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राज्यसभा: 'व्यवधानों को हथियार बनाने की राजनीतिक रणनीति गलत', कामकाज के 22 घंटे बर्बाद होने पर धनखड़ का दर्द

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: काव्या मिश्रा Updated Fri, 22 Dec 2023 11:19 AM IST
सार

राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अफसोस जताते हुए कहा कि विपक्ष की ओर से कार्यवाही बाधित करने के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हुए। 

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VP Dhankhar said that he is pained after learning that 22 hours were lost due to avoidable disruptions
जगदीप धनखड़। - फोटो : एक्स/भारत के उपराष्ट्रपति।
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विस्तार
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संसद का शीतकालीन सत्र तय समय से एक दिन पहले गुरुवार को ही खत्म कर दिया गया। इस दौरान राज्यसभा में 65 घंटे काम हुआ। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अफसोस जताते हुए कहा कि विपक्ष की ओर से कार्यवाही बाधित करने के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हुए। साथ ही निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक रणनीति के रूप में व्यवधानों को हथियार बनाना सही नहीं है।

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हमारे संवैधानिक दायित्व से मेल नहीं खाता 
उन्होंने कहा, 'इस शीतकालीन सत्र में 14 बैठकें हुईं। इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष के 2,300 से अधिक सवाल रखे गए। इसके अलावा इसी अवधि में 4300 से अधिक कागजात सामने रखे गए। हालांकि, मुझे यह बताते हुए दुख हो रहा है कि कार्यवाही बाधित करने के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हो गए। इसक असर हमारी उत्पादकता पर पड़ा, जो 79 फीसदी रही। व्यवधान और हंगामे को राजनीतिक रणनीति के रूप में हथियार बनाना हमारे संवैधानिक दायित्व से मेल नहीं खाता है।'
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बड़े बदलाव लाने वाले विधेयक पास
उन्होंने कहा कि हालांकि फिर भी राज्यसभा सांसदों ने बहस के साथ महत्वपूर्ण विधायी गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। शीतकालीन सत्र में कुल 17 विधेयक पारित किए गए। जहां देश के आपराधिक कानून में आमूल-चूल बदलाव लाने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक पारित हुए। वहीं, दूरसंचार क्षेत्र के ढांचे में बदलाव लाने वाले दूरसंचार विधेयक और मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले विधेयक भी चर्चित रहे। इसके अलावा, डाकघर विधेयक, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन विधेयक भी पारित किए गए। 

जम्मू-कश्मीर में बदलाव को अमली जामा पहनाया
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद चार विधेयकों के माध्यम से राज्य के राजनीतिक-प्रशासनिक ढांचे में व्यापक बदलाव लाने के प्रति सरकार प्रतिबद्ध नजर आई। राज्य के विधानसभा की सीटों की संख्या ही नहीं बढ़ाई गई, बल्कि कश्मीरी पंडितों और पीओके का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। एक तिहाई संख्या महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक को कानूनी जामा पहनाया गया। कई वंचित जातियों को ओबीसी और एसटी वर्ग में शामिल किया गया।

अमृत काल के लिए एक मजबूत नींव रखेगा
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 को निरस्त करने और भारत में डाकघरों से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने के लिए विधेयक के पारित होने पर धनखड़ ने कहा, 'डाकघर विधेयक ने देश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मंच स्थापित करने के लिए पुराने औपनिवेशिक ढांचे को नया रूप दिया।' उन्होंने आगे कहा कि ये विधेयक 'पंच प्राण' की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो भारत के अमृत काल के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।

यहां होगा प्रदर्शन
गौरतलब है, भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) ब्लॉक के नेता शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में 146 विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं। संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित किए गए संसद सदस्य सुबह 11 बजे जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। साथ ही, कांग्रेस पार्टी द्वारा आज सभी जिला मुख्यालयों पर एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन भी निर्धारित किया गया है।

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