Jharkhand News: CM हेमंत सोरेन ने किया आदिवासी प्रतिनिधियों का स्वागत, जानें किन मुद्दों पर हुई बात
कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देशभर से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वागत किया। कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देशभर से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वागत किया। मंत्री दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन सहित बड़ी संख्या में प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में आज देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर अपने हक-अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने और मजबूत होकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। आदिवासी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से देशभर में चल रहे आदिवासी आंदोलनों को नेतृत्व देने का आग्रह भी किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड की धरती सदियों से वीरता, स्वाभिमान और संघर्ष की प्रतीक रही है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन तक, अनेक वीर-वीरांगनाओं के त्याग और संघर्ष ने आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के निर्माण और संरक्षण में आदिवासी समाज की भूमिका अनमोल रही है, और आज एकता और जागरूकता की जरूरत पहले से कहीं अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासी संस्कृति, पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि सामाजिक, शैक्षणिक और बौद्धिक स्तर पर आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसी कड़ी में झारखंड देश का पहला राज्य बना है, जहां आदिवासी समुदाय के विद्यार्थी सरकारी खर्च पर विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में नई रोशनी जगी है और इस उजाले को और प्रखर करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। सरकार हर कदम पर समाज के साथ खड़ी है।
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मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक है, और पर्यावरण संरक्षण उसकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। पूर्वजों ने मिट्टी और धरती की रक्षा के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है, लेकिन आधुनिक समय में प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण बाढ़, सुखाड़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ी हैं। इसलिए प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
अपने संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज के सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण के लिए एकजुटता और आत्मनिर्भरता जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ाना समय की मांग है। देशभर से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार द्वारा आदिवासी हित में किए गए कार्यों की सराहना की और सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधियों की वर्षों की मेहनत की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए आने वाले दिनों में वे स्वयं देश के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि संघर्ष ऐसा होना चाहिए कि हमारी समस्याएँ केवल आवाज तक सीमित न रहें, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनें। हमें यह साबित करना होगा कि हम बिखरे हुए लोग नहीं, बल्कि एक सशक्त राष्ट्र-समुदाय हैं, जिसे इतिहास के किनारे से निकलकर भविष्य के केंद्र तक पहुँचना है।
कार्यक्रम में गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित कई राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने झारखंड की पहल को देशभर के आदिवासी समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। सभी प्रतिनिधियों ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्ष और योगदान को नमन करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन, अशोक चौधरी सहित विभिन्न राज्यों से आए सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।