{"_id":"69537b09da899b00e4037fc6","slug":"year-ender-2025-from-cyclone-ditwah-to-earthquakes-killing-several-know-biggest-disasters-of-this-year-news-2025-12-30","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Year Ender 2025: दित्वाह, भूकंप से लेकर बाढ़ तक ने मचाई तबाही, इस साल दुनिया में इन आपदाओं ने ढाया कहर","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Year Ender 2025: दित्वाह, भूकंप से लेकर बाढ़ तक ने मचाई तबाही, इस साल दुनिया में इन आपदाओं ने ढाया कहर
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Tue, 30 Dec 2025 03:03 PM IST
विज्ञापन
2025 की बड़ी आपदाएं।
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
साल 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर है। इस वर्ष कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्हें दुनिया जल्द भूल नहीं पाएगी। इनमें कुछ प्राकृतिक घटनाएं भी शामिल हैं, जिनके चलते अमेरिकी महाद्वीप से लेकर भारत और पूर्वी एशिया तक को भारी नुकसान उठाना पड़ा। फिर चाहे वह मानवीय नुकसान हो या आर्थिक नुकसान।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की क्लाइमेट इंडिया 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जनवरी से लेकर सितंबर तक 99 फीसदी दिन चरम मौसम वाले रहे हैं। ऐसे में यह जानना अहम है कि दुनिया के साथ-साथ भारत में ऐसी कौन सी घटनाएं हुईं, जिनसे भारी तबाही हुई।
Trending Videos
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की क्लाइमेट इंडिया 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जनवरी से लेकर सितंबर तक 99 फीसदी दिन चरम मौसम वाले रहे हैं। ऐसे में यह जानना अहम है कि दुनिया के साथ-साथ भारत में ऐसी कौन सी घटनाएं हुईं, जिनसे भारी तबाही हुई।
विज्ञापन
विज्ञापन
1. श्रीलंका: दित्वाह चक्रवाती तूफान
26 नवंबर 2025 को भारत के मौसम विभाग ने श्रीलंका के दक्षिण-पूर्वी तट पर चक्रवाती स्थितियों को ट्रैक करना शुरू किया। इसे लेकर अलर्ट भी जारी किए गए। इसके पूर्ण चक्रवात बनने के बाद इसे दित्वाह नाम दिया गया। यह एक जबरदस्त चक्रवात था, जिसने 28 नवंबर से 29 नवंबर के बीच श्रीलंका में जबरदस्त तबाही मचाई। 30 नवंबर तक जब यह शांत होना शुरू हुआ, तब तक श्रीलंका में सैकड़ों लोग जान गंवा चुके थे।ये भी पढ़ें: Sri Lanka: चक्रवाती तूफान दित्वाह से श्रीलंका में तबाह हुए हजारों घर, भारत पुनर्निर्माण में करेगा मदद
बताया जाता है कि श्रीलंका में चक्रवात, इसके चलते आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं के चलते देशभर में 600 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। इतना ही नहीं देश को 4.1 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान भी हुआ, जिसके बढ़कर छह-सात अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की आशंका है। इस चक्रवात ने 14 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया और करीब 2.5 लाख लोग राहत केंद्रों में शरण लेने के लिए मजबूर हुए।
2. बाढ़ से बेहाल रहे देश के कई राज्य
भारत और पाकिस्तान में भी प्राकृतिक आपदाओं का कहर देखने को मिला। खासकर उत्तर और पूर्वी भारत में बादल फटने, भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से स्थितियां गंभीर हो गईं।जून: भारत के पूर्वोत्तर में भारी बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। ब्रह्मपुत्र और बराक समेत आठ नदियों के खतरे के निशान के ऊपर रहने और जबरदस्त बहाव के कारण 8 लाख से ज्यादा लोग बुरी तरह प्रभावित हुए। असम की स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही, जहां छह से सात लाख लोगों को अपने घरों को छोड़कर राहत केंद्रों में रहना पड़ा। यहां 12 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसल योग्य जमीन तबाह हो गई और कई मवेशी बह गए। राज्य के 35 में से 22 जिले बाढ़ प्रभावित रहे।
कुछ ऐसा ही हाल सिक्किम का रहा, जहां बारिश ने नए रिकॉर्ड बनाए। इसके अलावा पूर्वोत्तर के कुछ और राज्य भी बाढ़-भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित हुए।
पंजाब बाढ़
जून-सितंबर: हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई। बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से हर साल सड़कें, आवास और इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह हुए। 2025 के मानसून सीजन की बात करें तो रिकॉर्ड 50 से ज्यादा जगह बादल फटे। बाढ़ की 95 और भारी भूस्खलन की 133 से ज्यादा घटनाएं हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि जून के बाद से इन स्थितियों के चलते राज्य में 300 से ज्यादा मौतों के आंकड़े दर्ज हुए।
उत्तराखंड में भी कुछ यही हालात रहे। अगस्त में उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना से अचानक आई बाढ़ और इसमें फंसे मलबे ने गंगोत्री के रास्ते में आने वाले जिलों और क्षेत्रों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। इनमें धराली सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। बाढ़ में कई घर और दुकानें बह गईं। राहत-बचाव कार्य के लिए सरकार को आपदा बलों और सेना तक की मदद लेनी पड़ी।
हिमाचल बाढ़
उत्तराखंड में भी कुछ यही हालात रहे। अगस्त में उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना से अचानक आई बाढ़ और इसमें फंसे मलबे ने गंगोत्री के रास्ते में आने वाले जिलों और क्षेत्रों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। इनमें धराली सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। बाढ़ में कई घर और दुकानें बह गईं। राहत-बचाव कार्य के लिए सरकार को आपदा बलों और सेना तक की मदद लेनी पड़ी।
हिमाचल बाढ़
अगस्त में जम्मू-कश्मीर भी प्राकृतिक आपदा का शिकार बना। यहां भूस्खलन से वैष्णो देवी मार्ग बुरी तरह प्रभावित रहा और कई तीर्थयात्रियों की जान चली गई। वहीं बादल फटने के बाई आई बाढ़ चिसोती के लिए कहर बनकर टूटी और कई तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों समेत 65 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद कठुआ जिले के जोड घाटी गांव में एक और बादल फटने की घटना से सात लोगों की मौत हुई। कई अन्य घायल हुए।
भारत और पाकिस्तान के लिए सितंबर का महीना मुश्किलें लेकर आया। दोनों ही देशों के पंजाब प्रांत में जबरदस्त बारिश के चलते नदियां उफान पर रहीं, जिससे बाढ़ की स्थिति लगातार बनी रही। इससे भारी तबाही हुई। जहां पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1400 गांवों में बाढ़ आई तो वही भारत में भी लगभग इतनी ही गांव प्रभावित हुए। इनसे पाकिस्तान में करीब 12 लाख लोग तो भारत में तीन लाख लोग विस्थापित हुए।
भारत और पाकिस्तान के लिए सितंबर का महीना मुश्किलें लेकर आया। दोनों ही देशों के पंजाब प्रांत में जबरदस्त बारिश के चलते नदियां उफान पर रहीं, जिससे बाढ़ की स्थिति लगातार बनी रही। इससे भारी तबाही हुई। जहां पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1400 गांवों में बाढ़ आई तो वही भारत में भी लगभग इतनी ही गांव प्रभावित हुए। इनसे पाकिस्तान में करीब 12 लाख लोग तो भारत में तीन लाख लोग विस्थापित हुए।
3. म्यांमार भूकंप
28 मार्च 2025 को म्यांमार के सगैंग क्षेत्र में एक विनाशकारी भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 7.9 तीव्रता मापी गई। भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मैंडले के पास था और भूमि की सतह से केवल 10 किमी की गहराई पर था। यह भूकंप म्यांमार में पिछले एक सदी का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना गया।ये भी पढ़ें: Myanmar Earthquake: जानिए आखिर क्यों बार-बार आते हैं भूकंप? क्या है इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह
भूकंप के चलते घरेलू और सार्वजनिक इमारतें भारी मलबे में बदल गईं, सड़क और पुल क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, कई जरूरी बुनियादी सेवाएं ठप पड़ गईं। इस भूकंप के बाद 500 से अधिक शक्तिशाली आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए, जिससे बचाव कार्य और कठिन हो गया।
म्यांमार में इस घटना से 5,352 लोगों की मौत हुई, जबकि सात हजार लोग घायल हुए और 500 से ज्यादा लोग लापता हुए। विश्व बैंक ने मई 2025 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस भूकंप से हुई तबाही से म्यांमार को 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
4. अमेरिका में आग की घटनाएं
जनवरी 2025 की शुरुआत में अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजिलिस में जंगल की आग भड़क उठी। इनमें पैलिसेड्स, ईटन और हर्स्ट आग प्रमुख रहीं। लंबे समय से चल रहीं सूखे, तेज सैंट आना हवाओं और असामान्य रूप से गर्म मौसम के कारण ये सर्दियों की आग बेहद तेजी से फैलीं। आग की चपेट में आकर घर, स्कूल और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा नष्ट हो गया, जिससे हजारों परिवारों को जल्दबाजी में सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा।
यह पिछले चार दशकों में क्षेत्र की सबसे भीषण आग मानी गई, जिसमें कम से कम 30 लोगों की मौत हुई और एक दर्जन से अधिक लोग लापता बताए गए। आग के चरम पर पहुंचने के दौरान करीब दो लाख लोगों को निकालने का अभियान चलाया गया। आग पर पूरी तरह काबू फरवरी की शुरुआत में पाया जा सका। पैलिसेड्स आग में 23,440 एकड़ से अधिक भूमि जली, जबकि ईटन ने लगभग 14,000 एकड़ क्षेत्र को राख में बदल दिया। अमेरिका को इस आग से करीब 40 अरब डॉलर के इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य चीजों का नुकसान हुआ।
5. पूर्व एशिया में चक्रवात-भूस्खलन
प्रशांत क्षेत्र में नवंबर 2025 के दौरान लगातार आए शक्तिशाली तूफानों ने भीषण तबाही मचाई। 4 नवंबर को चक्रवाती तूफान कलमेगी ने फिलीपींस के कई हिस्सों को प्रभावित किया और 6 नवंबर को यह वियतनाम पहुंचा। फिलीपींस में इस तूफान से 200 से अधिक लोगों की मौत हुई, जबकि पांच लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए। विशेषज्ञों के मुताबिक, भ्रष्टाचार, प्रशासनिक लापरवाही और जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक खतरों को मानव-निर्मित त्रासदियों में बदल दिया। बार-बार निकासी, बुनियादी ढांचे को नुकसान और आजीविका के संकट ने मानवीय स्थिति को और बिगाड़ दिया।वियतनाम में कलमेगी के कारण पांच लोगों की जान गई और पहले से मौजूद तूफानों की वजह से आई बाढ़ के चलते 5.37 लाख से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। लगातार बारिश और नदियों के उफान ने हालात और गंभीर बना दिए, जिससे राहत और बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया। स्थिति और बिगड़ गई जब 9 नवंबर को सुपर टाइफून फंग-वॉन्ग ने फिलीपींस में दस्तक दी। जबरदस्त तेज हवाओं और भीषण बाढ़ के खतरे के चलते 10 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इन दोहरे तूफानों ने फिलीपींस और वियतनाम में मानवीय संकट को और गहरा कर दिया, जहां आवास, आजीविका और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।
इसके अलावा इंडोनेशिया में दुर्लभ चक्रवात के सुमात्रा से टकराने के बाद भारी बाढ़ और भूस्खलन हुए, जिनमें 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग लापता हैं। इस आपदा ने वनों की कटाई और वन रियायतों पर कमजोर निगरानी के गंभीर परिणामों को उजागर किया। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े पैमाने पर वनों के विनाश से जलधारण क्षमता घटी, जिससे बारिश का पानी विनाशकारी बाढ़ में बदल गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन घटनाओं में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 220 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
संबंधित वीडियो
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन घटनाओं में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 220 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
संबंधित वीडियो