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हिंदी दिवस 2025: बच्चों को हिंदी सिखाने से मिलते हैं ये 5 जीवनभर के लाभ
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Sun, 14 Sep 2025 09:21 AM IST
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सार
Hindi Diwas 2025: इस हिंदी दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अगली पीढ़ी को हिंदी की ताकत और सुंदरता से परिचित कराएंगे। बच्चों को हिंदी सिखाने के कई फायदे हैं। माता-पिता को बच्चों की परवरिश में हिंदी को शामिल क्यों करना चाहिए, ये जरूर जानें।

हिंदी दिवस 2025
- फोटो : Adobe
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विस्तार
Hindi Diwas 2025: भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पहचान और सोच का आईना भी होती है। 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि अपनी मातृभाषा को अपनाना और उसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण और परवरिश में भाषा की भूमिका बेहद अहम होती है। आजकल बच्चे अंग्रेजी में संवाद करते हैं। हिंदी के साधारण शब्द या आम बोलचाल की भाषा में भी हिंदी का उपयोग बच्चे कम ही करते हैं।

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ऐसे में अगर हम बच्चों को हिंदी सिखाते हैं, तो केवल उन्हें अपनी जड़ों से नहीं जोड़ते हैं, बल्कि उनकी सोच, भावनाओं और अभिव्यक्ति को भी मजबूती देते हैं। आज के दौर में जहां अंग्रेजी का दबदबा है, वहां हिंदी को बच्चों की परवरिश में शामिल करना समय की मांग है। हिंदी को बच्चों को सिखाना केवल भाषा की शिक्षा देना नहीं है, बल्कि उन्हें एक ऐसी विरासत सौंपना है जो जीवनभर उनका साथ देगी। इस हिंदी दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अगली पीढ़ी को हिंदी की ताकत और सुंदरता से परिचित कराएंगे। बच्चों को हिंदी सिखाने के कई फायदे हैं। माता-पिता को बच्चों की परवरिश में हिंदी को शामिल क्यों करना चाहिए, ये जरूर जानें।
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बच्चों को हिंदी सिखाना क्यों है जरूरी?
संस्कार और संस्कृति से जुड़ाव
हिंदी बच्चों को अपनी परंपराओं, लोककथाओं और धार्मिक मूल्यों से जोड़ती है। अभिभावक बच्चों को हिंदी से जोड़कर संस्कार और संस्कृति से जोड़ सकते हैं।
भावनात्मक अभिव्यक्ति
मातृभाषा में बच्चे अपने दिल की बात आसानी से कह पाते हैं। यह भावनात्मक अभिव्यक्ति का सरल तरीका है। इससे माता-पिता, दादा-दादी या घर के अन्य लोगों के साथ बच्चों को भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है।
आत्मविश्वास का विकास
भले ही अंग्रेजी का चलन काफी बढ़ गया हो लेकिन आज भी भारत मे सार्वजनिक मंच पर हिंदी भाषा का उपयोग अधिक प्रभावी होता है। अंग्रेजी से अधिक हिंदी का भाव समझ में आता है। हिंदी सीखने से बच्चे सार्वजनिक मंचों पर बिना झिझक बोल पाते हैं।
परिवारिक रिश्तों में मजबूती
परिवार में सभी लोगों से जुड़ाव तब तक संभव नहीं, जब तक उनकी भाषा में समानता न हो। दादा-दादी और माता-पिता से संवाद हिंदी में ही सबसे गहरा और सहज होता है।
दोहरी भाषा का लाभ
अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक है। लेकिन अंग्रेजी के साथ हिंदी सीखने से बच्चों की बौद्धिक क्षमता और समझ और भी बढ़ जाती है।
परवरिश में भाषा की अहमियत
भाषा केवल पढ़ाई की चीज नहीं, बल्कि परवरिश का अहम हिस्सा है। जिस भाषा में बच्चा सोचता और सपने देखता है, वही भाषा उसकी मानसिक और सामाजिक जड़ों को मजबूत करती है। अगर हम हिंदी को बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करेंगे, जैसे कहानियों, कविताओं, खेलों और बातचीत के जरिए तो वे इसे गर्व के साथ अपनाएंगे।