दुनियाभर में तेजी से बढ़ती गंभीर और क्रॉनिक बीमारियों के लिए खानपान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी को प्रमुख कारण माना जाता रहा है। कैंसर के मामलों में जिस तरह से वृद्धि देखी जा रही है वो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनी हुई है। कैंसर और हृदय रोगों के कारण हर साल वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक लोगों की जान जाती है। अध्ययनों से पता चलता है कि युवाओं में भी कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, जिसपर अगर समय रहते नियंत्रण न पाया गया तो यह गंभीर समस्याकारक हो सकता है।
Bowel Cancer Risk: खान-पान की ये गड़बड़ी पेट के कैंसर को देती है न्योता, अलर्ट न हुए तो जा सकती है जान
- अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि साल 2040 तक बाउल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग 32 मिलियन प्रतिवर्ष हो सकती है, जो स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा बोझ डाल सकती है ।भारत में भी बाउल कैंसर की स्थिति काफी चिंताजनक है।
- अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि 50 साल से कम उम्र की जो महिलाएं अक्सर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाती हैं, उनमें बॉवेल पॉलिप होने की आशंका काफी ज़्यादा होती है, जिसे कैंसर से जोड़ा गया है।
बाउल कैंसर का बढ़ता ग्राफ चिंताजनक
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि साल 2040 तक बाउल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग 32 मिलियन प्रतिवर्ष हो सकती है, जो स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा बोझ डाल सकती है ।भारत में भी बाउल कैंसर की स्थिति काफी चिंताजनक है। साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 64,863 नए मामले और 38,367 मौतें दर्ज की गईं ।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरी क्षेत्रों में इसकी दर ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक है, जिसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी मानी जाती है।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स हैं सेहत का दुश्मन
बाउल कैंसर के कारणों को समझने के लिए किए गए एक हालिया अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि 50 साल से कम उम्र की जो महिलाएं अक्सर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाती हैं, उनमें बॉवेल पॉलिप होने की आशंका काफी ज़्यादा होती है, जिसे कैंसर से जोड़ा गया है।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, जिनमें आमतौर पर फाइबर कम होता है और जो इमल्सीफायर से भरे होते हैं, लंबे समय तक इसके सेवन से कैंसर होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। कैंसर रिसर्च यूके और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा शुरू की गई एक ग्लोबल रिसर्च पहल में लोगों को इस तरह के खानपान से परहेज करने की सलाह दी गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि जो लोग सबसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजें ज्यादा खाते थे, उनकी बड़ी आंत या रेक्टम पर कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि होने का खतरा 45 परसेंट ज़्यादा था। वैसे तो पॉलिप आमतौर पर नुकसान पहुंचाने वाले नहीं होते हैं लेकिन कुछ मामलों में समय के साथ ये कैंसर बन सकता है।
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में क्लिनिकल और ट्रांसलेशनल एपिडेमियोलॉजी के एक्सपर्ट और स्टडी के मुख्य लेखक डॉ. एंड्रयू चैन ने कहा 'हम कम उम्र के लोगों में आंत के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते हुए देख रहे हैं और हमें अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों है?
इस अध्ययन में हमने पाया कि एक्सरसाइज की कमी और गट माइक्रोबायोम में गड़बड़ी जैसे संभावित कारक कैंसर को बढ़ाने वाले हो सकते हैं और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजें इसमें आग में घी की तरह से काम करती हैं।
बाउल कैंसर से बचने के लिए खानपान में करें सुधार
औसतन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजों का सेवन कुल दैनिक कैलोरी का लगभग 35 प्रतिशत होता है, जो मुख्य रूप से ब्रेड और नाश्ते के खाद्य पदार्थों, सॉस, स्प्रेड और शर्करा युक्त पेय से प्राप्त होता है।
बाउल कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसके शुरुआती लक्षण सामान्य गैस-एसिडिटी या आंत संबंधी समस्याओं जैसे लगते हैं, जिससे मरीज देर से डॉक्टर तक पहुंचते हैं। देर से पता चलने पर इसका इलाज कठिन हो जाता है और मृत्यु जोखिम बढ़ जाता है। उच्च वसा और तले हुए खाद्य पदार्थ, मोटापा, धूम्रपान और शराब जैसी आदतों के कारण भी इस तरह के कैंसर के मामलों में वृद्धि रिपोर्ट की जाती रही है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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