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हिंदी दिवस 2025: जानिए भारत की वो जगह, जहां से शुरू हुई हिंदी की कहानी

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sun, 14 Sep 2025 09:21 AM IST
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सार

हिंदी दिवस 2025: हिंदी दिवस हमें सिर्फ भाषा से प्रेम करने की प्रेरणा नहीं देता, बल्कि उन जगहों को भी याद करने का अवसर है, जिन्होंने हिंदी को जन्म, पोषण और समृद्धि दी। साहित्य के इन तीर्थस्थलों का महत्व हमेशा हिंदी प्रेमियों के लिए मार्गदर्शक रहेगा। आइए जानते हैं हिंदी से जुड़ी ऐतिहासिक जगहों के बारे में। 

Hindi Diwas 2025 Famous Places in India Linked to Hindi Language and Literature History
हिंदी दिवस का स्वर्णिम इतिहास - फोटो : Freepik
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विस्तार
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Hindi Diwas 2025: हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और सांस्कृतिक पहचान है। हिंदी दिवस के मौके पर जब हम इसके महत्व की चर्चा करते हैं तो हमें उन जगहों की यात्रा जरूर करनी चाहिए, जहां हिंदी साहित्य का इतिहास रचा गया। ये स्थल केवल इमारतें या शहर नहीं, बल्कि हिंदी भाषा के साक्षात तीर्थ हैं, जिन्होंने इस भाषा को पहचान दिलाई और साहित्य को जीवंत बनाया। हिंदी दिवस हमें सिर्फ भाषा से प्रेम करने की प्रेरणा नहीं देता, बल्कि उन जगहों को भी याद करने का अवसर है, जिन्होंने हिंदी को जन्म, पोषण और समृद्धि दी। साहित्य के इन तीर्थस्थलों का महत्व हमेशा हिंदी प्रेमियों के लिए मार्गदर्शक रहेगा। आइए जानते हैं हिंदी से जुड़ी ऐतिहासिक जगहों के बारे में। 

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वाराणसी

यह हिंदी साहित्य का काशी है। वाराणसी को हिंदी साहित्य की जन्मभूमि कहा जाता है। यहां कबीरदास, तुलसीदास और भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे महान साहित्यकारों ने हिंदी को नई दिशा दी। काशी की गलियां आज भी हिंदी साहित्य की विरासत को संजोए हुए हैं।

प्रयागराज

पुराना इलाहाबाद साहित्य और आंदोलनों की नगरी कहलाता है। प्रयागराज न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है, बल्कि हिंदी पत्रकारिता और साहित्य का भी गढ़ रहा है। यहां कई साहित्यिक आंदोलनों और कवि सम्मेलनों ने जन्म लिया।

आगरा और मथुरा

आगरा और मथुरा में ब्रज भाषा की महक आज भी बसी है। ब्रज भूमि की मिट्टी से ही हिंदी साहित्य का भावुक और भक्तिपूर्ण स्वरूप निकला। सूरदास की ब्रजभाषा की रचनाएं आज भी हिंदी साहित्य की नींव मानी जाती हैं।

मध्य प्रदेश

छत्तीसगढ़ से ग्वालियर तक हिंदी का स्वर्णिम इतिहास जुड़ा है। मध्य भारत हिंदी लेखन और कविता का बड़ा केंद्र रहा। यहां से छायावाद और आधुनिक हिंदी साहित्य की कई धाराएं प्रवाहित हुईं।

दिल्ली

हिंदी पत्रकारिता और साहित्य का हृदय दिल्ली को माना जाता है। राजधानी दिल्ली में भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यकारों ने हिंदी को आधुनिक पहचान दी। यहां से हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं ने साहित्य और भाषा को घर-घर पहुंचाया।


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