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Breast Cancer: कम उम्र की महिलाओं में भी बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, सामने आई इसकी चौंकाने वाली वजह

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 01 Nov 2025 05:12 PM IST
सार

  • पुरुषों में फेफड़े और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। अकेले ब्रेस्ट कैंसर के कारण ही साल 2022 में 6.70 लाख लोगों की मौत हो गई। 
     
  • स्वीडिश वैज्ञानिकों ने 20 लाख से ज्यादा महिलाओं पर नजर रखी। शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक सेवन न सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर, बल्कि कई अन्य प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

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Contraceptive Pills Linked to Breast Cancer Study Finds a Shocking Connection
स्तन कैंसर का खतरा - फोटो : Amarujala.com
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विस्तार
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आज के समय में कैंसर भी उसी तरह से आम हो गया है, जैसा कि डायबिटीज और हृदय रोग। कैंसर को कुछ दशकों पहले तक जानलेवा और लगभग लाइलाज रोग माना जाता था, हालांकि मेडिकल साइंस की प्रगति और प्रभावी दवाओं ने कैंसर के इलाज को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि कैंसर रोगी अब ठीक होकर आसानी से जीवन-यापन भी कर सकते हैं। पर अब भी कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है, जिसके चलते हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है।

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साल 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस साल लगभग 97 लाख लोगों की मौत कैंसर के कारण हुई। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि साल 2050 तक ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दवाब पड़ने की भी आशंका है। पुरुषों में फेफड़े और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। अकेले ब्रेस्ट कैंसर के कारण ही साल 2022 में 6.70 लाख लोगों की मौत हो गई। 
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ब्रेस्ट कैंसर के मामले अब 20 की उम्र वाली महिलाओं में भी देखे जा रहे हैं, इसलिए इसकी रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ाना और स्तन कैंसर से बचाव के लिए निरंतर उपाय करते रहना बहुत जरूरी हो गया है।

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ब्रेस्ट संक्रमण का खतरा - फोटो : Adobe Stock

ब्रेस्ट कैंसर और इसके जोखिम

इंडियन कैंसर सोसाइटी की हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में हर साल ब्रेस्ट कैंसर के लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं और इनमें बड़ी संख्या युवा महिलाओं की है। शोध बताते हैं कि हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, तनाव, नींद की कमी, और असंतुलित आहार स्तन कैंसर के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अध्ययनों में प्लास्टिक वाली चीजों के अधिक इस्तेमाल,अल्कोहल, शारीरिक गतिविधियों में कमी को भी स्तन कैंसर के जोखिमों को बढ़ाने वाला पाया गया है।

इसी क्रम में एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक इस्तेमाल करती रहती हैं, उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक हो सकता है।

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गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान - फोटो : Adobe Stock Photos

गर्भनिरोधक गोलियों के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते जोखिमों को समझने के लिए किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भनिरोधक गोलियों और स्तन में ट्यूमर विकसित होने के बीच गहरा संबंध होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन उत्प्रेरक होते हैं, जिनकी अधिकता को पहले भी कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है।

इस संबंध को समझने के लिए स्वीडिश वैज्ञानिकों ने 20 लाख से ज्यादा महिलाओं पर नजर रखी। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन पिल्स का अधिक सेवन न सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर, बल्कि कई अन्य प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

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दवाओ के इस्तेमाल को लेकर बरतें सावधानी - फोटो : Freepik.com

अध्ययन में क्या पता चला?

जामा ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा, ज्यादातर गर्भनिरोधक गोलियों में डेसोगेस्ट्रेल नामक प्रोजेस्टेरोन का इस्तेमाल किया जाता रहा है, ये स्तन कैंसर के खतरे को कई गुना तक बढ़ाने वाला हो सकता है। 

आंकड़े बताते हैं कि अकेले यूके में 16-49 की उम्र की 31 लाख से अधिक महिलाएं इस तरह के पिल्स का इस्तेमाल करती हैं। कुछ मामलों में ये पिल्स ओव्यूलेशन को भी रोक सकती है। वैसे तो अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह 99.7 प्रतिशत प्रभावी है, लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के या फिर इन दवाओं का अधिक इस्तेमाल स्तन कैंसर सहित कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है।

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स्तन कैंसर से बचाव के करें उपाय - फोटो : Adobe Stock Images

स्तन कैंसर से बचाव के करें उपाय

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन महिलाओं में आनुवांशिक रूप से स्तन कैंसर का खतरा अधिक हो उन्हें विशेष सतर्कता बरतते रहने की जरूरत होती है। महिलाओं को नियमित रूप से सेल्फ-एग्जामिनेशन करते रहने के साथ समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराते रहना चाहिए। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव को कंट्रोल करना और धूम्रपान-शराब से दूरी स्तन कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए यह समझना जरूरी है कि जितना जल्दी इसकी पहचान होगी आपमें इसका खतरा उतना ही कम हो सकता है। शुरुआती चरणों में अगर स्तन कैंसर का निदान हो जाता है तो इसका इलाज और रोगी की जान बचना दोनों आसान हो जाता है।



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स्रोत
Hormonal Contraceptive Formulations and Breast Cancer Risk in Adolescents and Premenopausal Women


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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