MSME for Bharat: जम्मू-कश्मीर में उद्योगों पर संकट, सरकार से राहत की आस; उद्योगपतियों ने मांगा समर्थन
जम्मू-कश्मीर में लघु और मध्यम उद्योग (MSME) जीएसटी, जेम पोर्टल और सरकारी रियायतों की कमी के कारण संकट में हैं, जिससे स्थानीय उद्योगपतियों में गहरी निराशा है। उद्योगपति सरकार से बुनियादी सुविधाएं, नीतिगत समर्थन और आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं ताकि उद्योगों को बचाया और नई पीढ़ी को जोड़ा जा सके।

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देश में उद्योग जगत की उन्नति कमजोर हो रही है। बीते कुछ वर्षों से जीएसटी और सरकारी रियायतों में मिली छूट के खत्म होने से उद्योगपति भारी तनाव झेल रहे हैं। आलम यह है कि जिन उद्योगों की चाबियां पीढ़ी दर पीढ़ी जम्मू-कश्मीर की पुश्तें थामती आ रहीं थीं उन्हें मौजूदा उद्योपतियों ने आगे नहीं बढ़ाया है।

प्रदेश के ज्यादातर उद्योगपतियों के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और वे उद्योगों से जुड़ने को तैयार नहीं हैं। अमर उजाला संवाद में उद्योगों को बचाने की चुनौतियां सामने आई है। उद्योगपति किसी भी सूरत में पुराने उद्योगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें सरकार से उम्मीदें हैं। नए उद्योगों को विकसित करने के लिए जिन जगहों का चयन किया गया है उनमें बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की वकालत भी उद्योगपति कर रहे हैं।
लघु उद्योगपतियों का दावा है कि वे रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया करवा रहे हैं। एक करोड़ रुपये के निवेश वाले उद्योगों में 10 लोगों को रोजगार मिल रहा है। 500 करोड़ रुपये तक के उद्योगों में प्रति करोड़ एक व्यक्ति को ही रोजगार का अवसर मिल पा रहा है।
इसके अलावा उद्योगपतियों में बड़ी निराशा प्रदेश के बाहर से सामान आने को लेकर भी है। सरकार के ज्यादातर विभाग जेम पोर्टल से खरीदारी कर रहे हैं। इस पोर्टल पर खरीदारी होने से मध्य प्रदेश से डेस्क की सप्लाई विभागों को हो रही है। इस वजह से स्थानीय उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। जेम पोर्टल पर पंजीकरण के लिए उद्योगों से 300 करोड़ रुपये का टर्नओवर मांगा जा रहा है।
लघु उद्योगों को सुरक्षा की जरूरत : महाजन
बीबीआईए के अध्यक्ष ललित महाजन ने बताया कि लघु उद्योगों को सुरक्षा की जरूरत है। उद्योग नीति लागू होने के बाद एमएसएमई सेक्टर में तीन से चार लाख लोगों को रोजगार मिला है लेकिन उद्योगों की अपनी हालत ठीक नहीं है।
नए उद्योग लगाने पर सरकार ने 2021-22 में प्रोत्साहन राशि 207 करोड़ रुपये तय की थी। यह प्रोत्साहन राशि टोल के एवज में दी गई। इसमें 160 करोड़ रुपये जम्मू संभाग के लिए जबकि 47 करोड़ रुपये श्रीनगर संभाग के लिए थे। इसमें से केवल 14 प्रतिशत ही क्लेम अभी तक उद्योगपतियों को मिला है।
सरकार ने भागथली, लंगेट घाटी और कठुआ के दूसरे इलाकों को नए उद्योग लगाने के लिए चयनित किया गया। इन उद्योगों में न तो बिजली का उचित प्रबंध हो पाया और न ही सड़कों का विकास हो पाया।
सरकार की एजेंसी करेउद्योगपतियों का सहयोग : जैन
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्री के चेयरमैन वीरेंद्र जैन ने बताया कि लघु और स्थानीय उद्योग रोजगार के बड़े अवसर दे रहे हैं। सरकार की एजेंसी को अब इन उद्योगों का सहयोग करना चाहिए। उद्योगपतियों की एसजीएसटी बीती चार तिमाही से बंद है।
ऐसे में उद्योगों को कैसे चलाएंगे। उद्योगपतियों को पहले सरकार का समर्थन मिलता था। 2017 में जीएसटी आने और अन्य व्यवस्थाओं में बदलाव के बाद सरकार ने अपना हाथ खींच लिया। कच्चे माल पर टैक्स ज्यादा लगता है।
वैट पर 14 प्रतिशत का लाभ मिलता था जबकि एसजीएसटी में यह 1.5 से दो प्रतिशत पर फंस गया है। उन्होंने कहा, ज्यादातर उद्योगपतियों के बच्चे अब पुश्तैनी काम को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। पुराने उद्योगों को सरकार के साथ की आवश्यकता है।
इन्होंने भी रखा पक्ष बीबीआईए के महासचिव विराज महाजन, गंग्याल एसोसिएशन के महासचिव संजय लांगर, अनिल गुप्ता वरिष्ठ उपाध्यक्ष (चैंबर), ऋषि गुप्ता वित्त सचिव बीबीआईए, राजीव गुप्ता उपाध्यक्ष सीसीआई, अभिनव आनंद अध्यक्ष त्रिकुटानगर इंडस्ट्री एसोसिएशन और विक्रांत सीमेंट उद्योग कठुआ भी शामिल रहे।