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उपराष्ट्रपति चुनाव: साझा उम्मीदवार उतार एकजुटता दिखाना चाहती है कांग्रेस, राहुल संग डिनर पर विपक्ष करेगा मंथन

Himanshu Mishr हिमांशु मिश्र
Updated Mon, 04 Aug 2025 04:45 AM IST
सार

कांग्रेस पार्टी की योजना बिहार या आंध्रप्रदेश के किसी नेता को उम्मीदवार बनाने की है, जिससे भाजपा के दो सबसे बड़े सहयोगियों टीडीपी व जदयू को असमंजस में डाला जा सके। इस चुनाव के बहाने कांग्रेस की नजर विपक्षी एकता कायम कर शक्ति प्रदर्शन करने और एनडीए को असमंजस में डालने पर है।

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Vice Presidential Election: Congress wants to show unity by fielding common candidate
उपराष्ट्रपति चुनाव। - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी है लेकिन कांग्रेस साझा उम्मीदवार को मैदान में उतारकर विपक्षी एकता का संदेश देने के साथ एनडीए के सहयोगी दलों को असमंजस में डालने की रणनीति बना रही है। विपक्ष के साझा उम्मीदवार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी 7 अगस्त को डिनर पर विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के नेताओं के साथ मंथन करेंगे।

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पार्टी की योजना बिहार या आंध्रप्रदेश के किसी नेता को उम्मीदवार बनाने की है, जिससे भाजपा के दो सबसे बड़े सहयोगियों टीडीपी व जदयू को असमंजस में डाला जा सके। इस चुनाव के बहाने कांग्रेस की नजर विपक्षी एकता कायम कर शक्ति प्रदर्शन करने और एनडीए को असमंजस में डालने पर है। दरअसल, भाजपा अपने दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। उसे हर हाल में अपने दोनों सबसे बड़े सहयोगियों जदयू-टीडीपी का समर्थन चाहिए। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर विपक्ष का उम्मीदवार आंध्रप्रदेश या बिहार से हुआ तो क्षेत्रीय भावनाओं के साथ संतुलन बैठाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू उलझन में होंगे। आंध्रप्रदेश के ही वाईएसआरसीपी जिनके राज्यसभा में सात सदस्य हैं, विपक्ष के साथ आ सकती है। अगर इस चुनाव में एक भी सहयोगी दल टूटे तो राजग में फूट का संदेश जाएगा।

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क्या है बिहार-आंध्र का गणित?
अगर विपक्ष का उम्मीदवार बिहार से हुआ तो जदयू, लोजपा, आरएलएम से भाजपा के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी प्रकार आंध्रप्रदेश के उम्मीदवार के मामले में ऐसी ही स्थिति टीडीपी और जनसेना के सामने होगी। दोनों सदनों को मिला कर जदयू के पास 16, लोजपा के पास 5 और आरएलएम के पास 1 सांसद हैं। टीडीपी के पास 18 और जनसेना के पास 2 सांसद हैं।

आचार्य देवव्रत को उम्मीदवार बना सकती है भाजपा
उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा में भी मंथन शुरू हो गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर उम्मीदवार के चयन में जाट बिरादरी की भावनाओं को वरीयता दी गई तो गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की लॉटरी निकल सकती है। अचानक इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ राजस्थान के जाट बिरादरी से थे। देवव्रत हरियाणा से हैं, जहां एक अरसे तक जनादेश तय करने में इस बिरादरी ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। दो विषयों से स्नातकोत्तर देवब्रत का शिक्षा और प्राकृतिक खेती में बड़ा योगदान रहा है।

क्या है चुनाव का गणित?
गणित सीधे-सीधे एनडीए के पक्ष में है। एनडीए के पास दोनों सदनों को मिलाकर 418 सांसद हैं। यह संख्या उपराष्ट्रपति पद पर जीत के लिए जरूरी 392 सदस्यों से 26 ज्यादा है। इसके अलावा पार्टी राज्यसभा में सात मनोनीत और तीन निर्दलीय में से दो का समर्थन हासिल कर सकती है। इसी प्रकार लोकसभा में भी पार्टी को अकाली दल का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा यहां सात निर्दलीय और छोटे चार दलों के चार सांसदों का रुख साफ नहीं है।

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