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Raghubar Das: 'झारखंड में पेसा कानून लागू करो, यूएलबी चुनाव कराओ', पूर्व CM रघुवर दास का हेमंत सरकार पर हमला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची Published by: शबाहत हुसैन Updated Wed, 10 Sep 2025 05:01 PM IST
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सार

Jharkhand: रघुवर दास ने कहा कि 2019 में भाजपा की सरकार के दौरान हमने पेसा का मसौदा तैयार कर लिया था। लेकिन सरकार बदलने के बाद झामुमो–कांग्रेस–राजद गठबंधन ने 2023 में फिर से पेसा नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया और उसे विभिन्न विभागों से राय के लिए भेजा। 

Raghuvar Das attacks Hemant government over implementation of PESA law in Jharkhand
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास - फोटो : Facbook profile
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विस्तार
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पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को आरोप लगाया कि झामुमो नेतृत्व वाले गठबंधन की सरकार जानबूझकर पेसा कानून को लागू करने में देरी कर रही है और नगरीय निकाय (यूएलबी) चुनाव टाल रही है, ताकि अपने राजनीतिक हित साध सके। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि चालू वित्तीय वर्ष में झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों के लिए केंद्र से मिलने वाली 1,400 करोड़ रुपये की राशि यदि पेसा कानून शीघ्र लागू नहीं हुआ तो समाप्त हो जाएगी।

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पंचायत अधिनियम, जिसे आम तौर पर पेसा कानून कहा जाता है, 1996 में पूरे देश में लागू किया गया था। यह अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देता है। लेकिन, इसे अब तक झारखंड में लागू नहीं किया गया है। इसी तरह, दास ने दावा किया कि नगरीय निकाय चुनाव नहीं होने के कारण राज्य हर साल 1,700–1,800 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता से वंचित हो रहा है।

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उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि 2019 में भाजपा की सरकार के दौरान हमने पेसा का मसौदा तैयार कर लिया था। लेकिन सरकार बदलने के बाद झामुमो–कांग्रेस–राजद गठबंधन ने 2023 में फिर से पेसा नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया और उसे विभिन्न विभागों से राय के लिए भेजा। 2024 में इसे विधि विभाग को भेजा गया। तब से सरकार ढुलमुल रवैया अपनाकर अपने हित साध रही है।


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उनके मुताबिक, पेसा लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को बालू घाटों की नीलामी, लघु खनिजों की नीलामी और अन्य स्थानीय संसाधनों पर अधिकार मिलेंगे। उन्होंने बताया कि झारखंड के 13 जिलों के 112 प्रखंड इन अनुसूचित क्षेत्रों में आते हैं। रघुवर दास ने आरोप लगाया, बालू, पत्थर, कोयला और अन्य खनिजों के माफिया सिंडिकेट पेसा को लागू नहीं होने दे रहे हैं। अगर यह कानून लागू हुआ तो नेताओं की जेब में जाने वाले करोड़ों रुपये बंद हो जाएंगे।

उन्होंने यह भी दावा किया कि बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से राज्य को हर साल 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून लागू न कर हमारे आदिवासी समाज को उसके अधिकारों से वंचित करके झामुमो–कांग्रेस सरकार पिछले छह साल से बालू घाटों, लघु खनिजों और वन उत्पादों का शोषण कर रही है। मैं इसकी सीबीआई जांच की मांग करता हूं, ताकि पिछले छह वर्षों में हुए अवैध दोहन का खुलासा हो सके। 

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