Rajouri: भाइयों की संगत ने नशे में धकेला, पिता के साए के बिना जूझती रही बेटी, मां ने नशा छुड़वाकर बचाई जिंदगी
राजोरी की एक 18 वर्षीय युवती को चचेरे भाइयों ने हेरोइन की लत लगा दी, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। मां ने साहस दिखाते हुए बेटी को नशामुक्ति केंद्र पहुंचाया, जहां इलाज के बाद अब वह नशे से बाहर आ चुकी है।

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राजोरी जिले के एक गांव में साधारण परिवार की 18 साल की युवती को चचेरे भाइयों ने ही नशे के दलदल में धकेल दिया। दिनोंदिन उसकी बिगड़ती हालत देख मां व्यथित हुई तो पता चला कि उसकी लाडली नशे की लती हो गई है। मां ने हिम्मत जुटाई और जीएमसी राजोरी के नशामुक्ति केंद्र में बेटी को ले गईं। अब वह दलदल से बाहर आ गई है।

इस युवती की कहानी दर्द देने वाली है। उसके पिता की करीब आठ साल पहले किसी बीमारी से मौत हो गई थी। कोई सगा भाई-बहन नहीं है। परिवार में सिर्फ मां और बेटी बची। जीवन कठिन था और राहत के क्षण दुर्लभ थे। आर्थिक हालत बेहद खराब थी तो जिम्मेदारी बेटी के कंधों पर आ गई। वह मजदूरी करने लगी लेकिन शरीर इतना मजबूत नहीं था कि इसकी थकावट को सह सके।
ऐसे नाजुक दौर में उसके चचेरे भाइयों ने ऐसी सलाह दी जिससे युवती की जिंदगी नरक की दिशा में मुड़ गई। उसके चचेरे भाइयों ने दवा के भरोसे में हेरोइन दी और कहा कि इसके खाने से उसे काम की थकावट नहीं होगी। कहा कि इससे वह अधिक काम भी कर सकेगी। भाई की बात मानकर युवती इस झांसे में आ गई।
युवती ने कहा कि मुझे यह हेरोइन मुफ्त में दी लेकिन जल्द ही मैं इसके बिना नहीं रह सकी। कुछ ही महीने में इसकी लत की गिरफ्त में आ गई। इससे स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ने लगा और कमजोर हो गई। उधर, अपनी बेटी की हालत बिगड़ती देख उसकी मां को शंका हुई तो पता चला कि वह हेरोइन की आदी हो गई है। इसके बाद वह जीएमसी राजोरी के नशामुक्ति केंद्र से मदद मांगी और इलाज कराने के लिए राजी हो गई।
दवा के साथ-साथ नियमित काउंसलिंग की गई
केंद्र में डॉक्टरों ने उसका तुरंत उपचार शुरू कर दिया। चिकित्सीय देखरेख में उसे नशे की लत से छुटकारा पाने और नशे की तलब को नियंत्रित करने के लिए दवा दी गई। दवा के साथ नियमित काउंसलिंग की गई। इससे युवती का आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता हासिल करने में मदद मिली। आज वह सुधार की राह पर है अपनी जिंदगी को फिर से बना रही है।
ढाई महीने नशामुक्ति केंद्र में बिताने पड़े
जीएमसी राजोरी के नशामुक्ति केंद्र में युवती का करीब ढाई महीने इलाज चला। चार दिन पहले वह घर आ गई है, लेकिन डॉक्टरों की पूरी निगरानी में है। वह अपने परिवार से फिर से जुड़ रही है और आजीविका कमाने के लिए कौशल प्रशिक्षण की तैयारी कर रही है।
डीसी ने कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के अवसर देने के निर्देश दिए
राजोेरी के उपायुक्त (डीसी) अभिषेक शर्मा ने युवती के घर जाकर उसके पूर्ण पुनर्वास के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि युवती को उचित परामर्श और निरंतर मनोवैज्ञानिक सहायता, व्यापक पुनर्वास योजना और कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए जाएं।