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Akshaya Tritiya 2025 : देश में कहां-कहां मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानिए क्या है परंपरा

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Wed, 30 Apr 2025 09:48 AM IST
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सार

अक्षय तृतीया को धन, सौभाग्य और नए आरंभों का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि देशभर में इस पर्व को विभिन्न रूपों में और अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से जानिए कि देशभर में अक्षय तृतीया का त्योहार विभिन्न परंपराओं के साथ कैसे मनाया जाता है।

How Akshaya Tritiya is Celebrated Differently Across India Rituals Tradition Punjab Bengal Odisha
पूरे देश में अक्षय तृतीया मनाने की अलग परंपरा - फोटो : adobe stock
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How Akshaya Tritiya is Celebrated: अक्षय तृतीया को अखती या आख्या तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाने की परंपरा है। इस तिथि से शुभ कार्य किए जाने  प्रारंभ हो जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य निष्फल नहीं होता और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया को धन, सौभाग्य और नए आरंभों का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि देशभर में इस पर्व को विभिन्न रूपों में और अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से जानिए कि देशभर में अक्षय तृतीया का त्योहार विभिन्न परंपराओं के साथ कैसे मनाया जाता है।

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उत्तर भारत में अक्षय तृतीया

उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अक्षय तृतीया को शादी ब्याह और शुभ काम की शुरुआत का दिन माना जाता है। इस दिन विवाह के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। कई लोग इस दिन कन्यादान, पुण्य दान और गंगा स्नान करते हैं। कई परिवारों में अक्षय तृतीया के मौके पर सत्यनारायण की कथा और विष्णु पूजा की परंपरा भी है। उत्तर प्रदेश के वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन ठाकुर जी के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं।

पंजाब

पंजाब कृषि प्रधान राज्य है, जहां आजीविका के लिए अधिकतर लोग खेती पर आश्रित हैं। यहां के किसान अक्षय तृतीया को खेती से जोड़कर देखते हैं। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर खेत जाते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि सुबह खेती के समय जाते समय राह में पक्षी दिख जाए तो उसे भगवान स्वरूप माना जाता है। किसान पक्षी के सामने नतमस्तक होते हैं।

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राजस्थान

राजस्थान में अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से जाना जाता है। इस पर्व पर बच्चे पतंग उड़ाते हैं और पकवान का लुत्फ उठाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खेत जोतने की परंपरा भी जुड़ी होती है। इस तिथि को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में स्थानीय भाषा में अक्षय तृतीया को हलखता या हलबोझन कहते हैं। यह तिथि व्यापार और निवेश से संबंधित मानी जाती है। व्यापारी वर्ग इस दिन को शुभ मानते हुए अपने नए बही-खाते की शुरुआत करते हैं और लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं।

महाराष्ट्र

अक्षय तृतीया के मौके पर महाराष्ट्र में लोग सोना, चांदी और धातु खरीदते हैं, ताकि घर में लक्ष्मी का  वास बना रहे। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। पितरों को जल अर्पण करने की भी परंपरा है।

ओडिशा में

अक्षय  तृतीया पर किसान धान की बुआई की शुरुआत करते हैं। इस दिन को 'अक्शया त्रितिया रथा' कहा जाता है। इस दिन जगन्नाथ मंदिर पुरी के दर्शन के लिए भक्तों की काफी भीड़ लगती है।
 

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