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Jharkhand News: आदिवासी और कुर्मी समाज के बीच द्वंद का माहौल, ST में शामिल करने की मांग पर सियासत हो रही गर्म

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Sat, 13 Sep 2025 08:54 PM IST
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सार

Jharkhand News Today: झारखंड में कुरमी जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया है। रांची में आयोजित बैठक में आदिवासी संगठनों ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ अपने रुख को स्पष्ट किया।

Tension between tribals and Kurmis in Jharkhand, atmosphere heated on demand for ST status
आंदोलन के बाद आदिवासी समुदाय में आक्रोश फैल गया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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झारखंड में कुर्मी जाति को आदिवासी (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में हुए आंदोलन के बाद आदिवासी समुदाय में आक्रोश फैल गया है। विभिन्न आदिवासी संगठन लगातार बैठकें कर इस फैसले का विरोध दर्ज कर रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को नगड़ा टोली स्थित सरना भवन में विभिन्न आदिवासी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक का मुख्य मुद्दा रहा। कुड़मी/कुर्मी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा पाने की मांग और उसके विरोध में उठे सवाल।

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कुड़मी/कुर्मी समुदाय मूल आदिवासी नहीं हैं
बैठक में सर्वसम्मति से कहा गया कि कुड़मी/कुर्मी समुदाय मूल आदिवासी नहीं हैं, बल्कि ओबीसी श्रेणी से आते हैं। इन्हें एसटी का दर्जा देना असली आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार, आरक्षण, नौकरियों, जमीन और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर अतिक्रमण होगा। संगठनों का आरोप है कि यह आंदोलन विभिन्न राजनीतिक दलों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है ताकि जनता के असली मुद्दों-भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई से ध्यान हटाया जा सके।

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बैठक में यह भी कहा गया कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा में कुड़मी/कुर्मी समुदाय के नेता रेल रोको और धरना-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जो पूरी तरह असंवैधानिक हैं। इससे रेलवे विभाग को करोड़ों का राजस्व नुकसान और यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है।

'उनके नेता इतिहास में जगह बनाने की कोशिश कर रहे'
आदिवासी प्रतिनिधियों ने सवाल उठाया कि इतिहास में बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू जैसे महान आदिवासी आंदोलनकारियों के संघर्ष में कुड़मी/कुर्मी की कोई भूमिका क्यों नहीं रही, इसके बावजूद उनके नेता इतिहास में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। संगठनों ने यह भी सुझाव दिया कि विवाद का समाधान वैज्ञानिक आधार पर किया जाए। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए, जो आधुनिक पॉपुलेशन जेनेटिक्स, डीएनए रिसर्च, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और सांस्कृतिक विश्लेषण के आधार पर निष्पक्ष जांच करे।

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राजनीति के लिए इस मुद्दे को हवा दे रहे सियासी दल
बैठक में यह भी कहा गया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (2004) और केंद्र की मानव जाति विज्ञान रिपोर्ट (2015) पहले ही कुड़मी/कुर्मी की एसटी मांग को खारिज कर चुकी है। इसके बावजूद राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के लिए इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं।

बैठक में एनजी बिरसा मुंडा के वंशज बुधराम मुंडा, लक्ष्मीनारायण मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, फूलचंद तिर्की, डब्ल्यू मुंडा, निशा भगत, अमर तिर्की, सरदार राहुल तिर्की, राकेश बड़ाईक, राजेश लिंडा, आकाश तिर्की सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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