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Kathua News: पत्नी और नाबालिग बच्चे को प्रति माह देने होंगे 5 हजार का गुजारा भत्ता, अदालत ने सुनाया फैसला
संवाद न्यूज एजेंसी, कठुआ
Updated Tue, 23 Dec 2025 02:30 AM IST
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कठुआ। विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट ने डेढ़ साल पुराने दायर गुजारा भत्ता याचिका में फैसला सुनाया है। आदेश के अनुसार, पति को अपनी पत्नी और नाबालिग बच्चे को प्रति माह पांच हजार गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। जिसमें से तीन हजार प्रति महीना महिला, जबकि दो हजार उसके नाबालिग बच्चे की देखभाल के लिए होगा। न्यायाधीश ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 एक सामाजिक और कल्याणकारी प्रावधान है। जिसके तहत पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करना पति का पहला कर्तव्य है।
कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, रबीना बानो ने अपने पति अशफाक अहमद निवासी चंदयार बनी के खिलाफ बीते वर्ष 6 मई 2024 को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता याचिका दायर की थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग की। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसका विवाह वर्ष 2017 में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। इस विवाह से दो बच्चे मोहम्मद सईद और मोहम्मद अबरार पैदा हुए। जिनकी आयु 6 और 5 वर्ष है। महिला ने आरोप लगाया कि विवाह के कुछ महीनों बाद ही उसके पति और ससुराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अप्रैल 2023 में अशफाक ने उसे मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया और उसके बड़े बेटे को अपने पास रख लिया, जबकि छोटा बेटा मां के साथ रह रहा है। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने शादी के बाद से उनकी भोजन, इलाज और बच्चों की जरूरतों को पूरा नहीं किया। हालांकि कई बार बिरादरी की बैठकों में पति ने पत्नी-बच्चों को वापस घर लाने और देखभाल करने का वादा किया, लेकिन कभी निभाया नहीं। वर्तमान में उनका खर्चा महिला के माता- पिता उठा रहे है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका पति किसानी और दर्जी के काम से 30 हजार महीने की राशि कमाता है। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपने पति से 15 हजार प्रति माह गुजारा भत्ता की मांग की थी। कोर्ट कार्यवाही के दौरान कई बार अदालत की ओर से पति को नोटिस जारी किए गए, लेकिन वह कभी भी अदालत में हाजिर नहीं हुआ। जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई एकतरफा करते हुए माना कि पति ने पत्नी और बच्चे की देखभाल नहीं की। जिससे वे वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। अदालत ने महिला और अन्य गवाहों की गवाही सुनने के बाद कहा कि शादी के बाद पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करना पति का पहला कर्तव्य है, जो अशफाक ने नहीं किया। इसके बाद अदालत ने उच्च न्यायालयों के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए महिला के पति को पांच हजार प्रति माह भत्ता देने की आदेश दिया गया।
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कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, रबीना बानो ने अपने पति अशफाक अहमद निवासी चंदयार बनी के खिलाफ बीते वर्ष 6 मई 2024 को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता याचिका दायर की थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग की। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसका विवाह वर्ष 2017 में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। इस विवाह से दो बच्चे मोहम्मद सईद और मोहम्मद अबरार पैदा हुए। जिनकी आयु 6 और 5 वर्ष है। महिला ने आरोप लगाया कि विवाह के कुछ महीनों बाद ही उसके पति और ससुराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अप्रैल 2023 में अशफाक ने उसे मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया और उसके बड़े बेटे को अपने पास रख लिया, जबकि छोटा बेटा मां के साथ रह रहा है। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने शादी के बाद से उनकी भोजन, इलाज और बच्चों की जरूरतों को पूरा नहीं किया। हालांकि कई बार बिरादरी की बैठकों में पति ने पत्नी-बच्चों को वापस घर लाने और देखभाल करने का वादा किया, लेकिन कभी निभाया नहीं। वर्तमान में उनका खर्चा महिला के माता- पिता उठा रहे है।
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याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका पति किसानी और दर्जी के काम से 30 हजार महीने की राशि कमाता है। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपने पति से 15 हजार प्रति माह गुजारा भत्ता की मांग की थी। कोर्ट कार्यवाही के दौरान कई बार अदालत की ओर से पति को नोटिस जारी किए गए, लेकिन वह कभी भी अदालत में हाजिर नहीं हुआ। जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई एकतरफा करते हुए माना कि पति ने पत्नी और बच्चे की देखभाल नहीं की। जिससे वे वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। अदालत ने महिला और अन्य गवाहों की गवाही सुनने के बाद कहा कि शादी के बाद पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करना पति का पहला कर्तव्य है, जो अशफाक ने नहीं किया। इसके बाद अदालत ने उच्च न्यायालयों के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए महिला के पति को पांच हजार प्रति माह भत्ता देने की आदेश दिया गया।