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Operation Mahadev: 'ऑपरेशन महादेव' क्यों रखा नाम, आतंकियों तक कैसे पहुंची सेना? पहलगाम हमले का ऐसे लिया बदला

अमर उजाला नेटवर्क, श्रीनगर Published by: विजय पुंडीर Updated Tue, 29 Jul 2025 03:33 AM IST
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सार

ऑपरेशन महादेव के तहत भारतीय सेना ने पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतंकियों को मार गिराया है। सेना ने देर रात तक आधिकारिक रूप से इनकी पहचान जाहिर नहीं की, लेकिन सैन्य सूत्रों के अनुसार मारा गया एक आतंकी पहलगाम आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता सुलेमान उर्फ आसिफ है।

Operation Mahadev Indian Army killed three terrorists including Pahalgam attack mastermind Suleman
भारतीय सेना - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बीच ऑपरेशन महादेव के तहत सेना ने पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतंकियों को मार गिराया। श्रीनगर के दाचीगाम के ऊपरी क्षेत्र में हुई भीषण मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकी लश्कर-ए-ताइबा के बताए जा रहे हैं।

सेना ने देर रात तक आधिकारिक रूप से इनकी पहचान जाहिर नहीं की, लेकिन सैन्य सूत्रों के अनुसार मारा गया एक आतंकी पहलगाम आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता सुलेमान उर्फ आसिफ है। दो अन्य की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। जिबरान पिछले वर्ष सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था। मुठभेड़ स्थल से अमेरिका निर्मित एक एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल, एके सीरीज की दो राइफल समेत गोला-बारूद बरामद हुए हैं। दाचीगाम वन क्षेत्र श्रीनगर से 25 किमी दूर है। कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वीके बिरदी ने कहा, मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की पहचान में अभी वक्त लगेगा।

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ऑपरेशन से जुड़े एक सैन्य अफसर ने बताया, स्पेशल फोर्सेज 4 पैरा व 24 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) को पहलगाम हमले में आतंकियों की ओर से इस्तेमाल सैटेलाइट फोन के उपयोग का संकेत मिला था। इसके तत्काल बाद ऑपरेशन महादेव शुरू कर घेराबंदी की गई। दहशतगर्दों की मौजूदगी की पुष्टि होने पर अतिरिक्त बल बुलाकर घेरा और भी सख्त किया गया, ताकि वे भाग न सकें। खुद को घिरा देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। मुठभेड़ में दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें तीन आतंकी मारे गए। सेना की चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर बताया, लिदवास में भीषण गोलीबारी में तीन आतंकी मारे गए। ऑपरेशन जारी है। पहलगाम में आतंकियों ने 22 अप्रैल को 26 लोगों की हत्या कर दी थी। आतंकियों ने धर्म पूछकर मौत के घाट उतारा था।

...इसलिए ऑपरेशन महादेव
श्रीनगर की महादेव चोटी जबरवान रेंज का हिस्सा है। यह क्षेत्र सामरिक और धार्मिक दोनों तरह से अहम है। चोटी जबरवान का प्रमुख शिखर है, इसे खासा पवित्र माना जाता है। लिदवास एवं मुलनार, यहां से दोनों दिखाई देते हैं। अभियान को इसलिए ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया था।

यहीं मारा गया था जुनैद
दाचीगाम के इसी क्षेत्र में 10 नवंबर, 2024 को भी मुठभेड़ हुई थी। तब आतंकी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र का फायदा उठाते हुए भाग निकले थे। 3 दिसंबर 2024 को फिर मुठभेड़ हुई और लश्कर-ए-ताइबा आतंकी जुनैद भट ढेर हो गया। जुनैद गांदरबल में सुरंग निर्माण स्थल के पास 20 अक्तूबर, 2024 को हुए हमले शामिल था।

पता था, आतंकियों को सेना मार गिराएगी : नरवाल
पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा कि मैं सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के जवानों को बहादुरी के लिए सलाम करना चाहता हूं। उन्होंने जान की परवाह किए बिना आतंकियों का शिकार किया, वह आसान काम नहीं है। यह हमारी सेना के लिए बड़ी कामयाबी है। मैंने पहले भी कहा था कि हमारी सेना एक दिन उन्हें मार गिराएगी।

पहलगाम हमले से जुड़ी कम्युनिकेशन डिवाइस से आतंकियों तक पहुंची सेना
पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी एक कम्युनिकेशन डिवाइस ने सुरक्षाबलों को श्रीनगर के दाचीगाम वन क्षेत्र में छिपे आतंकियों तक पहुंचाया। इस क्षेत्र में इसके सक्रिय होने के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियां इसे ट्रैक कर रही थीं। सोमवार को तीन आतंकियों के मारे जाने की कामयाबी के पीछे भी इसी डिवाइस का एक्टिवेट होना रहा। इसी के साथ ‘ऑपरेशन महादेव’ सफल हुआ।

22 अप्रैल, 2025 को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच के दौरान एक कम्युनिकेशन डिवाइस के दोबारा से एक्टिवेट होने से इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी के संकेत मिले थे। इसके आधार पर सेना द्वारा लगातार इस क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था। सोमवार को इस ऑपरेशन के दौरान बड़ी कामयाबी मिली और सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज ने सुबह तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया।

सूत्रों के अनुसार तीनों पाकिस्तानी आतंकवादी बताए जा रहे हैं और इनके नाम अबू हमजा उर्फ हारिस, यासिर और सुलेमान बताए जा रहे हैं। ये लश्कर- ए-ताइबा के हैं। हालांकि, इसको लेकर सुरक्षाबलों की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है। उनके अनुसार शिनाख्त होने के बाद ही पुष्टि की जाएगी। सैन्य सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि पहलगाम हमले के बाद से कम्युनिकेशन डिवाइस की जांच की जा रही थी। करीब दो सप्ताह पहले अचानक से इस डिवाइस पर संदिग्ध संचार का पता चला।

इसके बाद तुरंत ही सेना ने अपनी यूनिट को सतर्क कर दिया। गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा पहले गिरफ्तार किए गए परवेज और बशीर अहमद नामक दो आतंकवादियों ने भी बताया था कि पहलगाम आतंकवादी हमले में तीन पाकिस्तानी लश्कर आतंकवादी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजीपी वीके बिरदी ने कहा कि शवों को नीचे लाने में समय लगेगा। उसके बाद उनकी शिनाख्त हो पाएगी। 

उपकरण का दाचीगाम के ऊपरी क्षेत्र में हुआ प्रयोग
एजेंसियों का मानना है कि जिस कम्युनिकेशन डिवाइस के सिग्नल दोबारा से एक्टिवेट हुए हैं। यह डिवाइस पहलगाम हमले में आतंकियों द्वारा इस्तेमाल में लाई गई थी। इसके कॉर्डिनेट्स जांच के दौरान पाया गया कि आतंकी इस डिवाइस का इस्तेमाल दाचीगाम के ऊपरी क्षेत्र में कर रहे हैं। इसके बाद से लगातार इस क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया। सूत्रों ने बताया कि रविवार देर रात लिदवास क्षेत्र में आतंकवादियों की मूवमेंट की सूचना मिली। इसके बाद 24 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवानों ने ऑपरेशन को तेज किया।

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