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इंटरव्यू: 'मेरिट में मुस्लिम आए तो हम क्या कर सकते हैं'; वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में सीट विवाद पर बोले निदेशक

ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ल अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Wed, 26 Nov 2025 12:35 PM IST
सार

श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस कटड़ा में एमबीबीएस की 50 में से 42 सीटों पर मुस्लिम छात्रों के दाखिले को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर से संचालित इस संस्थान में इतनी बड़ी संख्या में गैर हिंदू छात्रों के प्रवेश का हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने विरोध के लिए श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति नाम से मंच भी बनाया है। यह विरोध पूरे जम्मू संभाग में आंदोलन का रूप ले रहा है। दूसरी ओर इस मुद्दे पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डाॅ. यशपाल शर्मा शांत नजर आ रहे हैं। ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ल ने मंगलवार को डाॅ. शर्मा से संस्थान में मिलकर विशेष बातचीत की। वे साफ-साफ बोले-दाखिले नियम से किए गए। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...

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Admissions were done as per rules, even if all Muslims had qualified in the merit list said Dr. Yashpal
कार्यकारी निदेशक डाॅ. यशपाल शर्मा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में 50 में से 42 मुस्लिम छात्रों के प्रवेश पर उठे विवाद के बीच निदेशक डॉ. यशपाल ने साफ कहा कि सभी दाखिले पूरी तरह मेरिट और नियमों के आधार पर हुए हैं। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि धर्म प्रवेश प्रक्रिया का आधार नहीं हो सकता और यदि मेरिट में सभी मुस्लिम आते, तो उन्हें ही प्रवेश देना नियमों के तहत अनिवार्य था।

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एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू हो गई है। प्रवेश को लेकर इतने सवाल क्यों हैं?
देखिए, जो भी प्रवेश हुए उनमें मेरी कोई भूमिका है ही नहीं, न ही मैं ऐसा कर सकता हूं। मेरिट सूची व काउंसिलिंग के आधार पर प्रवेश दिए गए। एनएमसी व जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन के नियमों के अनुसार ही दाखिले हुए हैं। विरोध क्यों हो रहा है, ये समझ से परे है।
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मेडिकल काॅलेज में 50 में से 42 मुस्लिम छात्रों के प्रवेश में क्या कोई चूक है?
प्रवेश प्रक्रिया में हिंदू व मुस्लिम करना कहां तक उचित है? सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत पूरी की गई हैं। अब मेरिट में आने वाले सभी छात्र मुस्लिम निकलें तो इसमें कौन क्या कर सकता है? यदि सभी 50 सीटों पर मुस्लिम मेरिट पर आते तब भी हमारी मजबूरी उनको ही प्रवेश देने की होती। यदि कोई कह रहा है कि सभी प्रवेश हिंदू छात्रों को मिलने चाहिए थे तो इसके लिए नियमों का बदलाव जरूरी हो जाता है। इसको लेकर शायद एक मामला सुप्रीम कोर्ट में चल भी रहा है।

आरोप यह भी लग रहे हैं कि मेडिकल काॅलेज ने डोनेशन लेकर सभी सीटें जल्दबाजी में भर लीं। न फैकल्टी थी न ही उचित व्यवस्था
यह सरासर गलत है। ऐसा कुछ नहीं है। जिस बिल्डिंग में हम और आप बैठे हैं उसमें पांच फ्लोर हैं। सभी फैकल्टी काम कर रही हैं। सभी शिक्षक नियुक्त हैं। कहीं कोई कमी नहीं है। ये हमेशा ही होता रहा है कि पहले अस्थायी बिल्डिंग में मेडिकल काॅलेज संचालित होता है। धीरे-धीरे नई बिल्डिंग बनने के बाद शिफ्ट किया जाता है। तीन वर्ष के लिए इस बिल्डिंग में 50 छात्रों की पढ़ाई को हम बेहतर तरीके से करा सकने योग्य बना चुके हैं। 

आपके मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस की फीस कितनी है और सरकारी में कितनी है?
निजी सोसायटी, समिति की तरफ से संचालित किए जाने वाले मेडिकल काॅलेजों में प्रति वर्ष की फीस करीब पांच लाख रुपये है। सरकारी मेडिकल काॅलेजों में ये फीस मात्र 40 हजार रुपये ही है। काफी अंतर है। जो छात्र मेरिट के आधार पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं उन्हें सरकारी काॅलेज मिलता है। वे निजी संस्थान में क्यों जाएंगे? मेरिट के आधार पर जो छात्र बचे हैं उनको प्राथमिकता, मेरिट व काउंसिलिंग के आधार पर सीटें आवंटित होती हैं। ये सभी मुस्लिम छात्र प्रवेश पाने में इसी आधार पर सफल हुए।

सीटों का बंटवारा किस तरह हुआ होगा? जरा समझाएं, किस आधार पर मेरिट बनी?
इस प्रक्रिया को इस तरह समझिए कि राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलजों में 2000 सीटों के लिए कट ऑफ मेरिट जारी की गई। इसमें से 1685 सीटों के लिए काउंसिलिंग की गई। वरीयता के आधार पर 8 हिंदू छात्रों ने ही श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल को चुना। इसी तरह 42 मुस्लिम छात्रों ने संस्थान के प्रति रुचि दिखाई। इस कारण इनकी संख्या ज्यादा नजर आ रही है।

नियम तोड़ने पर कानून में प्रावधान क्या है?
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) और जम्मू कश्मीर बोर्ड आॅफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन (बोपी) की तरफ से लागू नियम काफी कड़े हैं, शायद ही कोई मेडिकल काॅलेज इनको तोड़ सकता है। यदि हमने नियमों के खिलाफ संस्थान में प्रवेश लिया है तो एनएमसी हमारी मान्यता तो रद्द करेगा ही, साथ ही 15 करोड़ रुपये जो हमने डिपाॅजिट किएा हैं वह भी जब्त कर लेगा। इसके बाद फिर नए सिरे से सभी औपचारिकताएं मेडिकल काॅलेज संचालन के लिए करनी होंगी जो काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

मुख्यमंत्री भी कह चुके मेरिट के आधार पर हुआ प्रवेश
यशपाल शर्मा ने साफ कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी प्रवेश को लेकर स्थिति साफ कर चुके हैं। शर्मा ने कहा कि संस्थान में 50 में से 42 सीटों पर मुस्लिम छात्रों का प्रवेश मजहब नहीं मेरिट के आधार पर हुआ है। फिर विवाद की स्थिति कहां बन रही है, यह समझ से परे है। इसमें छात्रों की क्या गलती है? आगे कहा कि जब विवि के लिए बिल पास किया गया था तब इसमें कहीं नहीं जिक्र किया गया कि यहां मजहब के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। कार्यकारी निदेशक ने कहा कि जो विरोध कर रहे हैं, इस बात को वे जानें। मैं यहां नियमों के तहत और नियमों का पालन कराने के लिए बैठा हूं।

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