Liver Transplant: लिवर ट्रांसप्लांट में भारत नंबर वन, आखिर क्यों बढ़ रही है लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत
- ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन ऑर्गन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन और नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार देश में 2024 में लगभग 5000 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
- अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत कब पड़ती है? और पहले से ही क्या उपाय किए जाएं कि भविष्य में इस तरह की कोई नौबत ही न आने पाए?
विस्तार
कैंसर और हृदय रोग तो वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हैं ही, पर भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत समय पर आवश्यक अंग न मिल पाने के कारण भी हो जाती है। हालांकि इस दिशा में कई व्यापक प्रयास और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं जिससे अंगदान के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आएं और जरूरतमंदों को समय पर अंग मिल सके।
इससे संबंधित एक हालिया रिपोर्ट काफी राहत देने वाली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया में सबसे अधिक संख्या में लिवर प्रत्यारोपण करने वाला देश बन गया है। यह जानकारी लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के वार्षिक सम्मेलन में दी गई। इसमें दुनियाभर के विशेषज्ञ दिल्ली में जुटे हैं।
ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन ऑर्गन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन और नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार देश में साल 2024 में लगभग 5000 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
लिवर की कमी हो होती है बड़ी संख्या में मौतें
मेडिकल रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में हर साल प्रत्यारोपण के लिए जरूरी अंगों की कमी के कारण करीब पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। हर दिन कम से कम 15 लोगों की मौतों का एक बड़ा कारण अंगों की कमी है। बड़ी संख्या में लोगों की मौत लिवर फेलियर और समय पर लिवर ट्रांसप्लांट न होने के कारण भी हो जाती है, हालांकि भारत ने इसमें काफी सुधार किया है। जहां हर साल लगभग 30,000 मरीजो को लिवर ट्रांसप्लांट से बचाया जा सकता है, वहीं सिर्फ 1,800 को ही यह मिल पाता है।
लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. अभिदीप चौधरी ने कहा कि भारत का लिवर ट्रांसप्लांट इकोसिस्टम विज्ञान, नैतिकता और मानवता के बीच पूर्ण सामंजस्य का प्रतिनिधित्व करता है। आईएलडीएलटी के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद रेला ने कहा कि लिविंग डोनर लिवर प्रत्यारोपण का भारतीय मॉडल दुनिया के लिए एक स्वर्णिम मानक बन गया है।
लिवर ट्रांसप्लांट की कब पड़ती है जरूरत?
अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत कब पड़ती है? और पहले से ही क्या उपाय किए जाएं कि भविष्य में इस तरह की कोई नौबत ही न आने पाए?
लिवर ट्रांसप्लांट एक सर्जरी है जिसमें फेल हो चुके या फिर ठीक से काम न कर रहे लिवर को निकाल दिया जाता है और उसकी जगह किसी डोनर लिवर को लगाया जाता है। इससे व्यक्ति की जान बच सकती है।
लिवर चूंकि शरीर का एक अति महत्वपूर्ण अंग है जो कई जरूरी काम जैसे न्यूट्रिएंट्स, दवाइयों और हॉर्मोन को प्रोसेस करने, बाइल बनाने, खून को साफ करने और भोजन को पचाने में मदद करता है इसलिए डोनर लिवर को लगाने से ये सारे काम फिर से सही तरीके से होने लग जाते हैं।
लिवर फेलियर और इसका कारण
डॉक्टर बताते हैं, लिवर ट्रांसप्लांट आमतौर पर उन लोगों के लिए एक इलाज का तरीका होता है जिन्हें आखिरी स्टेज की क्रॉनिक लिवर डिजीज है। लिवर ट्रांसप्लांट उन दुर्लभ मामलों में किया जाता है जब किसी व्यक्ति का लिवर सामान्य तौर पर काम नहीं कर रहा होता है। चिंताजनक बात ये है कि लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे लोगों की संख्या, उपलब्ध डोनर लिवर की संख्या से बहुत ज्यादा है।
हेपेटाइटिस बी और सी जैसे संक्रमण, एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज जिसमें ज्यादा शराब पीने से लिवर को नुकसान होता है और लिवर की अन्य गंभीर बीमारियों के कारण लिवर फेलियर का खतरा रहता है जिसमें लिवर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत हो सकती है।
कैसे करें इन समस्याओं से बचाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पहले से ही कुछ जरूरी उपाय करके आप लिवर को स्वस्थ और फिट रख सकते हैं।
लिवर को हेल्दी रखने के लिए, फल, सब्जियों और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित डाइट लें। चीनी, अनहेल्दी फैट और प्रोसेस्ड फ़ूड कम खाएं। इसके साथ वजन कंट्रोल रखने, नियमित व्यायाम और शराब से दूरी बनाकर आप लिवर की बीमारियों से बचे रह सकते हैं और लिवर ट्रांसप्लांट जैसी जटिलताओं से भी बचाव कर सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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