प्रभा किरण
स्वस्थ शरीर और लंबी उम्र के लिए सेहतमंद दिल जरूरी है। चिकित्सक कहते हैं, आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में अनियमित भोजन और नींद ने दिल के रोगों को बढ़ा दिया है। महिलाओं में भी दिल की बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ा है। ऐसे में आपने अपनी और परिवार की सेहत के लिए क्या इंतज़ाम किए हैं?
अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 2022 की रिपोर्ट को देखें तो हृदय संबंधी रोग वैश्विक स्तर पर मौत का सबसे बड़ा कारण है। वर्ष 2022 में 198 लाख लोगों की मौतें हृदय रोगों से हुईं, जो विश्व की कुल मृत्यु का करीब 32 प्रतिशत है। इन मौतों में से 85 प्रतिशत दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण हुईं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-लॉस एंजिल्स का एक हालिया अध्ययन कहता है कि महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा उनकी जीवन-शैली और रोजगार की स्थिति पर निर्भर करता है। ऐसे में यदि आप भी बिना सोचे-समझे फास्ट फूड, पैक्ड फूड, तली-भुनी चीजें खाती हैं और समय पर न सोने जैसी आदतें अपनाती हैं तो सतर्क हो जाइए। यह अस्वस्थ आदतें कम उम्र में दिल की बीमारियों को जन्म दे रही हैं। विशेष रूप से 35 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं में अचानक दिल का दौरा और कार्डियक अरेस्ट जैसे गंभीर मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में वक्त आ गया है कि महिलाएं अपने और परिवार के सदस्यों के दिल की सेहत को प्राथमिकता दें और संतुलित जीवन-शैली अपनाएं।
किसको अधिक खतरा
एक स्वस्थ दिल न केवल शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि लंबी उम्र और बेहतर जीवन-शैली का आधार भी होता है। लेकिन आज के समय में दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है आपकी अनियमित जीवन-शैली। अधिक तला-भुना, वसायुक्त और प्रोसेस्ड फूड का सेवन, नियमित व्यायाम न करना, तनाव, नींद की कमी और मोटापा, ये सभी कारण दिल को कमजोर बनाते हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि महिलाओं के लिए दिल की बीमारियों का खतरा कुछ अलग रूपों में भी सामने आता है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब किसी महिला को समय से पहले मेनोपॉज हो जाता है तो उस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। इससे उस महिला को आर्थराइटिस और दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। मेनोपॉज के समय मानसिक तनाव और अवसाद की समस्या भी आम है, जो दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज होने पर भविष्य में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिलाओं में भी दिल की समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। वहीं एक अन्य अहम कारण है, रूमेटाइड आर्थराइटिस यानी गठिया। इससे शरीर में सूजन बढ़ जाती है और रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए महिलाओं को अपने दिल की सेहत के प्रति अधिक सतर्क रहने, समय पर जांच कराने और जीवन-शैली में सुधार लाने की जरूरत है।