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Bowel Cancer Risk: खान-पान की ये गड़बड़ी पेट के कैंसर को देती है न्योता, अलर्ट न हुए तो जा सकती है जान

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 21 Nov 2025 12:44 PM IST
सार

  • अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि साल 2040 तक बाउल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग 32 मिलियन प्रतिवर्ष हो सकती है, जो स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा बोझ डाल सकती है ।भारत में भी बाउल कैंसर की स्थिति काफी चिंताजनक है।
  • अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि 50 साल से कम उम्र की जो महिलाएं अक्सर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाती हैं, उनमें बॉवेल पॉलिप होने की आशंका काफी ज़्यादा होती है, जिसे कैंसर से जोड़ा गया है।

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study says Consuming Ultra-Processed Foods Increase Risk Of Stomach bowel Cancer
पेट के कैंसर का खतरा - फोटो : Freepik.com

दुनियाभर में तेजी से बढ़ती गंभीर और क्रॉनिक बीमारियों के लिए खानपान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी को प्रमुख कारण माना जाता रहा है। कैंसर के मामलों में जिस तरह से वृद्धि देखी जा रही है वो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनी हुई है। कैंसर और हृदय रोगों के कारण हर साल वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक लोगों की जान जाती है। अध्ययनों से पता चलता है कि युवाओं में भी  कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, जिसपर अगर समय रहते नियंत्रण न पाया गया तो यह गंभीर समस्याकारक हो सकता है। 



पिछले दो दशकों के आंकड़े उठाकर देखें तो दुनियाभर में कैंसर के मामलों का ग्राफ तेजी से ऊपर गया है, विशेषकर बाउल (कोलोरेक्टल) कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। कोलोरेक्टल कैंसर के नए मामलों की संख्या 1990 में लगभग 8.4 लाख से बढ़कर 2019 में 21 लाख तक पहुंच गई है । यह वृद्धि इसे दुनिया के सबसे तेजी से फैलने वाले कैंसरों में शामिल करती है।

इसको लेकर एक हालिया रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि खानपान में गड़बड़ी विशेषतौर पर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजों का अधिक सेवन बाउल कैंसर के खतरे को बढ़ाती जा रही है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

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बाउल कैंसर के बढ़ते मामले - फोटो : Freepik.com

बाउल कैंसर का बढ़ता ग्राफ चिंताजनक

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि साल 2040 तक बाउल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग 32 मिलियन प्रतिवर्ष हो सकती है, जो स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा बोझ डाल सकती है ।भारत में भी बाउल कैंसर की स्थिति काफी चिंताजनक है। साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 64,863 नए मामले और 38,367 मौतें दर्ज की गईं ।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरी क्षेत्रों में इसकी दर ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक है, जिसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी मानी जाती है।

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गड़बड़ खानपान से सेहत को खतरा - फोटो : Freepik.com

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स हैं सेहत का दुश्मन

बाउल कैंसर के कारणों को समझने के लिए किए गए एक हालिया अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि 50 साल से कम उम्र की जो महिलाएं अक्सर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाती हैं, उनमें बॉवेल पॉलिप होने की आशंका काफी ज़्यादा होती है, जिसे कैंसर से जोड़ा गया है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, जिनमें आमतौर पर फाइबर कम होता है और जो इमल्सीफायर से भरे होते हैं, लंबे समय तक इसके सेवन से कैंसर होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। कैंसर रिसर्च यूके और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा शुरू की गई एक ग्लोबल रिसर्च पहल में लोगों को इस तरह के खानपान से परहेज करने की सलाह दी गई है।

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पेट के कैंसर से कैसे बचें? - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि जो लोग सबसे  अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजें ज्यादा खाते थे, उनकी बड़ी आंत या रेक्टम पर कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि होने का खतरा 45 परसेंट ज़्यादा था। वैसे तो पॉलिप आमतौर पर नुकसान पहुंचाने वाले नहीं होते हैं लेकिन कुछ मामलों में समय के साथ ये कैंसर बन सकता है। 

मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में क्लिनिकल और ट्रांसलेशनल एपिडेमियोलॉजी के एक्सपर्ट और स्टडी के मुख्य लेखक डॉ. एंड्रयू चैन ने कहा 'हम कम उम्र के लोगों में आंत के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते हुए देख रहे हैं और हमें अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों है? 

इस अध्ययन में हमने पाया कि एक्सरसाइज की कमी और गट माइक्रोबायोम में गड़बड़ी जैसे संभावित कारक कैंसर को बढ़ाने वाले हो सकते हैं और  अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजें इसमें आग में घी की तरह से काम करती हैं। 

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आहार पर दें ध्यान - फोटो : Freepik.com

बाउल कैंसर से बचने के लिए खानपान में करें सुधार

औसतन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजों का सेवन कुल दैनिक कैलोरी का लगभग 35 प्रतिशत होता है, जो मुख्य रूप से ब्रेड और नाश्ते के खाद्य पदार्थों, सॉस, स्प्रेड और शर्करा युक्त पेय से प्राप्त होता है।

बाउल कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसके शुरुआती लक्षण सामान्य गैस-एसिडिटी या आंत संबंधी समस्याओं जैसे लगते हैं, जिससे मरीज देर से डॉक्टर तक पहुंचते हैं। देर से पता चलने पर इसका इलाज कठिन हो जाता है और मृत्यु जोखिम बढ़ जाता है। उच्च वसा और तले हुए खाद्य पदार्थ, मोटापा, धूम्रपान और शराब जैसी आदतों के कारण भी इस तरह के कैंसर के मामलों में वृद्धि रिपोर्ट की जाती रही है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
 

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