उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य कारणों से छोड़ा पद, अब आगे क्या; बीच सत्र में कौन संभालेगा राज्यसभा?
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विस्तार
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए पत्र में धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों को वजह बताया है। उन्होंने कहा कि वे चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए और स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए, भारत के उपराष्ट्रपति पद से, संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अंतर्गत, तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे रहे हैं।उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपनी चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का भी शुक्रिया जताया। उन्होंने आगे कहा, "जब मैं इस प्रतिष्ठित पद को छोड़ रहा हूं, तो मैं भारत के वैश्विक उत्थान और उसकी अद्भुत उपलब्धियों पर गर्व से भर जाता हूं, और उसके उज्ज्वल भविष्य में मेरी पूर्ण आस्था है।"
भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल आमतौर पर शपथग्रहण के बाद से पांच साल की अवधि का होता है। हालांकि, इस दौरान वे कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपना पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, जब उपराष्ट्रपति का पद उनके इस्तीफे, मृत्यु या किसी अन्य कारण से खाली होता है तो इस पद को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना जरूरी होता है। इस चुनाव में जो भी उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए पद संभालेगा।
भारत में जगदीप धनखड़ से पहले सिर्फ तीन उपराष्ट्रपति ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। इनमें एक नाम है देश के तीसरे उपराष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी (वीवी गिरी) का। दूसरा नाम है आर. वेंकटरमण का। जहां वीवी गिरी ने 1969 में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा, वहीं आर. वेंकटरमण ने 1987 में यही किया था। कार्यकाल पूरा न कर पाने वाले उपराष्ट्रपतियों में एक नाम कृष्ण कांत का है, जिनका उपराष्ट्रपति रहते हुए 2002 में निधन हो गया था।
Vice President: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पद से दिया इस्तीफा, स्वास्थ्य का हवाला दिया
1. वीवी गिरी (मई 1967-मई 1969): जब पहली बार किसी ने छोड़ा उपराष्ट्रपति पद
1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद उपराष्ट्रपति पद छोड़ दिया था और राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था। उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में जीत भी मिली थी। हालांकि, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले वे पहले उपराष्ट्रपति थे।
2. कृष्ण कांत (अगस्त 1997-जुलाई 2002): इकलौते उपराष्ट्रपति जिनका कार्यकाल के दौरान हुआ निधन
1997 में उपराष्ट्रपति बनने वाले कृष्ण कांत का 27 जुलाई 2002 को उपराष्ट्रपति रहते हुए दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वे 75 वर्ष के थे। वे भारत के इकलौते उपराष्ट्रपति हैं, जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था।
उपराष्ट्रपति के पास संसद के उच्च सदन- राज्यसभा के सभापति पद की भी जिम्मेदारी होती है। सीधे शब्दों में कहें तो उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। हालांकि, उपराष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में सभापति का पद खाली होने की स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति अस्थायी कार्यकारी सभापति के तौर पर पद संभालते हैं।
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आमतौर पर यह जिम्मेदारी उपसभापति पर तब ही आती है, जब उपराष्ट्रपति या तो राष्ट्रपति की जगह कुछ समय के लिए कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर जिम्मेदारी संभालने लगें या उपराष्ट्रपति किसी कारण से अपने पद से इस्तीफा दे दें। इस स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति तब तक राज्यसभा में कार्यकारी सभापति की भूमिका में रहते हैं, जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता।
उपराष्ट्रपति पद को लेकर आगे क्या होगा?
उपराष्ट्रपति पद खाली होने के बाद अगले उपराष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कराए जाने का प्रावधान है। चुनाव आयोग अब इस पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगा। संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की ओर से गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान होता कैसे है?
संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का जिक्र है। यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है। इसमें वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होती है। आसान शब्दों में इस चुनाव के मतदाता को वरीयता के आधार पर वोट देना होता है। मसलन वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद के उम्मीदवार को एक, दूसरी पसंद को दो और इसी तरह से अन्य प्रत्याशियों के आगे अपनी प्राथमिकता नंबर के तौर पर लिखता है। ये पूरी प्रक्रिया गुप्त मतदान पद्धति से होती है। मतदाता को अपनी वरीयता सिर्फ रोमन अंक के रूप में लिखनी होती है। इसे लिखने के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए खास पेन का इस्तेमाल करना होता है।