Jemimah: एंग्जाइटी ने रोका रास्ता पर हिम्मत न हारीं जेमिमा, ऐतिहासिक मैच में दिखा भारतीय शेरनी का दबदबा
	- जेमिमा लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य विकारों का शिकार रही हैं, हालांकि इससे उबरते हुए उन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि पूरे भारत का नाम दुनियाभर में रोशन कर दिया है।
- 134 गेंदों में उनकी नाबाद 127 रन की पारी, जिसने भारत को फाइनल में पहुंचाया, सिर्फ कौशल की ही नहीं, बल्कि विशुद्ध मानसिक शक्ति की भी जीत थी।
     
                            विस्तार
Jemimah Rodrigues Mental Health: महिला क्रिकेट विश्वकप का खुमार इस समय पूरे देशभर में देखा जा रहा है। गुरुवार (30 अक्तूबर) की रात हर क्रिकेट प्रेमी को भावुक कर देने वाली थी। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियों ने सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया। इस मैच में वैसे तो पूरी टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया, पर जो काम जेमिमा रोड्रिग्स ने किया वो हमेशा-हमेशा के लिए याद किया जाता रहेगा।
 
जेमिमा ने ऑस्ट्रेलिया के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए नाबाद 127 रनों की पारी खेली और भारत को मैच जिताया। मैच के बाद बातचीत के दौरान जेमिमा की आंखों से बह रहे आंसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि इस सफलता के पीछे कितना संघर्ष रहा है।
जेमिमा ने मैदान में तो टीम को जिताने के लिए खूब मेहनत की है, पर पर्दे के पीछे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में भी लंबा संघर्ष रहा है। 134 गेंदों में उनकी नाबाद 127 रन की पारी, जिसने भारत को फाइनल में पहुंचाया, सिर्फ कौशल की ही नहीं, बल्कि विशुद्ध मानसिक शक्ति की भी जीत थी।
पर ये सब इतना आसान था नहीं। जेमिमा लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य विकारों का शिकार रही हैं, हालांकि इससे उबरते हुए उन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि पूरे भारत का नाम दुनियाभर में रोशन कर दिया है।
 
                                            एंग्जाइटी और सेल्फ डाउट का शिकार रही हैं जेमिमा
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                हाल ही में जेमिमा ने खुलासा किया था कि वह लंबे समय तक एंग्जाइटी और सेल्फ डाउट (आत्म-संदेह) की समस्या से जूझ रही थीं। जेमिना ने कहा, वह मैचों से पहले लगभग हर दिन रोती थीं। 
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                जेमिमा ने एक इंटरव्यू में कहा, मैं यहां बहुत कमजोर हो जाऊंगी क्योंकि मुझे पता है कि कोई और देख रहा है जो उसी चीज से गुजर रहा होगा। टूर्नामेंट की शुरुआत में मैं बहुत स्ट्रेस से गुजर रही थी। मैं अपनी मां को फोन करती और पूरे समय रोती रहती थी, क्योंकि जब आप स्ट्रेस से गुजर रहे होते हैं, तो आप ब्लैंक महसूस करते हैं।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                टूर्नामेंट की शुरुआत दो बार शून्य पर आउट होने और बाद में इंग्लैंड के खिलाफ मैच से बाहर होने के बाद, रॉड्रिग्स ने कहा कि इस दौर ने उनके आत्मविश्वास को हिला दिया। लेकिन उन्होंने अपने परिवार, करीबी दोस्तों और विश्वास को इस लड़ाई में मदद करने का श्रेय दिया। जेमिमा कहती हैं, मेरी मां, पिताजी और अरुंधति और राधा जैसे दोस्त हमेशा मेरे लिए मौजूद थे। 
 
                                            एंग्जाइ़टी-स्ट्रेस की समस्या होती क्या है?
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही हैं। विशेषकर कोरोना के बाद से कम उम्र के लोगों में स्ट्रेस-एंग्जाइटी और डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। जेमिमा भी ऐसी ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार रही हैं, उन्होंने लंबे समय तक एंग्जाइटी झेला है। 
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                स्ट्रेस या तनाव आमतौर पर किसी बाहरी ट्रिगर के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया है, जबकि एंग्जाइटी यानी चिंता या भय एक लगातार बनी रहने वाली भावना है जो बिना किसी स्पष्ट ट्रिगर के भी हो सकती है। दोनों ही स्थितियां मांसपेशियों में तनाव, चिड़चिड़ापन और नींद न आने जैसे शारीरिक और मानसिक लक्षण पैदा कर सकती हैं।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                कभी-कभार तनाव और चिंता होना सामान्य है, लेकिन अगर ये अक्सर बनी रहती है और आपके दैनिक जीवन में बाधा डाल रही है तो डॉक्टरी मदद लेना जरूरी हो जाता है।
 
                                            मेंटल हेल्थ की बढ़ती समस्याएं
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में लगभग हर 8वां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है। भारत में भी यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर पर 18 से 35 वर्ष के युवाओं में हाल के वर्षों में इसका खतरा तेजी से बढ़ता देखा गया है।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डिजिटल डिवाइस, सोशल मीडिया का दबाव, करियर और आर्थिक अस्थिरता ने मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है, कोरोना की विपरीत परिस्थियों के बाद इसमें और तेजी आई है। नींद की कमी, नकारात्मक सोच, अकेलापन और खराब लाइफस्टाइल इस समस्या को और गंभीर बना देते हैं।
 
                                            मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                अध्ययन बताते हैं कि लगातार स्ट्रेस से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एंग्जाइटी के लक्षणों में धड़कन तेज होने, घबराहट, पसीना आने, नींद न आने और ध्यान न लगने जैसी समस्याएं शामिल हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो व्यक्ति की कार्यक्षमता और रिश्तों दोनों पर असर पड़ता है।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                स्ट्रेस और एंग्जाइटी से बचाव के लिए कुछ उपाय मददगार हो सकते हैं। 
- रोजाना दिन में कम से कम 30 मिनट की वॉक या योग से तनाव घटता है।
- मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए संतुलित आहार लें जिसमें ओमेगा-3, विटामिन-बी और प्रोटीन से भरपूर चीजें हों ये मूड को स्थिर रखती है।
- नींद पूरी करना सबसे जरूरी है। 7-8 घंटे की नींद मानसिक संतुलन बनाए रखती है।
- सोशल मीडिया से दूरी मानसिक शांति के लिए जरूरी है।
- ध्यान और प्राणायाम जैसे अभ्यास तनाव को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय हैं।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                -------------------------------
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।