कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाया गया है। एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाया है, उसे इस मामले में कितनी सजा मिलेगी इसपर फैसला 25 मई को होगा। यासीन मलिक ने बीते दिनों खुद कबूला था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है।
Terror Funding Case: अलगाववादी नेता यासीन दोषी करार, टेरर फंडिंग से लेकर हत्याओं तक...पढ़ें मलिक के गुनाहों का चिट्ठा
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाया गया है। एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाया है, उसे इस मामले में कितनी सजा मिलेगी इसपर फैसला 25 मई को होगा।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद बताते हैं कि 1989 के आखिर व 1990 के शुरूआत में जेकेएलएफ ही एकमात्र आतंकी संगठन था। उसी ने पंडितों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया। यह संगठन कश्मीर की आजादी का नारा देता था, जो पाकिस्तान को पसंद नहीं था क्योंकि वह कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था। जेकेएलएफ की ओर से घाटी के हालात खराब कर दिए जाने के बाद पाकिस्तान ने हिजबुल को प्रश्रय देना शुरू कर दिया।
इसके बाद जेकेएलएफ ने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया। टेरर फंडिंग से लेकर अन्य आतंकी घटनाओं में शामिल हो गया। जेकेएलएफ आतंकियों ने ही न केवल कश्मीरी पंडितों बल्कि देशभक्त मुस्लिमों पर भी हमले किए। उनका कहना है कि यासीन मलिक की सजा से पूरी घाटी में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र (इको-सिस्टम) को जबर्दस्त झटका लगेगा। तीस साल पहले ऐसी व्यवस्था थी कि ऐसे लोग हीरो बन जाते थे, लेकिन अब उन्हें सजा मिलेगी। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पर लिखा, 'आखिरकार कानून ने यासीन मलिक को पकड़ ही लिया। जो लोग कश्मीर में एक आतंकी को यूथ आइकॉन बनाने के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें आखिरकार एहसास होना चाहिए कि उन्होंने पहले ही कश्मीर के युवाओं को कितना नुकसान किया है। यासीन तो केवल हिमपर्वत का एक सिरा मात्र है।'
घाटी में आतंकवाद का बीज जेकेएलएफ ने ही बोया
घाटी में आतंकवाद का बीज जेकेएलएफ ने ही बोया है। शुरूआत में पाकिस्तान ने इस संगठन को प्रश्रय दिया। घाटी में जब हालात खराब हो गए तो उसने हिजबुल मुजाहिदीन को आगे कर दिया। इस बीच कश्मीरी पंडितों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा। सबसे पहले 1989 में आतंकियों ने भाजपा नेता टीका लाल टपलू की हत्या की।
इस घटना के लगभग डेढ़ महीने बाद सेवानिवृत्त जज नीलकंठ गंजू की हरि सिंह स्ट्रीट में चार नवंबर 1989 को आतंकियों ने हत्या कर दी। यह हत्या आतंकी मकबूल भट को फांसी की सजा सुनाए जाने के बदले में की गई, क्योंकि गंजू ने ही उसे एक इंस्पेक्टर की हत्या मामले में सजा सुनाई थी। हालांकि, इस हत्या की प्राथमिकी में अज्ञात आतंकियों का जिक्र है, लेकिन बताते हैं कि इसमें यासीन मलिक और जावेद मीर नलका शामिल थे।
यासनी मलिक ने एक टीवी इंटरव्यू में भी कबूली थी हत्या
मलिक ने एक टीवी इंटरव्यू में हत्या की बात कबूल भी की थी। आठ दिसंबर 1989 को गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का यासीन मलिक व अन्य आतंकियों ने अपहरण कर लिया। बदले में विभिन्न जेलों में बंद पांच खूंखार आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। इसमें नलका भी था।
इस घटना के लगभग डेढ़ महीने बाद 25 जनवरी 1990 को यासीन मलिक व जेकेएलएफ के अन्य आतंकियों ने श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की। इसमें चार की मौत हो गई, जबकि 40 अन्य घायल हो गए। हाल ही उसने अपने सभी जुर्म कबूल कर लिए हैं।
यासीन मलिक को आजीवान कारावास की मिल सकती है सजा
यासीन के खिलाफ जिन धाराओं में मामला दर्ज है, इसमें उसको अधिकतम आजीवान कारावास की सजा मिल सकती है। यासीन मलिक कश्मीर की राजनीति में सक्रिय रहा है। युवाओं को भड़काने में उसका अहम हाथ माना जाता है। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार नब्बे के दशक से लेकर अब तक 804 कश्मीरी पंडितों (12 मई को प्रधानमंत्री पैकेज मुलाजिम राहुल भट समेत) की आतंकियों ने हत्या कर दी है, लेकिन एक भी मामले में दोषियों को सजा नहीं मिल सकी है। यह पहला मामला होगा जब किसी गुनहगार की सजा पर मुहर लग सकेगी।