चिशोती त्रासदी का एक माह: मलबे में अब भी अपनों को तलाश रहीं निगाहें, फोन की हर घंटी जगाती है उम्मीद
14 अगस्त को किश्तवाड़ के चिशोती गांव में बादल फटने से आई आपदा में 71 लोगों की मौत हुई और 31 अब भी लापता हैं। एक माह बाद भी लापता लोगों का कोई सुराग नहीं, परिजन उम्मीद और बेबसी के बीच झूल रहे हैं।

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के उपमंडल पॉडर के चिशोती गांव में जहां कभी रहमतों की बारिश होती थी वहां अब मरघटी सन्नाटा है। यहां सिसकियां हैं और दूर तक पसरी डरावनी वीरानी। 14 अगस्त को आसमानी आपदा ने कुछ सेकंड में मौत का तांडव मचा दिया था।

एक झटके में 71 लोगों की मौत हो गई और 31 लापता हो गए। लापता लोगों में चार चिशोती गांव के ही हैं।इस घटना के एक माह बाद भी लापता लोगों की खबर नहीं है। उनके परिजन के फोन पर जब भी किसी अनजाने नंबर से फोन आता है तो उन्हें उम्मीद जग जाती है कि शायद कोई खबर मिले।
एक माह से वे इसी आसा-निराशा के भंवर में हैं। मचैल यात्रा भी अधूरी रह गई, जहां इस वर्ष 3 लाख से अधिक यात्रियों की संख्या होनी थी वहीं अभी दो लाख भी पूरी नहीं हुई कि आपदा ने चिशोती को कभी न भूलने वाला दर्द दे दिया। अब भी जिन चार लोगों के शव बरामद नहीं हुए हैं, उनके परिजन इसी आस में हैं कि कभी तो कुछ समाचार मिलेगा पर उनके विश्वास पर नाउम्मीदी भारी पड़ती जा रही है। एक माह में भारी बारिश व बाढ़ से लापता के शव कहां पहुंचे होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता।
10 दिनों की तलाश में चार-पांच ही शव मिल पाए थे। कुछ शव या तो वहीं भारी मलबे के नीचे दबे मिले या फिर भोटनाला नदी से निकाले गए। कुल 31 लोग अभी लापता हैं। उनके परिवार नाउम्मीद होते जा रहे हैं। चिशोती के जो चार लोग लापता हैं, उनमें बोधराज, सोमनाथ कल्याण सिंह और तुलसी देवी शामिल हैं।
उनके परिजन उनकी खोज खबर पाने के लिए हाकिमों से लेकर देवालयों तक हर ड्योढ़ी पर माथा पटक रहे हैं। चिशोती के लोगों का हाल यह है कि अब वे गांव छोड़ना चाह रहे हैं। उन्हें रात में आसमानी आपदा के डरावने सपने आते हैं। वे चाह रहे हैं कि उन्हें सुरक्षित जगह पर बसाया जाए।

प्रभावित परिवारों के आंसू सूख नहीं पा रहे हैं। इस आपदा में इस गांव के 14 लोग बेघर हुए हैं। जिनके पास दूसरे कस्बों में अपना ठौर था, वे वहां शिफ्ट हो गए हैं। बाकी पड़ोसियों-रिश्तेदारों के घर दिन काट रहे हैं। बेघर लोग सरकार से दूसरी जगह बसाने के साथ आवास की मांग कर रहे हैं।

समितियों के नुकसान आकलन का इंतजार
उपराज्यपाल की ओर से इस आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए बनाई गई टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। केंद्रीय टीम भी आई थी मगर उस दौरान भारी बारिश के कारण वह अपना आकलन नहीं कर सकी।
उसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को वहां जाना था मगर मौसम की खराबी के चलते ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस कर जानकारी ली। उन्होंने तात्कालिक राहत के तौर पर वहां बेली ब्रिज के साथ पॉडर में सैनिक स्कूल खोलने की सहमति जताई।
उन्होंने पाडर-नागसेनी के विधायक सुनील कुमार शर्मा व जिला प्रशासन को कई निर्देश जारी किए थे। गृह मंत्री अमित शाह भी मौसम की खराबी के कारण चिशोती नहीं पहुंच सके थे मगर उन्होंने वहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।

दो सप्ताह बाद खुला खुला चिशोती मार्गदो सप्ताह से बंद चिशोती मार्ग वाहनों के लिए खोल दिया गया है। भारी बारिश के चलते किश्तवाड़ से चिशोती तक दर्जनों जगहों पर भारी भूस्खलन से मार्ग मंद था। किश्तवाड़ से पाडर गुलाबगढ़ व बीकन (ग्रेफ) तक काम चल रहा है। वहां से चिशोती तक पीएमजीएसवाई काम में लगी है। किश्तवाढ़ से साढ़े 8 किमी दूर डूल इलाके के पास पड़े बोल्डर भी हटा दिए गए हैं।