Study: फ्लू को बस सर्दी-जुकाम समझने की न करें भूल, कहीं हार्ट अटैक का न बन जाए कारण
- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 155 अध्ययनों की समीक्षा में पाया कि कोविड, फ्लू या लंबे समय तक वायरल संक्रमण से पीड़ित होने से दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
विस्तार
Flu & Heart Attack: बीते कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों में फ्लू के मामले तेजी से बढ़े हैं। मौसम में बदलाव, वायरस में हुए म्यूटेशन और कमजोर इम्युनिटी की वजह से लोग बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे हैं।
अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने जापान और फिर मलेशिया में फैले फ्लू के संक्रमण और इसके कारण बिगड़े हालात के बारे में जानकारी दी थी। भारत में भी फ्लू के नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल देखा गया था। अगर आप इस संक्रमण को हल्के में लेते हैं, इसे सामान्य सर्दी-जुकाम मानकर अनेदखा कर देते हैं तो सावधान हो जाइए, कहीं ये किसी गंभीर समस्या का कारण न बन जाए?
हालिया रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार फ्लू के कुछ नए वैरिएंट्स सामने आए हैं, जो पहले की तुलना में न सिर्फ ज्यादा खतरनाक हैं बल्कि इसके कारण कई लोगों को अस्पतालों तक में भर्ती होना पड़ा है। इन्फ्लुएंजा वायरस लगातार बदलता रहता है। आमतौर पर इससे संक्रमण की स्थिति में बुखार, गले में खराश, बदन दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण ज्यादा देखने को मिलते रहे हैं।
हालांकि अब अध्ययनों में अलर्ट किया जा रहा है कि फ्लू जैसे संक्रमण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर और जानलेवा समस्याओं का कारण बन सकते हैं जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
कोविड, फ्लू के कारण हार्ट अटैक का जोखिम
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 155 अध्ययनों की समीक्षा में पाया कि कोविड, फ्लू या लंबे समय तक वायरल संक्रमण से पीड़ित होने से दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक कोविड या फ्लू के संक्रमण से पीड़ित थे, उनमें संक्रमण के बाद के हफ्तों में हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम, अन्य लोगों की तुलना में पांच गुना अधिक था।
जिन लोगों को फ्लू हुआ, उनमें संक्रमण के एक महीने के भीतर दिल का दौरा पड़ने का चार गुना और स्ट्रोक का पांच गुना अधिक जोखिम पाया गया।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, हम सभी को इस तरह के जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है, फ्लू जैसे संक्रमण भी कई बार गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
अध्ययन में क्या पता चला?
अध्ययन में पाया गया कि कोविड से संक्रमित लोगों में संक्रमण के 14 हफ्तों के भीतर दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की आशंका तीन गुना अधिक देखी गई।
यहां जोखिम सिर्फ वायरल संक्रमण तक ही सीमित नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि एचआईवी, हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमण से पीड़ित रोगियों में हार्ट अटैक का जोखिम 60 प्रतिशत और स्ट्रोक का जोखिम कुल मिलाकर 45 प्रतिशत अधिक देखा गया।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले महामारी विज्ञानी डॉ. कोसुके कवाई कहते हैं, यह सर्वविदित है कि मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी), हेपेटाइटिस बी वायरस और अन्य वायरस कैंसर का कारण बन सकते हैं। हालांकि, वायरल संक्रमण के कारण हृदय रोग जैसी गैर-संचारी बीमारियों के बीच संबंध को कम ही समझा गया है।
वायरल संक्रमण कैसे बनता है हार्ट अटैक का कारण
वैज्ञानिकों ने कहा, दशकों से वायरल संक्रमण, दिल के दौरे या स्ट्रोक के बीच संबंध होने का संदेह रहा है। इस अध्ययन में इन संबंधों की पुष्टि होती है।
यह स्पष्ट नहीं है कि संक्रमण इन जोखिम क्यों बढ़ाते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिरक्षा प्रणाली के अति सक्रिय होने से शरीर में इंफ्लेमेशन की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे रक्त के थक्के बनने और इसके कारण हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमण से पीड़ित होने के बाद वृद्ध लोगों में युवाओं की तुलना में जोखिम कहीं अधिक होता है।
यूटीआई के कारण हार्ट अटैक का खतरा
इससे पहले अमर उजाला में सितंबर में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि किस तरह से यूटीआई के कारण हार्ट अटैक होने का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
शोध में विशेषज्ञों की टीम ने बताया है कि दुनियाभर में लाखों लोगों को होने वाले कुछ आम वायरल संक्रमण जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) हार्ट अटैक की समस्या को ट्रिगर करने वाले हो सकते हैं। इनका आपस में क्या संबंध है इसे जानने के लिए यहां क्लिक करें।
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स्रोत
Viral Infections and Risk of Cardiovascular Disease: Systematic Review and Meta‐Analysis
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