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Telangana: पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर सीएम रेवंत रेड्डी और बीआरएस आमने-सामने, विधानसभा में हुई गरमा गरम बहस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sun, 31 Aug 2025 03:19 PM IST
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सार

तेलंगाना विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और बीआरएस नेता केटीआर में जमकर बहस हुई। रेवंत रेड्डी ने बीआरएस पर पिछड़ों के सशक्तिकरण का विरोध करने और अध्यादेश रोकने का आरोप लगाया। वहीं, केटीआर ने पलटवार करते हुए कहा कि सीएम अगर गंभीर हैं तो दिल्ली में भूख हड़ताल करें।

Telangana CM Revanth Reddy BRS face to face on reservation for backward classes heated debate in  assembly
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी - फोटो : ANI
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तेलंगाना विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री रेवन्त रेड्डी और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (केटीआर) के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। मुद्दा था पिछड़ा वर्ग आरक्षण और बीआरएस की भूमिका। मुख्यमंत्री ने बीआरएस पर गंभीर आरोप लगाए कि वह पिछड़े लोगों के सशक्तिकरण के खिलाफ रही है, वहीं बीआरएस ने सरकार पर चुनौती दी कि वह पिछड़े वर्ग के लिए बिल पास कराने के लिए सच्चा संघर्ष दिखाए।
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मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में कहा कि बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पिछड़ाे लोगों के सशक्तिकरण के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछड़ा आरक्षण को लेकर बड़ा धरना हुआ, तब बीआरएस ने उसका समर्थन नहीं किया। रेवंत रेड्डी ने कहा कि यह साफ सबूत था कि बीआरएस को पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ाने में कोई ईमानदारी नहीं है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि बीआरएस ने राज्यपाल पर दबाव डालकर पिछड़े वर्ग के आरक्षण अध्यादेश को रोका।
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पिछड़ा वर्ग के समर्थन का दावा
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह भी कहा कि जनता पहले ही बीआरएस के खिलाफ जनादेश दे चुकी है। उन्होंने दोहराया कि सरकार पिछड़ा समुदाय के अधिकारों को लेकर गंभीर है और इस बार उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर प्रयास करेगी। रेवंत रेड्डी का कहना था कि बीआरएस सिर्फ दिखावे की राजनीति करती रही है, जबकि जमीनी स्तर पर उसने पिछड़ा वर्ग को कभी वास्तविक शक्ति नहीं दी।

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बीआरएस का पलटवार
मुख्यमंत्री के आरोपों पर बीआरएस नेता केटीआर ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर रेवंत रेड्डी सचमुच पिछड़ा वर्ग के लिए प्रतिबद्ध हैं तो उन्हें दिल्ली के जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करनी चाहिए, जब तक कि पिछड़ा बिल पास न हो जाए। केटीआर ने कहा कि यह सिर्फ बैठकों और नियुक्तियों का मामला नहीं है, बल्कि असली समर्पण दिखाने का समय है। उन्होंने रेवन्त रेड्डी को याद दिलाया कि जिस तरह केसीआर दिल्ली गए थे और घोषणा की थी कि वह तेलंगाना के गठन तक वापस नहीं लौटेंगे, उसी तरह मौजूदा मुख्यमंत्री को भी दिल्ली में डटे रहना चाहिए।

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पिछड़े लोगों की नीति का इतिहास गिनाया
केटीआर ने विधानसभा में यह भी याद दिलाया कि 2004 में केसीआर पहले नेता थे जिन्होंने देश में अलग से ओबीसी कल्याण मंत्रालय की मांग की थी। पार्टी गठन के बाद उन्होंने पिछड़े समुदाय के लिए एक व्यापक नीति भी पेश की थी। बीआरएस नेता ने कहा कि विधानसभा में उनकी पार्टी ने जाति जनगणना और विधानमंडलों में ओबीसी आरक्षण की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किए थे और उन्हें केंद्र सरकार को भेजा था। उन्होंने दावा किया कि जब भी बीआरएस को मौका मिला, उसने पिछड़ा और कमजोर वर्गों को न्याय देने का काम किया।


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