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Health Tips: क्यों कुछ लोगों को अधिक पसीना होता है? जानें इसके पीछे के चार कारण
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिखर बरनवाल
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:21 PM IST
सार
पसीना आना हमारे शरीर की एक बेहद साधारण प्रक्रिया है। अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोगों जरूरत से ज्यादा पसीना होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, कुछ मामलों में ये किसी बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं। आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं।
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अधिक पसीना आना (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe Stock
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Why do We Sweat a Lot: पसीना आना हमारे शरीर की प्राकृतिक कूलिंग प्रणाली है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एक जरूरी शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह सामान्य से बहुत ज्यादा हो जाए, तो इसे 'हाइपरहाइड्रोसिस' कहा जाता है। यह स्थिति न केवल शारीरिक रूप से असहज महसूस कराती है, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी लोगों के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकती है।
यह बात सही है कि कड़ी मेहनत और ज्यादा गर्मी की वजह से अधिक पसीना आता है, लेकिन बिना किसी विशेष कारण के भी किसी को अधिक पसीना आना सामान्या बात नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ मामलों में ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। आइए इस लेख में अधिक पसीना होने के चार प्रमुख कारणों के बारे में जानते हैं।
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अधिक पसीना आना (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Adobe
आनुवंशिकी और प्राइमर हाइपरहाइड्रोसिस
अधिक पसीना आने का एक प्रमुख कारण आनुवंशिकी हो सकता है। यदि आपके परिवार में किसी को हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या है, तो संभव है कि आपको भी यह समस्या हो। इस तरह की स्थिति को प्राइमर हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है, जिसमें पसीना वाली ग्रंथियां सामान्य से अधिक सक्रिय होती हैं। यह अक्सर हाथों, पैरों, चेहरे और बगल में अधिक होता है। यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है, बल्कि एक वंशानुगत स्थिति है जो बचपन या किशोरावस्था से ही शुरू हो सकती है।
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अधिक पसीना आना (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : Freepik.com
हार्मोनल असंतुलन
हार्मोनल बदलाव भी अधिक पसीना आने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं। यह स्थिति अक्सर किशोरावस्था, गर्भावस्था, मासिक धर्म और थायराइड जैसी स्थितियों में देखा जाता है। जब शरीर में हार्मोन का स्तर अस्थिर होता है, तो यह शरीर के थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम को प्रभावित कर सकता है, जिससे अत्यधिक पसीना आता है। विशेष रूप से, थायराइड ग्रंथि का अधिक सक्रिय होना (हाइपरथायरायडिज्म) मेटाबोलिज्म को तेज कर सकता है और शरीर के तापमान को बढ़ा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक पसीना आता है।
डायबिटीज की शिकायत होने पर भी आता है अधिक पसीना
- फोटो : Freepik.com
कुछ दवाएं और बीमारियां
कुछ दवाएं भी अधिक पसीना आने का कारण बन सकती हैं। एंटी-डिप्रेसेंट, कुछ ब्लड प्रेशर की दवाएं और पेनकिलर्स जैसे दवाएं पसीना ग्रंथियों को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा कुछ स्वास्थ्य स्थितियां जैसे मधुमेह, लो ब्लड शुगर, कुछ संक्रमण और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्या भी अत्यधिक पसीना पैदा कर सकते हैं। यह पसीना अक्सर रात के समय अधिक होता है, जिसे 'रात का पसीना' भी कहा जाता है।
तनाव और चिंता
मानसिक स्थिति, विशेष रूप से तनाव और चिंता, भी पसीने का एक प्रमुख कारण है। जब आप तनाव में होते हैं, तो शरीर 'फ्लाइट और फाइट' प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है, जिससे एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन का स्राव होता है। ये हार्मोन दिल की धड़कन और रक्तचाप को बढ़ाते हैं, जिससे पसीना ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं। यह पसीना अक्सर हथेलियों और पैरों के तलवों पर केंद्रित होता है। इस तरह का पसीना शारीरिक परिश्रम के कारण होने वाले पसीने से अलग होता है। इसे न्यूरो-साइकिएट्रिक स्वेटिंग भी कहते हैं।
इस प्रकार, अत्यधिक पसीना आना सिर्फ एक शारीरिक असुविधा नहीं है, बल्कि यह शरीर में चल रही किसी आंतरिक समस्या का संकेत भी हो सकता है। यदि आप अत्यधिक पसीने से परेशान हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। वे सही कारण का पता लगाकर उचित इलाज या प्रबंधन का सुझाव दे सकते हैं।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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