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शीत सत्र : सोशल मीडिया के विज्ञापन राजस्व में तय हो मीडिया की हिस्सेदारी, राज्यसभा में उठी निकाय गठन की मांग

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Wed, 15 Dec 2021 07:09 AM IST
सार

फेसबुक के सकल विज्ञापन राजस्व में से 90 फीसदी हिस्सा वैश्विक सहायक कंपनी को जाता है, जबकि गूगल इंडिया कमाई में से 87 फीसदी अपनी मूल इकाई को भुगतान करता है। मुद्दा यह है कि ये टेक कंपनियां पारंपरिक मीडिया की कीमत पर अमीर हो रही हैं।

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Winter session: Media s share in the advertising revenue of social media should be fixed, BJP MP Sushil Modi raised the demand for formation of body in Rajya Sabha
Sushil Modi - फोटो : PTI
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विस्तार
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भाजपा सांसद सुशील मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में सोशल मीडिया के विज्ञापन राजस्व में मीडिया की हिस्सेदारी तय करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक निकाय गठन की मांग की। शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि गूगल और फेसबुक मिलकर भारत के कुल डिजिटल विज्ञापन बाजार का 75 फीसदी हिस्सा अपने कब्जे में ले लेते हैं।

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उन्होंने कहा कि नियामक निकाय को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी संस्थाएं नफरत फैलाने वाले भाषणों व फर्जी खबरों की जांच के लिए कंटेंट मॉडरेशन गतिविधियों के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करें। उन्होंने बताया कि एक वर्ष में भारत से फेसबुक को 9,326 करोड़ रुपये और गूगल को 13,887 करोड़ रुपये डिजिटल विज्ञापन के तौर पर हासिल हुए हैं। दोनों कंपनियां देश की शीर्ष 10 सूचीबद्ध पारंपरिक मीडिया कंपनियों के संयुक्त राजस्व 8,396 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा कमाती हैं। 
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फेसबुक के सकल विज्ञापन राजस्व में से 90 फीसदी हिस्सा वैश्विक सहायक कंपनी को जाता है, जबकि गूगल इंडिया कमाई में से 87 फीसदी अपनी मूल इकाई को भुगतान करता है। मुद्दा यह है कि ये टेक कंपनियां पारंपरिक मीडिया की कीमत पर अमीर हो रही हैं। मोदी ने कहा कि ये कंपनियां पारंपरिक समाचार प्लेटफॉर्म की सामग्री को प्रदर्शित कर पैसा कमाती हैं, लेकिन बदले में पर्याप्त भुगतान नहीं करती हैं।

फ्रांस, जर्मनी में है भुगतान की व्यवस्था
फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने पहले ही इस तरह के तंत्र स्थापित कर लिए हैं, जो गूगल व फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म को पारंपरिक मीडिया आउटलेट्स को सामग्री के लिए भुगतान करती हैं। उन्होंने कहा,दुनिया में सबसे ज्यादा 34 करोड़ भारतीय फेसबुक के उपयोगकर्ता हैं, लेकिन कंपनी भारतीयों के हितों को अनदेखा कर रही है।

खासतौर पर नफरत भरे और भ्रामक कंटेट पर फेसबुक का रवैया निराशाजनक है। उन्होंने नियमों के उल्लंघन पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर आकाउंट के हैक होने का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके पीछे क्रिप्टोकरेंसी लॉबी का हाथ है।

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