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Telangana Polls: 'कांग्रेस को हटाने होंगे विज्ञापन, EC ने मांगा जवाब'; सिद्धारमैया सरकार पर MCC तोड़ने के आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 27 Nov 2023 10:40 PM IST
सार
तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के लिए वोटिंग 30 नवंबर को होनी है। भाजपा-कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीआरएस चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रही हैं। इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है। चुनाव आयोग ने जवाब मांगा है।
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (फाइल)
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला सामने आया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का विज्ञापन दिखाने पर रोक लगाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना से सटे प्रदेश कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। चुनाव प्रचार और सियासी सरगर्मियों के बीच सिद्धारमैया और कांग्रेस सरकार पर तेलंगाना चुनाव 2023 के दौरान प्रचार के लिए गलत तरीके से कांग्रेस सरकार की योजनाओं का विज्ञापन करने का आरोप लगा है। अब निर्वाचन आयोग ने कहा है कि अखबारों से उन विज्ञापनों को हटाना होगा, क्योंकि इनसे आदर्श आचार संहिता (MCC) का उल्लंघन होता है।
विज्ञापन पर रोक का फरमान
दरअसल, निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव ने 27 नवंबर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कर्नाटक सरकार को तेलंगाना में विज्ञापन जारी कर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन पाया है। आयोग ने 28 नवंबर शाम 5 बजे तक स्पष्टीकरण भी मांगा है। आयोग का कहना है कि तेलंगाना में कर्नाटक सरकार के ऐसे किसी भी विज्ञापन का प्रकाशन तत्काल प्रभाव से रोका जाएगा। रोक तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि सरकार आदर्श आचार संहिता के निर्देशों के अनुसार आयोग से आवश्यक मंजूरी नहीं ले लेती।
30 नवंबर को मतदान; प्रचार में पूरी ताकत झोंकी
दरअसल, तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश की 119 विधानसभा सीटों पर वोटिंग 30 नवंबर को होनी है। मतदान से पहले विपक्षी पार्टियां- भाजपा-कांग्रेस और तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) जमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं। वोटरों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक रही तमाम पार्टियों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है। आयोग ने कर्नाटक सरकार के विज्ञापन को आपत्तिजनक माना है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है। चुनाव आयोग ने जवाब मांगा है।
सूचना विभाग के अधिकारी पर कार्रवाई?
निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में दैनिक समाचार पत्रों में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आयोग का फैसला बीजेपी और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी की तरफ से दर्ज शिकायत पर आया है। कर्नाटक सरकार के प्रधान सचिव को बुधवार शाम 5 बजे तक जवाब देना होगा। आयोग ने पूछा गया है कि तेलंगाना में लागू आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर सूचना विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
कांग्रेस के खिलाफ भाजपा और बीआरएस की शिकायत
बता दें कि तेलंगाना चुनाव के लिए भाजपा ने अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना के साथ गठबंधन किया है। कर्नाटक सरकार के विज्ञापन पर बीजेपी और बीआरएस ने आरोप लगाया कि कांग्रेस चुनावों को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रही है।
बता दें कि आयोग ने तेलंगाना सरकार के एक मंत्री की सार्वजनिक घोषणा पर भी सख्ती दिखाई थी। चुनाव आयोग ने तेलंगाना सरकार को रायथु बंधु योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति वापस ले ली थी। चुनाव आयोग ने इसे आदर्श संहिता का उल्लंघन माना था। आयोग ने कहा था कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इस योजना के तहत कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया जा सकता।
चुनाव से पहले आयोग के फैसले को बीआरएस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिशों में जुटी बीआरएस का दावा है कि भाजपा-कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। बता दें कि 30 नवंबर को मतदान के बाद वोटों की गिनती रविवार, 3 दिसंबर को होगी। तेलंगाना के अलावा चार अन्य राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में भी वोटों की गिनती होगी।
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विज्ञापन पर रोक का फरमान
दरअसल, निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव ने 27 नवंबर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कर्नाटक सरकार को तेलंगाना में विज्ञापन जारी कर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन पाया है। आयोग ने 28 नवंबर शाम 5 बजे तक स्पष्टीकरण भी मांगा है। आयोग का कहना है कि तेलंगाना में कर्नाटक सरकार के ऐसे किसी भी विज्ञापन का प्रकाशन तत्काल प्रभाव से रोका जाएगा। रोक तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि सरकार आदर्श आचार संहिता के निर्देशों के अनुसार आयोग से आवश्यक मंजूरी नहीं ले लेती।
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30 नवंबर को मतदान; प्रचार में पूरी ताकत झोंकी
दरअसल, तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश की 119 विधानसभा सीटों पर वोटिंग 30 नवंबर को होनी है। मतदान से पहले विपक्षी पार्टियां- भाजपा-कांग्रेस और तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) जमकर चुनाव प्रचार कर रही हैं। वोटरों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक रही तमाम पार्टियों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है। आयोग ने कर्नाटक सरकार के विज्ञापन को आपत्तिजनक माना है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है। चुनाव आयोग ने जवाब मांगा है।
सूचना विभाग के अधिकारी पर कार्रवाई?
निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में दैनिक समाचार पत्रों में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आयोग का फैसला बीजेपी और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी की तरफ से दर्ज शिकायत पर आया है। कर्नाटक सरकार के प्रधान सचिव को बुधवार शाम 5 बजे तक जवाब देना होगा। आयोग ने पूछा गया है कि तेलंगाना में लागू आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर सूचना विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
कांग्रेस के खिलाफ भाजपा और बीआरएस की शिकायत
बता दें कि तेलंगाना चुनाव के लिए भाजपा ने अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना के साथ गठबंधन किया है। कर्नाटक सरकार के विज्ञापन पर बीजेपी और बीआरएस ने आरोप लगाया कि कांग्रेस चुनावों को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रही है।
बता दें कि आयोग ने तेलंगाना सरकार के एक मंत्री की सार्वजनिक घोषणा पर भी सख्ती दिखाई थी। चुनाव आयोग ने तेलंगाना सरकार को रायथु बंधु योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति वापस ले ली थी। चुनाव आयोग ने इसे आदर्श संहिता का उल्लंघन माना था। आयोग ने कहा था कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इस योजना के तहत कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया जा सकता।
चुनाव से पहले आयोग के फैसले को बीआरएस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिशों में जुटी बीआरएस का दावा है कि भाजपा-कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। बता दें कि 30 नवंबर को मतदान के बाद वोटों की गिनती रविवार, 3 दिसंबर को होगी। तेलंगाना के अलावा चार अन्य राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में भी वोटों की गिनती होगी।