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TS Singh Deo: छत्तीसगढ़ के पहले डिप्टी CM टीएस सिंहदेव हैं कौन, चुनाव से पहले क्यों मिली नई जिम्मेदारी?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवेंद्र तिवारी Updated Thu, 29 Jun 2023 02:13 PM IST
सार

छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। सीएम बघेल के कुर्सी पर काबिज होते ही कई बार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच अनबन की खबरें आती रहीं। ऐसे में चुनाव से पहले टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा कदम उठाया है। सिंहदेव का सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर सीधे प्रभाव माना जाता है।

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Who is the TS Singh Deo and why he got responsibility of deputy cm before chhattisgarh assembly election
टीएस सिंहदेव - फोटो : AMAR UJALA
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विस्तार
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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस ने राज्य में बड़ा बदलाव किया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार देर शाम इसकी घोषणा की। टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने पर सीएम भूपेश बघेल ने उन्हेंं बधाई दी है। 
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'बाबा' के नाम से मशहूर टीएस सिंहदेव प्रदेश की सियासत में हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं। चुनाव से महज कुछ महीने पहले कांग्रेस द्वारा उन्हें दी गई जिम्मेदारी ने उनको एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। आइए जानते हैं टीएस सिंहदेव के बारे में...

Who is the TS Singh Deo and why he got responsibility of deputy cm before chhattisgarh assembly election
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव - फोटो : अमर उजाला
कौन हैं टीएस सिंहदेव?
टीएस सिंहदेव का पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1952 को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में हुआ था। उनके पिता का नाम मदनेश्वर शरण सिंह देव जबकि मां का नाम देवेन्द्रकुमारी सिंह देव है।  टीएस सिंहदेव ने भोपाल के हमीदिया कॉलेज से एमए इतिहास की पढ़ाई की। 

त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव यानी टीएस सिंह देव का सरगुजा राजघराने से नाता है। वह इस राजघराने के 118वें राजा हैं। लोग उन्हें टीएस बाबा कहकर बुलाते हैं। सरगुजा राजघराने की कई पीढ़ियां कांग्रेस से जुड़ी हैं। 

टीएस सिंहदेव 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए और यहीं से उनका राजनीति सफर शुरू हुआ। सिंहदेव ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भले ही नगर पालिका अध्यक्ष पद से की हो, लेकिन सरगुजा राजपरिवार से होने के नाते उनकी राजनैतिक हैसियत इससे कहीं अधिक रही। 

टीएस सिंहदेव के पिता एमएस सिंहदेव मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव और बाद में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उनकी मां देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मध्यप्रदेश में दो बार मंत्री रहीं। तब कहा जाता था कि सरगुजा के लिए मुख्यमंत्री राजपरिवार ही है। 

सरगुजा राजघराना छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के साथ है। आजादी के समय से ही सरगुजा राजघराना कांग्रेस पार्टी के साथ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सरगुजा राजघराने का एक व्यक्ति शामिल हुआ करता था। 

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टीएस सिंह देव - फोटो : PTI
2008 में लड़ा अपना पहला चुनाव 
छत्तीसगढ़ गठन के बाद अजीत जोगी सरकार बनी तो सरगुजा राजपरिवार हासिये पर चला गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उपेक्षा के बीच चुनाव के कुछ माह पूर्व टीएस सिंहदेव को वित्त आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया। 

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अंबिकापुर सीट सामान्य हुई तो टीएस सिंहदेव ने अपना पहला चुनाव 980 मतों के मामूली अंतर से जीता। दूसरे चुनाव में जीत का अंतर 19,400 एवं तीसरे चुनाव में करीब 40 हजार तक पहुंच गया। वर्ष 2013 से 2018 तक वे नेता प्रतिपक्ष रहे। उन्होंने कांग्रेस में यूथ कांग्रेस पर्यावरण प्रवक्ता, जिला सेवा दल अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस  उपाध्यक्ष जैसे पदों पर भी काम किया। 

राज्य के सबसे अमीर विधायक  
टीएस सिंहदेव 2018 के चुनावों में जीते छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर विधायक हैं। शपथपत्र के मुताबिक तब उन्होंने बताया था कि उनके पास 500 करोड़ रुपये की संपत्ति है। साल 2013 में जब मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब भी टीएस सिंह देव सबसे अमीर विधायक थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में टीएस बाबा ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया था।

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भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के साथ राहुल गांधी - फोटो : Agency (File Photo)
2018 के विधानसभा चुनावों में मिली अहम जिम्मेदारी, सीएम पद की रेस में थे
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में पहली बार 68 सीट जीतीं। उस समय तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव दिल्ली गए थे। सीएम की दौड़ में तीनों शामिल थे। लेकिन भूपेश बघेल की आक्रामक छवि और अन्य राजनीतिक समीकरणों से उन्हें सीएम बनाया गया। 

ताम्रध्वज साहू को गृहमंत्री और सिंहदेव को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। उनके पास पांच विभाग थे- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन, वाणिज्यिक कर और पंचायत और ग्रामीण विकास। 

तब कहा गया कि बघेल ढाई साल तक सीएम रहेंगे। उसके बाद टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। खुद टीएस बाबा गाहे बगाहे इसका जिक्र करते रहे हैं। कहते हैं कि सीएम पद को लेकर वह कई बार पार्टी हाईकमान से अपनी नाराजगी जता चुके हैं। यहां तक कि सीएम भूपेश से भी उनकी कई मौकों पर सियासी नाराजगी और लड़ाई दिख चुकी है। 

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छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव - फोटो : वीडियो ग्रैब
विदेश यात्रा करना शौक
राजनीति के अलावा, उन्हें खेल, पढ़ना और विदेश यात्रा करना पसंद है। सिंहदेव अब तक इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली, ऑस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर, मलेशिया, स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस, दुबई, नेपाल जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं। 70 वर्षीय राजनेता ने ऑस्ट्रेलिया की अपनी हालिया यात्रा पर एड्रेनालाईन-ईंधन वाली स्काइडाइविंग की थी। इस रोमांचक क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।

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सीएम बघेल के साथ डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव - फोटो : अमर उजाला
चुनाव से पहले कांग्रेस का दांव 
प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। सीएम बघेल के कुर्सी पर काबिज होते ही कई बार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच अनबन की खबरें आती रहीं। ऐसे में चुनाव से पहले टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा कदम उठाया है। सिंहदेव छत्तीसगढ़ के इतिहास के पहले उप मुख्यमंत्री हैं। 

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टीएस सिंहदेव - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इतनी सीटों पर सीधा प्रभाव
टीएस सिंहदेव का सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर सीधे प्रभाव माना जाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। इन सभी सीटों में टीएस सिंहदेव के समर्थक भी हैं और उनका जनाधार भी है।
 
सरगुजा संभाग में कांग्रेस के अंतर्कलह के कारण न सिर्फ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इलाके का कार्यकर्ता अपनी उपेक्षा का भी आरोप लगातार लगाते रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा उत्तर छत्तीसगढ़ में कमजोर होने के बावजूद कांग्रेस के अंतर्कलह के कारण ही करीब आधी सीटों पर बढ़त बनाती दिख रही है। इस तरह की रिपोर्ट्स के बाद कांग्रेस ने उत्तर छत्तीसगढ़ की इन सीटों पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम करने के लिए कांग्रेस ने सिंहदेव को बड़ी जिम्मेदारी दी है। 

इससे पहले  संभागीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कार्यकर्ताओं से यह कहते नजर आए कि जय-वीरू की जोड़ी कभी नहीं टूटेगी। टीएस सिंहदेव ने भी कहा कि अंदर जो भी हो, भूपेश बघेल ने कभी सार्वजनिक तौर पर उनकी उपेक्षा नहीं की है। सरगुजा के अलावा मध्य छत्तीसगढ़ एवं बस्तर की कुछ सीटों पर भी टीएस सिंहदेव का प्रभाव माना जाता है।
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