बिना अनुमति पेड़ काटने का मामला: DDA अदालत की अवमानना का दोषी, रिज क्षेत्र में वृक्षारोपण का सुप्रीम निर्देश
Supreme Court: बिना अनुमति पेड़ काटे जाने के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। साथ ही, उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने रिज क्षेत्र में सड़क चौड़ी करने के लिए बिना अनुमति पेड़ काटे जाने के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। साथ ही, उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि, कोर्ट ने माना कि इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। लेकिन पर्यावरण को पहुंची क्षति की भरपाई के लिए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण का निर्देश दिया।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह फैसला उस अवमानना याचिका पर सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पेड़ काटने पर पाबंदी के बावजूद दिल्ली के एलजी और आईएएस अधिकारी सुभाषीश पांडा ने क्रमशः डीडीए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर इन आदेशों का जानबूझकर पालन नहीं किया। शीर्ष कोर्ट ने 21 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि उसे याचिकाओं में कथित अवमानना की गंभीरता को देखना होगा।
कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के लिए डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा को अवमानना नोटिस जारी किया था और उपराज्यपाल एवं डीडीए अध्यक्ष वीके सक्सेना को निर्देश दिया था कि फरवरी 2024 में रिज क्षेत्र में लगभग 1,100 पेड़ों को कथित तौर पर अवैध रूप से गिराने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का विवरण प्रस्तुत करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें। कोर्ट ने इस मामले में सुभाशीष पांडा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी। साथ ही डीडीए अध्यक्ष को भी छूट प्रदान की।
डीडीए अधिकारियों पर लगा जुर्माना
पीठ ने डीडीए अधिकारियों पर जुर्माना लगाता हुए कहा कि मामला गलत प्रशासनिक निर्णय की श्रेणी में आता है, क्योंकि 1996 के एक फैसले के तहत पेड़ों की कटाई से पहले आवश्यक मंजूरी लेना जरूरी था। इन पेड़ों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए काटा गया था। कटाई कथित तौर पर पिछले साल 16 फरवरी को शुरू हुई थी। इससे पहले दायर एक आवेदन किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2024 को डीडीए को 1,051 पेड़ों को काटने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संबंधित आवेदन बहुत अस्पष्ट है।
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शीर्ष अदालत ने डीडीए को रिज क्षेत्र में रहने वाले उन धनी व्यक्तियों पर एकमुश्त शुल्क लगाने को भी कहा, जिन्हें सड़क चौड़ीकरण से लाभ मिला है। कोर्ट ने व्यापक वृक्षारोपण योजना की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया और निर्देश दिया कि वह मार्ग के दोनों ओर वृक्षों का घना आवरण सुनिश्चित करे।
भविष्य में न दोहराई जाए ऐसी चूक
शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अब वनरोपण, सड़क निर्माण, पेड़ों की कटाई या संभावित पारिस्थितिक प्रभाव वाली किसी भी गतिविधि से संबंधित प्रत्येक अधिसूचना या आदेश में इस कोर्ट के समक्ष संबंधित कार्यवाही लंबित होने का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए। यह निर्देश इसलिए दिया जाता है ताकि भविष्य में इस जानकारी के अभाव में ऐसी कोई चूक न दोहराई जाए।
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