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रेवंत रेड्डी का पिछड़ों को तोहफा: अब स्थानीय निकायों में मिलेगा 42% आरक्षण; राष्ट्रपति की मंजूरी पर टिकी नजर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद Published by: हिमांशु चंदेल Updated Fri, 26 Sep 2025 10:19 PM IST
सार

तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश जारी किया। पहले यह कोटा 23 प्रतिशत था। सरकार ने कहा कि यह फैसला संवैधानिक प्रावधान और सर्वेक्षण के आधार पर लिया गया है। विधानसभा पहले ही विधेयक पारित कर चुकी है, जो राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भाजपा पर ओबीसी विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया था।

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Telangana government big decision to give 42% reservation to backward classes in local bodies
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी - फोटो : एक्स@revanth_anumula
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विस्तार
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तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया है। शुक्रवार को जारी आदेश के साथ सरकार ने अपना चुनावी वादा निभाया। यह कदम प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है क्योंकि अब पंचायतों और अन्य निकायों में पिछड़ों की हिस्सेदारी सीधे तौर पर बढ़ेगी।
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सरकार ने अपने आदेश में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 243(D)(6) राज्य को अधिकार देता है कि वह पंचायतों में सीटों और पदों पर पिछड़ों को आरक्षण दे। इसी आधार पर यह आदेश लागू किया गया। सरकार का कहना है कि यह फैसला सामाजिक न्याय और समान भागीदारी को मजबूत करेगा।
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सर्वे और आयोग की सिफारिश
तेलंगाना सरकार ने ‘सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जातीय सर्वेक्षण’ कराया था। इस सर्वे ने पिछड़े वर्गों की वास्तविक स्थिति को उजागर किया। एक विशेष आयोग ने सर्वे और अन्य आंकड़ों का अध्ययन कर कम से कम 42 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी।

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पिछड़े वर्गों की स्थिति
सरकार ने माना कि पिछड़ों की आबादी अधिक होने के बावजूद उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर्याप्त रूप से नहीं मिला। उनके सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को देखते हुए आरक्षण की सीमा बढ़ाना आवश्यक था। पहले उन्हें केवल 23 प्रतिशत आरक्षण मिलता था।

कांग्रेस का चुनावी वादा पूरा
इस साल मार्च में विधानसभा ने शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में 42 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया था। यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने छह अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देकर केंद्र सरकार पर अड़चन पैदा करने का आरोप लगाया था और भाजपा को “एंटी-ओबीसी” बताया था।

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संवैधानिक दृष्टि से मजबूत

सरकार ने अपने आदेश में कहा कि यह फैसला न केवल संवैधानिक अधिकारों के तहत है, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में भी एक जरूरी कदम है। आदेश में कहा गया कि पिछड़े वर्गों की बहुआयामी पिछड़ेपन की स्थिति को देखते हुए आरक्षण बढ़ाना अनिवार्य है।

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