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दुनिया के 70 फीसदी खिलौनों पर चीन का वर्चस्व, भारत की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Tanuja Yadav Updated Sun, 06 Sep 2020 10:35 AM IST
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Toy Industry in India 70 percent toys are made in China and PM modi encourages domestic industry
भारत में विदेशी खिलौना बाजार - फोटो : iStock

बच्चों के लिए खिलौना बाजार को बढ़ावा देने और विदेशी खिलौनों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मन की बात में देश को खिलौना हब बनाने की बात कही। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में जो खिलौने बिकते हैं, उसमें 65-75 फीसदी हिस्सेदारी अकेले चीन की होती है।


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आईबीआईएस वर्ल्ड की रिपोर्ट की माने तो दुनिया के 70 फीसदी खिलौने चीन के बने होते हैं, इसलिए चीन का भारत ही नहीं बल्कि दुनिया पर दबदबा है। हालांकि भारत की हिस्सेदारी 0.5 है, जो कि बहुत कम है। चीन का वर्चस्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि उसने खिलौना निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अलग नीति बनाई है।

इस नीति के तहत चीन में 14 प्लग इन टॉय सेंटर बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर जाकर कोई भी व्यापारी अपना व्यापार शुरू कर सकता है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से पिछले कुछ सालों में ऐसे कदम उठाए गए हैं, जो खिलौना बनाने वाली कंपनियों के लिए बाधा का काम करते हैं। 

सरकार ने लकड़ी के खिलौने पर जीएसटी 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी और बैटरी या लाइट से चलने वाले खिलौने पर जीएसटी 18 फीसदी कर दिया है। हालांकि खिलौना बाजार को लेकर एक खुशखबरी यह है कि मुकेश अंबानी ने साल 2019 में ब्रिटेन की खिलौना कंपनी हैमलेज को खरीद लिया है, इस कंपनी 18 देशों में 167 स्टोर हैं।

भारत में चीन खिलौने के बाजार की बात करें तो भारतीय बाजार के 100 फीसदी में से 25 फीसदी खिलौने स्वदेशी हैं लेकिन 75 फीसदी विदेशी हैं, जिसमें अकेले 70 फीसदी खिलौनो का माल चीन से आता है। भारत थाइलैंड, जर्मनी और कोरिया से भी माल लेता है। 

स्टैटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में खिलौना बाजार का व्यापार 6.64 लाख करोड़ रुपये का है। चीन के करीब 58 फीसदी खिलौने अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में जाते हैं। जबकि भारत की हिस्सेदारी केवल 0.5 फीसदी है। टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रवक्ता सुनील नंदा कहते हैं कि भारत तीन कारणों की वजह से चीन से इस मामले में पिछड़ा हुआ है।

  • चीन इंडस्ट्रलाइजेशन में भारत से 25 साल आगे है
  • चीन दुनिया को ध्यान में रखकर खिलौने बनाता है, सरकार से सब्सिडी मिलती है
  • भारत का व्यापार संतुलन खराब है, भारत निर्यात से ज्यादा आयात करता है

स्वदेशी को बढ़ावा देने और विदेशी खिलौने को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने इस साल फरवरी में खिलौना आयात शुल्क में 200 फीसदी की वृद्धि की। इसके अलावा एक सितंबर से आयात होने वाले खिलौने पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के नियम लागू कर दिए जाएंगे।

ये नियम उन खिलौने पर लागू किए जाएंगे, जो 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बने हो। इन नियमों के तहत आयात किए गए खिलौने की गुणवत्ता की जांच के लिए हर खेप में से कोई भी सैंपल ले लिया जाएगा। अगर खिलौने की गुणवत्ता मापदंड़ो पर नहीं खरी उतरी तो उन्हें या तो नष्ट कर दिया जाएगा या फिर पूरी खेप वापस कर दी जाएगी।

हालांकि विदेशी खिलौने बच्चों के इस्तेमाल के लिए उचित नहीं बताए जाते हैं। उनमें से 67 फीसदी खिलौने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। भारतीय गुणवत्ता परिषद ने साल 2019 में अलग-अलग कैटेगरी के लिए 121 खिलौनों की जांच की गई। इन खिलौनों में प्लास्टिक, लकड़ी, सॉफ्ट टॉय, मेटल से बने खिलौने, इलेक्ट्रिक खिलौने समेत और कई तरह के खिलौनों कोे शामिल किया गया था।

इनमें से 67 खिलौने सुरक्षा मानकों की सभी जांच में असफल हुए, 30 फीसदी प्लास्टिक के खिलौने सुरक्षा के मानकों पर खरे नहीं उतरे और 75 फीसदी इलेक्ट्रिक खिलौने मैकेनिकल स्तर पर फेल हुए।

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