Heart Transplant: 18 साल के किशोर के हृदय दान ने बचाई 13 वर्षीय लड़की की जान, जानिए क्या है पूरा मामला
- केरल में 13 वर्षीय एक लड़की का हृदय प्रत्यारोपण शनिवार को एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक पूरा हो गया, वह अब स्वस्थ है। लड़की गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थी जिसके लिए उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी।
- 18 वर्षीय किशोर द्वारा दान किए गए हार्ट ने किशोरी को नई जिंदगी दी है।


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विस्तार
Heart Transplant Surgery Of A 13-year-Old Girl: हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं अब केवल उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतें नहीं रह गई हैं, कम उम्र के लोग भी इसका शिकार होते जा रहे हैं। हाल के वर्षों में 20 से कम आयु के लोगों में न सिर्फ हृदय रोगों का निदान किया जा रहा है, बल्कि इस आयु वर्ग में हार्ट अटैक से हो रही मौत की खबरें अक्सर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय भी बनी रहती हैं।
सोचिए, कभी जिसे बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता था, वही आज नई पीढ़ी में तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके पीछे के कारणों पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि तेज रफ्तार लाइफस्टाइल, जंक फूड्स, नींद की कमी और बढ़ता स्क्रीनटाइम प्रमुख हो सकता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह समस्या अब केवल हार्ट अटैक तक सीमित नहीं रही, बल्कि कई मामलों में हार्ट ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर जरूरतों तक पहुंच रही है।
शनिवार (13 सितंबर) को केरल के कोच्चि में डॉक्टरों ने 13 साल के किशोरी की सफलतापूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी कर नई जिंदगी दी है।

13 वर्षीय लड़की का सफल हार्ट ट्रांसप्लांट
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि कोल्लम से कोच्चि लाई गई 13 वर्षीय एक लड़की का हृदय प्रत्यारोपण शनिवार को एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक पूरा हो गया, वह अब स्वस्थ है। लड़की गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थी जिसके लिए उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मल्लुसेरी निवासी 18 वर्षीय बिलजीत ने आपना हृदय दान किया था। हाल ही में बलजीत को एक सड़क दुर्घटना के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद परिवार वालों ने हृदय दान करने का फैसला किया था।

क्या है पूरा मामला?
हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ जोस चाको पेरियाप्पुरम के नेतृत्व वाली एक टीम ने शनिवार को किशोरी में हृदय प्रत्यारोपित किया।
दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद इंजीनियरिंग के छात्र बिलजीत को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया, जिसके बाद उसके परिवार ने उसके हृदय, गुर्दे, लिवप और कॉर्निया सहित अंगों को दान करने की सहमति दी। शुक्रवार शाम को, लड़की के परिवार को हृदय की उपलब्धता के बारे में सूचित किया गया, जिसके बाद उसे देर रात ये सर्जरी शुरू हुई।
दुर्घटना के बाद ब्रेन डेड घोषित किए गए बिलजीत के हृदय को निकालने की सर्जरी शुक्रवार आधी रात तक पूरी हो गई। शनिवार रात करीब 1 बजे अंग को किशोरी के अस्पताल पहुंचाया गया। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस द्वारा यातायात नियंत्रित करने के कारण यह दूरी केवल 20 मिनट में पूरी हो गई।
प्रत्यारोपण सर्जरी रात 1.25 बजे शुरू हुई और सुबह 3.30 बजे तक किशोरी के शरीर में नए दिल ने धड़कना शुरू कर दिया। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पूरी सर्जरी सुबह 6.30 बजे तक पूरी हो गई। डॉ. पेरियाप्पुरम ने कहा, "सर्जरी सफल रही, लेकिन अगले 48 घंटे भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।

अंगदान की कमी से हर साल होती हैं हजारों मौतें
हृदय प्रत्यारोपण या हार्ट ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें किसी मरीज के खराब या क्षतिग्रस्त हृदय को निकालकर हाल ही में मृत अंगदाता के स्वस्थ हृदय से लगाया जाता है। यह लास्ट स्टेज के हार्ट फेलियर या गंभीर कोरोनरी आर्टरी डिजीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक अंतिम उपाय है जो उनकी जान बचा सकता है।
हृदय प्रत्यारोपण की कमी से होने वाली मौतों के सटीक वैश्विक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अमेरिका में हृदय प्रत्यारोपण के इंतजार में हर दिन लगभग 13 लोगों की मौत हो जाती हैं, सालाना ये आंकड़ा लगभग 4,745 है। भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत और भी ज्यादा है, जहां हर साल लगभग 50,000 हृदयों की जरूरत होती है, जबकि प्रत्यारोपण की संख्या बहुत कम है, जिसके कारण अंगों की कमी से हजारों मौतें होती हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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