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Maharashtra: जरांगे का मराठा आरक्षण के लिए फिर क्यों जारी है प्रदर्शन, हाईकोर्ट से किस बात पर मांगी माफी?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Tue, 02 Sep 2025 02:46 PM IST
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सार

मनोज 2011 से मराठा आरक्षण के आंदोलन में सक्रिय हैं। 2014 में उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर में डिविजनल कमिश्नरेट के खिलाफ अपने मार्च से सभी का ध्यान खींचा था।

who is manoj jarange sat on hunger strike demanding Maratha reservation
मराठा आरक्षण - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इस समय मुंबई में एक तरफ गणेश उत्सव को लेकर शहर में धूम है तो वहीं दूसरी तरफ मराठा आंदोलन को लेकर हलचल भी मची है। 29 अगस्त की सुबह से मनोज जरांगे मुंबई के आजाद मैदान पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आज इस हड़ताल का पांचवां दिन है। जरांगे के समर्थकों का कहना है कि वे तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे, जब तक सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने की घोषणा नहीं करती। 2023 में भी मनोज जरांगे ने इस तरह से मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई को जाम किया था। अब इस बार भी जरांगे के प्रदर्शनों के बाद मुंबई जहां-तहां थम सी गई। आलम यह रहा कि खुद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में जनजीवन को प्रभावित करने के लिए मनोज जरांगे को आड़े हाथों लिया। अदालत ने चेतावनी दी की अगर वह मैदान खाली नहीं करते हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कठोर जुर्माना और अवमानना की कार्रवाई भी शामिल है। 

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ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर मराठा आरक्षण पर अभी क्या हुआ है? प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है? इस पर सरकार का क्या कहना है? मनोज जरांगे हैं कौन जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं? आइए जानते है...

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मराठा आरक्षण को लेकर क्या है जरांगे की ताजा मांग?

मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शनिवार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सरकार को मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुनबी घोषित करना चाहिए और उन्हें आरक्षण देना चाहिए। जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए। कुनबी एक कृषि प्रधान जाति, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल है, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बनेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने  शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 5 मई, 2021 को महाराष्ट्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इसके बाद 2024 में भी इसे लेकर एक विधेयक महराष्ट्र सरकार की और से पारित किया गया लेकिन इस बार आगे कोई काम नहीं हुआ। अब जरांगे की सभी मराठों को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। ताकि इसे कानूनी रूप से मान्यता दिलाई जा सके। 

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्यों कहा- दे चुके है आरक्षण?

सीएम ने कहा सभी जानते हैं कि हमने मराठा समुदाय की एकता के उत्थान के लिए काम किया है और 10 प्रतिशत कोटा दिया है। हमने समुदाय से 1.5 लाख व्यवसायी बनाए हैं। राज्य सरकार ने पिछले साल मराठा समुदाय के लिए एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। 

कौन हैं मनोज जरांगे?

आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जरांगे पाटिल मूलत: बीड जिले के रहने वाले हैं। मटोरी गांव में जन्मे मनोज ने 12वीं तक पढ़ाई की है। आजीविका के लिए बीड से जालना आ गए। यहां एक होटल में काम करते हुए उन्होंने सामाजिक कार्य शुरू किए। इसी दौरान शिवबा नामक संगठन की स्थापना की।

मनोज 2011 से मराठा आरक्षण के आंदोलन में सक्रिय हैं। 2014 में उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर में डिविजनल कमिश्नरेट के खिलाफ अपने मार्च से सभी का ध्यान खींचा था। 2015 से 2023 के बीच उन्होंने 30 से ज्यादा आंदोलन किये। 2021 में उन्होंने जालना जिले के साष्टा पिंपलगांव में 90 दिनों की हड़ताल की थी।

बताया जाता है कि मनोज जरांगे की आर्थिक स्थिति खराब है, लेकिन उन्होंने खुद को मराठा समुदाय के लिए समर्पित कर दिया है। उनके पास चार एकड़ जमीन थी जिसमें से दो एकड़ जमीन उन्होंने मराठा समुदाय के आंदोलन के लिए बेच दी थी। 

मराठा आंदोलन में अब तक क्या क्या हुआ?

2000 से मराठा आंदोलन को लेकर आवाजें काफी तेज हुई। 2004 में, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा-कुनबी और कुनबी-मराठा जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल कर लिया। लेकिन सूची में सिर्फ मराठा की पहचान रखने वाले लोगों को शामिल नहीं किया गया। 2014 में  मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व वाली सरकार ने नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण दिया था, लेकिन हाईकोर्ट में खारिज हो गया था। 

साल 2018 में देवेंद्र की सरकार में सेवानिवृत्त जस्टिस एमजी गायकवाड़ आयोग ने मराठा समाज को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा बताया। इस आधार पर सरकार ने नौकरी में 12 फीसदी शिक्षा में 13 फीसदी आरक्षण दिया। इसे भी बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण को मंजूर कर लिया था। परंतु 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण रद्द कर दिया। 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार करने से इनकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2021 को मराठा आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया।

मराठा आरक्षण पर यह फासला  पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनाया गया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति रवींद्र भट शामिल थे। पीठ ने मराठा आरक्षण रद्द करने का फैसला सुनाया। 

उसके बाद एकनाथ शिंदे की सरकार ने 2024 में सेवानिवृत्त जस्टिस सुनील शुक्रे की अध्यक्षता में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया। शुक्रे आयोग की रिपोर्ट में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना। इसी आधार पर मंगलवार को फिर से मराठा समुदाय को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी विधेयक पारित किया गया।

मराठा आरक्षण पर अभी क्या हो रहा है?

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पहले भी अनशन कर चुके मनोज जरांगे पाटिल ने 17 अगस्त को अपने समर्थकों के साथ मुंबई में पहुंचने की घोषणा की। जरांगे 29 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन करने वाले थे। इससे पहले हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बिना अनुमति के जरांगे पाटिल और उनके समर्थक मुंबई के आजाद मैदान में अनशन नहीं कर सकते हैं। हालांकि, राज्य सरकार चाहे तो नवी मुंबई के खारघर या अन्य जगह आंदोलन की मंजूरी दे सकती है। जरांगे ने अपने समर्थकों के साथ 27 अगस्त को जालना से मुंबई के लिए रवाना होने का ऐलान किया था। लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा करके ये सभी लोग 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन शुरू करने वाले थे। जरांगे ने मराठा समुदाय के लोगों से मुंबई में आंदोलन में शामिल होने की अपील भी की। 

कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी कैसे शुरू हुआ अनशन?

26 अगस्त को जरांगे अपना आंदोलन शुरू करने ही वाले थे कि बॉम्बे हाईकोर्ट का टिप्पणी सामने आई। एमी फाउंडेशन की ओर से दायर आंदोलन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए हाईकोर्ट ने कहा जरांगे अधिकारियों  पूर्व अनुमति के बिना विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, लेकिन प्रदर्शन केवल निर्धारित स्थानों पर ही होने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सभाओं और आंदोलन के लिए नए नियमों के तहत अनुमति मिलने के बाद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जा सकता है। 

1 सिंतबर को कोर्ट ने इस आंदोलन पर सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे के समर्थकों से कहा कि हालात सुधारे और रास्ता खाली करें। आंदोलन के कारण जाम की स्थिति पर हाईकोर्ट ने कहा कि कल तक मुंबई की सभी सड़कें खाली हों। आगे कोर्ट ने कहा सिर्फ पांच हजार प्रदर्शनकारी मैदान में हों और बाकी सभी दोपहर 12 बजे तक वापस जाएं।

जरांगे को भूख हड़ताल करने की मिली अनुमति?

कोर्ट के द्वारा आंदोलन पर रोक लगाने के लिए 27 अगस्त को मुंबई पुलिस ने जरांगे आंदोलन की इजाजत दे दी थी।  मुंबई पुलिस ने आजाद मैदान में कुछ शर्तों के साथ केवल एक दिन 29 अगस्त के लिए आंदोलन करने की अनुमति दी थी। इसके बाद पुलिस ने ने एक दिन के लिए इस भूख हड़ताल को बढ़ाने की अनुमति दी थी। इसके साथ जालना पुलिस ने जरांगे और उनके समर्थकों पर 40 शर्तें लगाने के बाद उन्हें मार्च जारी रखने की अनुमति दी थी, जिसमें उन्हें कानून-व्यवस्था बनाए रखने, वाहनों की आवाजाही में बाधा न डालें और आपत्तिजनक नारे लगाने से बचने का निर्देश दिया गया। प्रदर्शनकारियों के केवल पांच वाहन ही आजाद मैदान जा सकते हैं और वहां प्रदर्शनकारियों की संख्या 5,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए। 31 अगस्त को मुंबई पुलिस ने जरांगे को अनशन जारी रखने के लिए एक दिन की और अनुमति दी। इसके साथ ही आज जरांगे की भूख हड़ताल का पांचवां दिन है। जरांगे पानी पीना भी बंद कर चुके हैं। 

ओबीसी नेताओं और उद्धव ठाकरे ने भी दी प्रतिक्रिया?
इस पूरे मामले में में ओबीसी समुदाय के नेता लक्ष्मण हाके ने कहा कि जरांगे तो  सिर्फ एक चिंगारी थे, लेकिन विपक्षी नेता शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कुछ मंत्रियों ने उन्हें ज्वालामुखी बना दिया। 

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे से तुरंत संवाद करना चाहिए और समुदाय को न्याय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का सम्मानजनक समाधान होना जरूरी है। आंदोलनकारी न तो आतंकवादी हैं और न ही 'दंगा' करने आए हैं, बल्कि वे न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।

हाईकोर्ट ने आज क्या कहा?
जरांगे ने आज हाईकोर्ट से माफी मांगी है। मराठा आरक्षण आंदोलन नेता मनोज जरांगे ने मुंबई की सड़कों पर कुछ समर्थकों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और आम लोगों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी है। हालांकि, अदालत ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने कानून का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें तुरंत आजाद मैदान खाली करना होगा।
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