APJ Abdul Kalam Death Anniversary: निराश हो चुके डाॅ. कलाम को इस शख्स ने दिखाई राह, बदल दिया जीवन

APJ Abdul Kalam Death Anniversary: देश के 11वें राष्ट्रपति रहे और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। डॉ. कलाम भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका जाना विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में जन्में डॉ कलाम एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। बचपन से ही उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। पर बालक कलाम के सपने बड़े थे। वह बचपन में पायलट बनने का सपना देखा करते थे। हालांकि जब वक्त आया तो उनका सपना किन्हीं कारणों से टूट गया। जिन कलाम साहब का पूरा जीवन ही हर युवा के लिए मार्गदर्शन है, प्रेरणा है, उनके जीवन में भी एक दौर ऐसा आया था, जब वह निराश हो गए थे। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसी शख्सियत ने प्रवेश किया, जिनके कारण अब्दुल कलाम को एक नई राह मिली। फिर उन्होंने वैज्ञानिक बनने की ठानी और सफलता की राह पर निकल पड़े। चलिए जानते हैं डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन बदलने वाले उस शख्स के बारे में। जानें आखिर डाॅ. कलाम की निराशा की क्या थी वजह, किसने किया था मिसाइल मैन का मार्गदर्शन।

पायलट बनना चाहते थे डॉ. कलाम
मिसाइल मैन के नाम से दुनियाभर में मशहूर डॉ. कलाम ने पायलट बनने का सपना देखा था। लेकिन बचपन में उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उन्हें इस क्षेत्र में आगे पढ़ा-बढ़ा पाते। डाॅ. कलाम एयरफोर्स में शामिल होने वाले थे, लेकिन यहां पर भी उनका सिलेक्शन न हो सका। परिवार की स्थिति, सपनों को पूरा न कर पाने का दबाव, इन सब के बालक कलाम निराश हो गए और सब छोड़कर ऋषिकेश आ गए।
डाॅ. कलाम की ऐसे हुई थी स्वामी शिवानंद से मुलाकात
ऋषिकेश में उन दिनों गुरु स्वामी शिवानंद महाराज हुआ करते थे, जब उनकी नजर डाॅ. कलाम पर पड़ी, तो उनकी उदासी भी स्वामी जी से छिपी नहीं। स्वामी शिवानंद ने उस बालक से निराशा और उदासी का कारण पूछा। इस पर कलाम साहब ने पूरी बात बताई। डॉ. कलाम ने जब उन्हें अपने जीवन संघर्षों के बारे में बताया तो स्वामी जी ने डॉ. कलाम को समझाया और जीवन की राह दिखाई। स्वामी शिवानंद बालक कलाम को अपने साथ आश्रम ले गए। वहां उनका मार्गदर्शन किया, निराश न होकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
स्वामी शिवानंद ने बदला डाॅ. कलाम का जीवन
स्वामी शिवानंद ने डॉ. कलाम से कहा, ''अपने भाग्य को स्वीकार करो और अपने जीवन में आगे बढ़ो। वायु सेना का पायलट बनना तुम्हारी किस्मत में नहीं है। तुम जो बनने वाले हैं वह अभी जाहिर नहीं हो पाया है, लेकिन यह पूर्व निर्धारित है। इस असफलता को भूल जाओ, क्योंकि तुमको अपने भाग्य के पथ पर चलना है।''
इसके बाद डॉ. कलाम ने अपनी असफलताओं पर निराश होने के बजाए भविष्य को सुधारने का फैसला किया। डॉ. कलाम को स्वामी शिवानंद महाराज ने कुछ पैसे दिए और एक गीता देते हुए अपनी राह को तलाशने के लिए आश्रम से विदा किया। बाद डाॅ कलाम एक बड़े वैज्ञानिक बनकर उभरे।