Tulsi Vivah 2025: कब और कैसे होता है तुलसी विवाह? जानिए इसका महत्व और इन 5 बातों का रखें खास ध्यान
Tulsi Vivah 2025 : तुलसी विवाह 2025 में 2 नवंबर को भगवान विष्णु और तुलसी माता का दिव्य मिलन होगा। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और वो 5 बातें जो इस दिन जरूर ध्यान रखें।
विस्तार
Tulsi Vivah 2025 : भारत की धार्मिक परंपराओं में एक ऐसा पर्व तुलसी विवाह है जो न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है बल्कि वैवाहिक जीवन की पवित्रता और समृद्धि का भी प्रतीक है। यह पर्व भगवान विष्णु और तुलसी माता (वृंदा देवी) के दिव्य विवाह के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन से देवताओं के विवाह और शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।
तुलसी विवाह 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह 2025 में 2 नवंबर को मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को पड़ता है, जिसे ‘देव उठनी एकादशी’ के अगले दिन मनाया जाता है। द्वादशी तिथि 2 नवंबर की सुबह 7:31 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर की सुबह 5:07 बजे तक रहेगी।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
सुबह 5:00 बजे से 6:30 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त है। शाम 6:00 से 8:00 बजे के बीच तुलसी विवाह का संकल्प करना शुभ माना जाता है।
क्यों मनाया जाता है तुलसी विवाह?
तुलसी विवाह के पीछे एक गहरी पौराणिक कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि वृंदा देवी नामक एक पवित्र स्त्री भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। उनके पति जालंधर असुर होने के बावजूद उनकी भक्ति से शक्तिशाली बने। जब विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए जालंधर का वध किया, तब वृंदा देवी ने अपने पति की मृत्यु का कारण विष्णु को बताया और स्वयं अग्नि में समा गईं। भगवान विष्णु ने उनके तप और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें तुलसी के रूप में जन्म दिया और वचन दिया कि वे हर वर्ष तुलसी से विवाह करेंगे। तभी से तुलसी विवाह की परंपरा शुरू हुई। यह पर्व नारी की भक्ति, समर्पण और सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। तुलसी विवाह करने से घर में समृद्धि, शांति और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
पूजा स्थल की तैयारी
घर के आंगन या बालकनी में तुलसी का पौधा रखें। तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाएं। साड़ी, बिंदी, गहने और सिंदूर से श्रृंगार करें।
भगवान विष्णु (शालिग्राम) की स्थापना
तुलसी माता के पास शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। दोनों को फूलों से सजाएं।
विवाह संस्कार
तुलसी और विष्णु जी को हार पहनाएं। रोली, हल्दी, अक्षत, फूल, दीपक और मिठाई से पूजा करें। विवाह मंत्र या तुलसी विवाह कथा का पाठ करें। प्रतीकात्मक रूप से तुलसी माता को मंगलसूत्र पहनाया जाता है।
आरती और प्रसाद वितरण
तुलसी माता और विष्णु जी की आरती करें, फिर प्रसाद बांटें। परिवार के सभी सदस्य इसमें भाग लें।
पूजा सामग्री लिस्ट
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तुलसी का पौधा
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शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति
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फूल, माला, दीपक, धूपबत्ती
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हल्दी, कुमकुम, रोली, अक्षत
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नारियल, मिठाई, फल
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मंगलसूत्र (प्रतीकात्मक)
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लाल या पीली साड़ी तुलसी माता के वस्त्र के लिए
तुलसी विवाह के दिन रखें इन 5 बातों का खास ध्यान
- शुद्धता का पालन करें। पूजा स्थल को पवित्र रखें और स्नान के बाद ही पूजा शुरू करें।
- शुभ मुहूर्त में विवाह करें। तुलसी विवाह हमेशा द्वादशी तिथि में और शुभ लग्न में करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचें। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है।
- भक्ति भाव से विवाह संस्कार करें। तुलसी विवाह केवल रिवाज नहीं, एक दिव्य मिलन का प्रतीक है। इसे श्रद्धा और प्रेम से करें।
- भोग में सात्विकता रखें। इस दिन सात्विक भोजन करें और तुलसी के पत्तों से सजी खीर, हलवा या पंचामृत का भोग लगाएं।