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Communal Harmony : आतंक का गढ़ रहे पुलवामा में महिला सरपंच ने की शिवलिंग की स्थापना,आयोजन में मुस्लिम भी शामिल
यूनिस खालिक/अमृतपाल सिंह बाली, पुलवामा/श्रीनगर
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 15 Dec 2023 03:24 AM IST
सार
विस्थापन के करीब तीन दशक बाद यहां के त्रिच्चल गांव की एक कश्मीरी पंडित महिला ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ इलाके में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की।
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सौहार्द की स्थापना...
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
लंबे समय तक आतंकी गतिविधियों के लिए सुर्खियों में रहने वाले दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले से एक सकारात्मक खबर सामने आई है। विस्थापन के करीब तीन दशक बाद यहां के त्रिच्चल गांव की एक कश्मीरी पंडित महिला ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ इलाके में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की।
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उन्होंने कामना की कि गांव में पहले की तरह एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम भाईचारा पनपे। आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए। उन्होंने ने भी कश्मीर खासकर अपने गांव में सुख शांति के लिए प्रार्थना की।
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स्थानीय गुलाम रसूल ने कहा, मैंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि एक दशक पहले हमारे गांव को त्रिशूल के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे त्रिच्चल का नाम दिया गया। हमने कश्मीरी पंडितों की भूमि की रक्षा की है। आज भी उनके आगमन का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि हम वैसे ही रहेंगे, जैसे 30 साल पहले रह रहे थे। हम सरकार से उनकी भूमि की पहचान करने का अनुरोध करते हैं।
भगवान शिव गांव की रक्षा करेंगेः डेजी
शिवलिंग को स्थापित करने वाली महिला डेजी रैना गांव की सरपंच भी हैं। उन्होंने कहा कि कभी भगवान के सामने किसी चीज के लिए प्रार्थना नहीं की, लेकिन वीरवार को कश्मीर घाटी में शांति के लिए प्रार्थना की, ताकि यहां के पंडित और मुसलमान वैसे ही रहें जैसे 30 साल पहले रहते थे। भगवान शिव गांव की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा, मुझे वे दिन याद हैं जब शिवरात्रि पर हमारे पड़ोस के मुसलमान हमारे दरवाजे खटखटाते थे और बधाई देते थे। वहीं ईद पर हम अपने पड़ोसियों के घर जाते थे और उन्हें बधाई देते थे।
स्थानीय लोगों की आस्था से जुड़ा है पवित्र स्थान
जिस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया गया, उस जगह को कश्मीरी पंडित और मुसलमान पवित्र स्थान मानते हैं। कहा जाता है कि यहां एक चश्मा हुआ करता था, जिसमें महारुद्रा नाम का सांप रहता था। कश्मीरी मुस्लिम लोग इस जगह को राजबल भी कहते हैं, जहां पीर बाई और सिकंदर साब रहा करते थे। यह तीनों एक ही स्थान पर रहते थे जिसे तकिया के नाम से जाना जाता है। इस कारण दोनों समुदाय की आस्था इस जगह से जुड़ी है। वीरवार को स्थापित शिवलिंग को जयपुर से एक कश्मीरी पंडित द्वारा भेजा गया है।