिक अमेरिकी ड्रोन दुश्मन को ठिकाने लगाने में कई बड़े आपरेशन को अंजाम दे चुके हैं। इसके साथ-साथ चीन ने भी फाइटिंग कैपेबिलिटी ड्रोन, सिविलियन ड्रोन में अपनी क्षमता को काफी बढ़ा लिया है। सिविलियन ड्रोन में उसने काफी बड़ी हिस्सेदारी भी हासिल कर ली है।

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