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Alzheimer's Disease: अल्जाइमर रोग से बचे रहने के लिए रोजाना कितने कदम चलना चाहिए? जानिए विशेषज्ञों की सलाह

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Thu, 06 Nov 2025 03:56 PM IST
सार

  • अल्जाइमर रोग आज दुनिया भर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं में से एक बन गया है। यह एक न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है, जो धीरे-धीरे दिमाग की कोशिकाओं को कमजोर करती है और स्मरण शक्ति, सोचने-समझने की क्षमता व व्यवहार पर गहरा असर डालती है। प

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Alzheimer Prevention Health Tips How Many Steps Should Walk Daily to Keep Brain Healthy
रोजाना कितने कदम चलना चाहिए? - फोटो : adobe stock images

गड़बड़ लाइफस्टाइल और खानपान की दिक्कतों के कारण शरीर के जिन अंगों पर सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है, हृदय और फेफड़ों के साथ मस्तिष्क भी उनमें शीर्ष पर है। हाल के वर्षों में ब्रेन से संबंधित समस्याओं के मामले तेजी से बढ़े हैं। कम उम्र के लोग याददाश्त कम होने, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और भूलने की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।



मेडिकल रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले एक-दो दशकों में अल्जाइमर रोग के मामलों में तेजी से वृद्धि आई है। पहले जहां अल्जाइमर-डिमेंशिया की समस्या 60 साल की उम्र के बाद देखी जाती थी वहीं अब 50 की उम्र वालों में भी इसके लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं।

डॉक्टर बताते हैं, अल्जाइमर रोग तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है। यह एक न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है, जो धीरे-धीरे दिमाग की कोशिकाओं को कमजोर करती है और स्मरण शक्ति, सोचने-समझने की क्षमता व व्यवहार पर गहरा असर डालती है। इस बीमारी का सटीक कारण अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन जेनेटिक्स, असंतुलित जीवनशैली, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कारण इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं।

हालांकि अच्छी बात यह है कि जीवनशैली में कुछ बदलावों की मदद से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है। 
 

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अल्जाइर-डिमेंशिया का खतरा - फोटो : Freepik.com

अल्जाइमर रोग से बचे रहने के लिए करें वॉक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ अल्जाइमर से बचे रहने के लिए खूब पैदल चलने की सलाह देते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि रोजाना कितने कदम चलने की आदत इसमें आपके लिए मददगार हो सकती है?

जब बात डेली वॉक करने की आती है तो कई अध्ययन रोजाना 10 हजार कदम चलने की सलाह देते हैं। इससे हृदय रोग सहित कई क्रॉनिक बीमारियों का खतरा कम होता है। पर अल्जाइमर रोग से बचे रहने के लिए आपको 10 हजार कदम भी नहीं चलना है। 

हार्वर्ड मेडिकल से संबंधित ब्रिघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि अगर आप 3000-5000 कदम भी रोजाना चल लेते हैं तो ये भी आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।

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अल्जाइमर रोग का बढ़ता खतरा - फोटो : Adobe Stock

रोजाना 3,000 से 5,000 कदम जरूर चलें

नेचर मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि महज वॉक करते रहने की आदत भी आपमें अल्जाइमर रोग होने की आशंकाओं को कम करने में मदद कर सकती है।

14 साल तक चले इस अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि जो लोग रोजाना 3,000 से 5,000 कदम चलते थे, उनमें संज्ञानात्मक गिरावट औसतन तीन साल और जो लोग 5,000 से 7,000 कदम चलते थे, उनमें सात साल डिले हो सकती है। 

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मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं का खतरा - फोटो : Adobe Stock

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

ब्रिघम हॉस्पिटल में इस अध्ययन की लेखिका डॉ. वाई-यिंग याउ ने कहा, हम अल्जाइमर के जोखिम वाले लोगों को अपनी गतिविधियों के स्तर में छोटे-छोटे बदलाव करने की सलाह देते रहते हैं।

50 से 90 वर्ष की आयु के 296 लोगों के आंकड़ों का इस अध्ययन के लिए विश्लेषण किया गया, इनकी संज्ञानात्मक क्षमता अध्ययन की शुरुआत में बिल्कुल ठीक थी। जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय थे और खूब चलते थे उनमें समय के साथ संज्ञानात्मक गिरावट या टाउ प्रोटीन कम देखा गया। टाउ प्रोटीन का स्तर अधिक होना न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और अल्जाइमर रोग को बढ़ाने वाला पाया गया है।

लिहाजा अगर आप अल्जाइमर से बचे रहना चाहते हैं तो खूब चलने की आदत बना लीजिए।

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ब्रेन हेल्थ से संबंधित समस्याओं का जोखिम - फोटो : Adobe stock

कहीं आपको भी तो नहीं है अल्जाइमर रोग?

अगर आपको इस बात का अंदेशा है कि कहीं आप अल्जाइमर का शिकार तो नहीं हो गए हैं? तो इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञ ने कुछ सवाल बताए हैं जो आपको खुद से पूछने चाहिए, इससे काफी हद तक अंदाजा लगया जा सकता है कि आपको समस्या है या नहीं?

जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में अल्जाइमर विभाग के प्रोफेसर डॉ. पीटर रबिन्स ने 40 वर्षों तक इस बीमारी से पीड़ित लोगों पर अध्ययन किया। वह कहते हैं, ये समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है जिसे लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहना चाहिए। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


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स्रोत
Physical activity as a modifiable risk factor in preclinical Alzheimer’s disease


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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