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IND-PAK Ceasefire: नहीं खुले बाजार अब भी दशहत बरकरार,सीमा पर बसने वाले लोगों की जुबानी चार रातों की कहानी

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू कश्मीर/पंजाब/राजस्थान Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 12 May 2025 05:37 AM IST
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सार

पाकिस्तान की इस हरकत से बॉर्डर इलाकों में कई घर तबाह हो गए। खौफ के साये में जी रहे वहां के लोगों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। पता नहीं वह फिर कब हमला कर दे। ग्राउंड जीरो से अमर उजाला के रिपोर्टर बता रहे संघर्षविराम की अगली सुबह के हालात...
 

Operation Sindoor: The next morning after the IND-PAK Ceasefire
संघर्षविराम के बाद लोगों ने सुनाई दर्द की दास्तान... - फोटो : अमर उजाला
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संघर्षविराम की घोषणा के बाद भी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया और कई घंटों तक गोलाबारी करता रहा। पाकिस्तान की इस हरकत से बॉर्डर इलाकों में कई घर तबाह हो गए। खौफ के साये में जी रहे वहां के लोगों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। पता नहीं वह फिर कब हमला कर दे। ग्राउंड जीरो से अमर उजाला के रिपोर्टर बता रहे संघर्षविराम की अगली सुबह के हालात...

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सुरक्षित ठिकानों पर लोगों ने ली है शरण

ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह बौखलाए पाकिस्तान ने तंगधार में मंगलवार रात से ही कहर ढा रखा था। चार रोज तक हर रात भारी गोलाबारी की गई। इन चार दिनों में त्रिबुनि, शमसपोरा, बागबेला, दिलदार, भटपोरा, नवगाबरा गांव में 100 से ज्यादा घर तबाह हो गए। करीब 50 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। हालांकि, अभी सरकार की ओर से आकलन शुरू नहीं हुआ है, लेकिन लोगों के अनुसार यहां काफी नुकसान हुआ है।

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त्रिबुनि में गोलाबारी से कई मकानों में आग लग गई थी, जिससे वे पूरी तरह जल गए हैं। हमलों में कुछ लोग घायल भी हुए थे। यहां से 90 फीसदी लोग सुरक्षित ठिकानों पर शरण लिए हुए हैं। बाकी के लोग दिन-रात बंकरों में काट रहे थे। लोग अभी यहां वापस लौटने से घबरा रहे हैं। उनका कहना है कि बौखलाए पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। पता नहीं कब फिर से हमला कर दे। इस संघर्ष में उनका मकान, दुकानें और वाहन तक नष्ट हो गए हैं। मवेशी भी मारे गए। पाकिस्तान को ऐसे ही छोड़ देना लोगों को गवारा नहीं है। 

कुपवाड़ा के शहरी इलाके में शरण लिए एजाज बट कहते हैं, सब कुछ खोने के बाद अब घर कैसे लौटें। घर बनाना एक सपने की तरह होता है। मेरा तो सपना ही धमाकों के साथ टूट गया। अब दोबारा घर बनाना बहुत मुश्किल है। सरकार अगर मदद करे तो कुछ राहत अवश्य मिल सकती है।

कायरों ने हमें बर्बाद कर दिया
अफरोज बताते हैं, कई वर्षों से हम यहां रह रहे हैं। नागरिकों पर किए गए पाकिस्तान के कायराना हमलों से हमारा आशियाना तबाह हो गया। बड़ी मेहनत से घर बनाया था। कायरों ने हमें बर्बाद कर दिया। पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। पाकिस्तान को ढंग से सबक सिखाना जरूरी था।
-अजीम यूसुफ, कुपवाड़ा के तंगधार से

पाकिस्तान की नीयत पर लोगों को संदेह

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम तो हुआ, लेकिन गोलाबारी पीड़ितों को उम्र भर के लिए जख्म दे गया। पुंछ इस गोलाबारी से काफी प्रभावित हुआ। यहां पांच दिनों तक जमकर गोलाबारी हुई।

ऑपरेशन सिंदूर से पहले भी पाकिस्तानी सेना रात में गोलीबारी कर इस इलाके को निशाना बनाती रही। ऐसे में वह संघर्ष विराम का पालन करेगा, इसे लेकर लोगों के मन में संदेह है। रविवार को भी यहां का माहौल तनावपूर्ण रहा। हालांकि, सुबह से किसी तरह की गोलाबारी की खबर सामने नहीं आई, मगर लोग एहतियातन सुरक्षित ठिकानों पर ही बने रहे। वे अभी घर लौटने को तैयार नहीं है। 

लोगों का कहना है कि अभी कुछ दिन और इंतजार कर पाकिस्तान की नीयत को परखेंगे। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने इस बार नियंत्रण रेखा पर बसे गांव को निशाना बनाया। पुंछ नगर के साथ नियंत्रण रेखा से दूर सुरक्षित माने जाने वाले पुंछ तहसील के बैंच, खनेतर और कलाई पर भी गोले बरसाए हैं।

नियंत्रण रेखा से 35-40 किलोमीटर दूर सुरनकोट तहसील मुख्यालय पर भी ड्रोन से हमला किया। पांच दिन तक चली गोलाबारी में जिले में 16 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए।

पाकिस्तानी गोलाबारी में जिले में 100 से अधिक मवेशी घायल हो गए और दर्जनों मवेशियों की मौत हो गई। 100 अधिक दुकानें, मकान और दर्जनों वाहन तबाह हो गए। जिले में करीब आधा दर्जन धार्मिक स्थलों को भी पाकिस्तानी सेना ने निशाना बनाकर उन्हें क्षति पहुंचाई है। 
-मुनीश शर्मा, पुंछ, जम्मू कश्मीर से
 

फिजां में शांति, घर लौटने लगे लोग

ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान ने उड़ी सेक्टर में रिहायशी इलाकों में काफी नुकसान पहुंचाया। सीजफायर के बाद उड़ी की फिजां में शांति है। लोग धीरे-धीरे घरों की ओर लौट रहे हैं। पाकिस्तान ने उड़ी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के करीब स्थित गावों पर आर्टिलरी फायरिंग की थी।

इसके बाद लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर शरण ली। सिर्फ उड़ी में ही 15 ऐसे गांव रहे, जो पाकिस्तानी शेलिंग से प्रभावित हुए। इनमें गिंगल, चुरुंडा, सलामबाद, दछना, सिलिकूट, लगामा, लच्छीपोरा, गरकोट, थजल, मुथल, तोरना, रुस्तम, कमलकोट, उरूसा और बालाकोट शामिल हैं। गोलाबारी में सबसे ज्यादा नुकसान घरों व अन्य बुनियादी ढांचों को हुआ है। 

उड़ी के रहने वाले मुदस्सिर अहमद बताते हैं, चार दिनों के बाद यहां की फिजां में थोड़ी शांति देखने को मिली है। दुकानें खुलने लगी हैं। लोगों में अब भी डर तो है, जो आहिस्ता-आहिस्ता दूर होगा। बाजार से पहले स्थित गावों की बात करें तो गिंगल, मोहरा, लगामा ऐसे गांव है, जहां करीब 40 मकान और 20-25 गाड़ियां तबाह हो गई हैं।

एक महिला की मौत भी हुई है, जबकि 10-15 लोग घायल हुए हैं। सलामाबाद के रहने वाले चरणजीत सिंह बताते हैं कि काफी दिनों के बाद आज धमाके नहीं सुनाई दिए। सीजफायर से थोड़ी राहत मिली। बेचैनी इस बात की थी कि पाकिस्तान इसका पालन करेगा या नहीं। शुक्र है, रात में गोलाबारी नहीं हुई। एक बार फिर अमन की शुरुआत हुई है। आशा करते हैं कि यह ऐसे ही बरकरार रहे। 
-अमृतपाल सिंह बाली, उड़ी,  जम्मू कश्मीर से
 

नहीं खुले बाजार, अब भी दहशत का माहौल बरकरार

पाकिस्तानी गोलाबारी थम गई है। फिजा में धमाकों की गूंज भले ही थम गई हो, पर दिलों में अब भी शोर है। पाकिस्तान की नीयत पर सवाल है। भरोसे का संकट है। कुछ ऐसा ही है राजोरी का माहौल, जिसे गोलाबारी से काफी नुकसान पहुंचा है। रविवार को सूरज निकला तो लोगों में पाकिस्तान की नापाक हरकतों को लेकर गुस्सा दिखा। दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद भी शनिवार की रात हुई गोलाबारी ने राजोरी के लोगों की शांति की उम्मीदें धूमिल कर दीं। इसी कारण रविवार को बाजार नहीं खुले और लोगों में डर का माहौल बरकरार रहा। हर ओर सन्नाटा पसरा रहा। इतना ही नहीं, राजोरी से निकलकर दूसरे क्षेत्रों में जा चुके राजोरीवासी अब भी अपने घरों में नहीं लौटे हैं। उन्हें अब भी पाकिस्तान पर भरोसा नहीं है।

स्थानीय निवासी राजेश गुप्ता ने कहा कि शनिवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत-पाकिस्तान के सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान कई घंटे तक भारी गोलाबारी करता रहा तो ऐसे में उसका क्या भरोसा है कि वो दोबारा से गोलाबारी नहीं करेगा। एक अन्य निवासी ठाकुर कमल सिंह ने बताया कि इससे पहले भी राजोरी पाकिस्तान के निशाने पर रहा है, और पाकिस्तान के कबायली पहले भी राजोरी पर एक बार छह माह तक कब्जा कर चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान पर भरोसा करना संभव नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान न कभी सच बोलता है और न कभी सच पर चलता है। राजिंदर गुप्ता ने कहा कि सुबह से शांति बनी हुई है, लेकिन पाकिस्तान फिर कब से फायरिंग शुरू कर दे, इसका कोई भरोसा नहीं किया जा सकता।

बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान
पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी ने राजोरी में नागरिक बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी समेत तीन लोगों की जान भी चली गई, जबकि 20 लोग घायल हुए हैं। इन सभी का उपचार अब भी जीएमसी राजोरी में जारी है। जिला प्रशासन के अनुसार, पाकिस्तानी गोलाबारी से नुकसान का पूरा आकलन अभी नहीं हो पाया है, लेकिन अभी तक की जानकारी के अनुसार राजोरी के खेवरा क्षेत्र में तीन मकानों और दो दुकानों को नुकसान पहुंचा है, जबकि ठंडीकस्सी, मुबारखपुरा, इरा दे खेत्र, पलूलिया, मनकोट, टंडवाल आदि गांवों में करीब 40 घरों और 10 से 14 दुकाने क्षतिग्रस्त हुई हैं। नुकसान का पूरा आकलन करने के लिए प्रशासन विशेष टीमें गठित कर जल्द प्रभावित क्षेत्रों में भेजेगा।
-रवि वर्मा, राजोरी,  जम्मू कश्मीर से

उन्होंने बारूद भरने की कोशिश की, हम उस गंध को मिठास में बदलेंगे

संघर्षविराम के करीब 14 घंटे गुजर चुके थे। अगली सुबह रविवार की थी। लेकिन, जो दंश पाकिस्तान की ओर से पंजाब के गांव को दिए गए, उसकी कसक ताउम्र रहेगी। यह कसक होगी, उस गांव में गिरी मिसाइल की...जिसने उनके खेतों में जहरीली बारूद बो दी। रविवार दोपहर करीब 12 बजे फगवाड़ा के गांव साहनी में काफी हलचल दिखी।

लोगों का हुजूम किसान मेजर सिंह के खेत में जमा था। यह वही गांव है, जहां पाकिस्तान ने मिसाइल से हमला किया था और मेजर सिंह के खेत में 10 फीट का गड्ढा पड़ गया था। अब हालात सामान्य हो रहे हैं, क्योंकि सीजफायर के बाद कोई हमला नहीं हुआ है। 

ग्राम पंचायत सदस्य एवं किसान मेजर सिंह कहते हैं...मिसाइल गिरने के बाद धमाके से पूरा गांव दहल गया था। हमले के बाद दहशत थी, लेकिन अब सब ठीक है। जिस खेत में गड्ढा हुआ है, वहां अब फिर से खेत को ठीक कर गन्ना लगाऊंगा। 

वह कहते हैं...पाकिस्तान ने तो उनके खेतों मे जहरीली बारूद बोने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन, हम गन्ने की फसल बोकर बारूद की गंध को मिठास में बदल देंगे। आसपास के किसान भी धान और बाकी फसलें बीजने की तैयारी कर रहे हैं। मेजर सिंह बताते हैं कि मिसाइल के मुख्य हिस्सों को सेना के जवान उठा कर ले गए। जो कुछ छोटे-मोटे टुकड़े पड़े थे, उन्हें लोग उठा कर ले गए। 

गांव के अन्य लोगों हरमेशपाल, बलराज बाऊ, सरपंच सतविंदर सिंह, चमन लाल, सत्या देवी, राम पाल, मोंटी, मनी और सन्नी सिंह ने बताया कि गांव में काफी दहशत का माहौल था। डर के बावजूद संकट की इस घड़ी में पूरा गांव भारतीय सेना के साथ खड़ा है। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट फगवाड़ा के चेयरमैन जरनैल नंगल और जिला योजना बोर्ड कपूरथला की चेयरपर्सन ललित सकलानी ने कहा, लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
-अनिल गोयल, फगवाड़ा के गांव साहनी, पंजाब से 

घर बर्बाद, कार जली, तीन झुलसे...नई जिंदगी शुरू करने की तैयारी 

व्हीलचेयर पर बैठे मोनू सिंह की आवाज शुक्रवार रात पाकिस्तानी हमले की दास्तां सुनाते-सुनाते कांपने लगती है, लेकिन अगले ही पल वह पूरे जोश के साथ कहते हैं...इनको (पाकिस्तान) सबक सिखाने का मौका मिला तो सेना के साथ खड़े होने से पीछे नहीं हटेंगे। 

मोनू सिंह कहते हैं, अब नई जिंदगी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। खेती का काफी काम बाकी है। ठीक होते ही खेत में जुट जाएंगे। धान की रोपाई करनी है। फिरोजपुर-फाजिल्का मार्ग पर सीमावर्ती गांव खाईफेमिकी में 9 मई की रात को ड्रोन हमले में उनके घर का आधा हिस्सा बर्बाद हो गया। कार जल गई और मोनू सिंह समेत उनके परिवार के तीन लोग झुलस गए। लेकिन, वह अब भी दुश्मन से टकराने को तैयार हैं। उनकी माता सुखविंदर कौर और पिता लखविंदर सिंह का भी इलाज चल रहा है। मोनू सिंह कहते हैं, उम्मीद है कि पाकिस्तान संघर्षविराम का पालना करेगा।

खौफ के मारे जागकर काटीं रातें, बाजार खुले 
खाईफेमिकी गांव के लोगों ने दो रातें जाग कर ही काटी हैं। ड्रोन की आवाज से गांव सहम उठता था। अवतार सिंह, उपल कुमार, संदीप कुमार, सोनी बजाज और सैनी ने कहा, हम अपने बच्चों एवं परिवार की महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे थे। हर ओर दहशत का माहौल था। लेकिन, भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद राहत की सांस ली है। अब खाईफेमिकी के बाजार पूरी तरह खुले गए हैं। लोग आम दिनों की तरह खेतों में काम कर रहे हैं। जो लोग गांव छोड़कर चले गए थे, वे भी अब लौटने लगे हैं। 

खाईफेमिकी के बलजीत सिंह, जोगिंदर सिंह और जसविंदर कौर ने बताया, वे दहशत के मारे पास के गांव में अपने रिश्तेदार के यहां चले गए थे। लेकिन, सीजफायर की घोषणा के बाद वापस अपने गांव लौट आए हैं, क्योंकि खेती का सारा काम बाकी है। खेत तैयार करना है। उम्मीद है कि अब शांति रहेगी और उन्हें दोबारा गांव नहीं छोड़ना पड़ेगा।
-जोगिंदर सिंह भोला, खाईफेमिकी गांव, फिरोजपुर, पंजाब

धमाकों से घरों की छतें-दीवारें दरकीं पर लोगों के हौसले अब भी बुलंद

शुक्रवार की रात को धमाकों से दहले गुरदासपुर के गांव राजू बेला में रविवार की सुबह आम दिनों की तरह ही हुई। न सायरन की आवाज, न धमाकों की गूंज। सब कुछ सामान्य। घर की दीवारें और छतें भले ही धमाकों से दरक गईं हों, लेकिन लोगों का हौसला कायम है। सीजफायर की घोषणा के बाद गांव के लोगों के चेहरे पर सुकून साफ देखा जा सकता है।

गांव राजू बेला के भगवंत सिंह कहते हैं...जंग किसी समस्या का समाधान नहीं होती, लेकिन पाकिस्तान जैसे मुल्क को सबक सिखाना भी जरूरी है। अगर पाकिस्तान फिर कोई नापाक हरकत करता है, तो हम सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे। हमने प्रशासन से मांग की है कि खेतों में जो बड़ा गड्ढा बना है, उसे जल्द भरा जाए, ताकि किसानों को दोबारा खेती करने में दिक्कत न हो। खेतों में पानी लगाने की अनुमति भी दी जाए।
-मनन सैनी, गांव राजू बेला, गुरदासपुर, पंजाब से 

राजस्थान : सीमावर्ती इलाकों में दिखे ड्रोन, डर में गुजरी रात

संघर्ष विराम के बाद राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में लोगों ने राहत की सांस ली और बाजार-दुकानें खुल गईं लेकिन रात नौ बजते-बजते आसमान में फिर से पाकिस्तान ने ड्रोन से हमला कर दिया। इससे लोगों में फिर डर फैल गया। सीमावर्ती इलाकों में रातभर अनिश्चितता का माहौल रहा। आसमान में ड्रोन नजर आने के बाद जैसलमेर, बाड़मेर समेत कई सीमावर्ती इलाकों में ब्लैकआउट कर दिया गया। कुछ इलाकों में विस्फोटों की आवाजें भी सुनी गईं।

जैसलमेर निवासी रेवंत सिंह ने बताया कि ड्रोन पहले की दो रातों की तुलना में काफी कम दिखे। यह पाकिस्तान की ओर से घोषित संघर्षविराम का स्पष्ट उल्लंघन है। संघर्षविराम के बाद जैसलमेर और बाड़मेर में शाम को बाजार खुल गए थे। बाड़मेर में ब्लैकआउट वापस ले लिया गया था। जैसलमेर और जोधपुर में भी ब्लैकआउट की अवधि कम कर दी गई थी, लेकिन रात होत-होते संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरें आने के बाद सीमावर्ती जिलों श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बाड़मेर के साथ फलोदी में जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए ब्लैकआउट कर दिया।

बाड़मेर के एक गांव में मिला ड्रोन का मलबा
बाड़मेर में एक गांव में रविवार को ड्रोन का मलबा मिला। सीमावर्ती अनूपगढ़ और श्रीगंगानगर में भी ड्रोन की गतिविधि की सूचना मिली। बृहस्पतिवार व शुक्रवार रात को जैसलमेर और बाड़मेर में पाकिस्तान ने ड्रोन हमले किए थे। भारतीय सेना ने इन हमलों को नाकाम कर दिया था और किसी भी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।
-आदित्य पांडेय, जैसलमेर-बाड़मेर, राजस्थान से

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