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Uttarakhand Samwad Live: 'रिश्ते की लंबाई उसके पीछे की गहराई पर निर्भर होती है', संवाद में बोले गौर गोपाल दास

अमर उजाला नेटवर्क, देहरादून Published by: शाहरुख खान Updated Tue, 10 Jun 2025 06:54 PM IST
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खास बातें

Amar Ujala Samwad Uttarakhand 2025 Live News Updates in Hindi: एक बार फिर अमर उजाला के प्रतिष्ठित कार्यक्रम संवाद का आयोजन राजधानी देहरादून में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के विकास समेत अन्य कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा रही है। यहां पढ़ें संवाद से जुड़ा हर अपडेट

Amar Ujala Uttarakhand Samwad 2025 Live Rajnath Singh CM Pushkar Singh Dhami Suniel Shetty Jaideep Ahlawat
गौर गोपाल दास, प्रेरक वक्ता - फोटो : अमर उजाला
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लाइव अपडेट

06:26 PM, 10-Jun-2025
उम्मीद पर ही सारी दुनिया टिकी है- गौर गोपाल दास
गौर गोपाल दास ने आगे कहा- उम्मीद ही एक रिश्ते का सबसे बड़ा आधार है, चाहे वो किसी तरह का रिश्ता हो। ये उम्मीद हर तरफ है, पढ़ाई, करियर में यहां तक की अध्यात्म में भी उम्मीद है कि, एक दिन ईश्वर का दर्शन हो जाएगा और उम्मीद है कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। उम्मीद पर ही सारी दुनिया टिकी है। चाहे कुछ भी हो जाए, एक चीज कभी नहीं छूटनी चाहिए- उम्मीद। इस को जीतने की मानसिकता कहते हैं। एक बात तो पक्की है, सभी लड़ाई मन में लड़ी जाती है और वहीं जीतना मायने रखा है। अगर मन में हार गए तो हर जगह हार जाएंगे।
06:18 PM, 10-Jun-2025
आरसीबी की जीत और बंगलूरू भगदड़ पर बोले गौर गोपाल दास
इस दौरान गौर गोपाल दास ने कहा- वो उम्मीद ही थी, जिसने 18 साल के इंतजार के बाद आरसीबी के हाथ में आईपीएल की ट्रॉफी आई। बाद में जो भी हुआ, वो दर्दनाक हुआ है। लेकिन 18 साल का जूनून, जज्बा, हौसला और पागलपन से तब एक ट्रॉफी हाथ में आई।
06:16 PM, 10-Jun-2025
'रिश्ते की लंबाई उसके पीछे की गहराई पर निर्भर होती है'
गौर गोपाल दास ने आगे कहा कि- अगर आपको साथ नहीं रहना है और फिर आपका रिश्ता चल जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन 50 साल तक एक छत के नीचे साथ में रहना है, सारे उतार-चढ़ाव एकसाथ देखने हैं। एक दूसरे के अहंकार को झेलना है, तब 50 साल हो जाए, उसको मनाना होता है। हम न किसी रिश्ते की लंबाई को मनाते हैं। लेकिन किसी भी रिश्ते के लंबाई के पीछे की जो गहराई है, उसको कोई नहीं मनाता है। क्योंकि किसी भी रिश्ते की लंबाई उसके पीछे की गहराई पर निर्भर करती है।
06:06 PM, 10-Jun-2025
हम रिश्ते की लंबाई का जश्न मनाते हैं, लेकिन उसकी गहराई का जश्न नहीं मनाते: गौर गोपाल दास
मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि मैं आपको आज एक कहानी बताकर शुरू करता हूं। मुंबई के एक ऑल मेन्स क्लब था। उस ऑल मेन्स क्लब में एक शर्मा जी थे। शर्मा जी की 50वीं शादी की सालगिरह थी। 50 साल शादीशुदा रहना आसान नहीं रहता तो बाकी पुरुष जो थे वह शर्मा जी से पूछते हैं कि 50 साल तक खुशी से शादीशुदा रहने का राज बताइए। जवाब में शर्मा जी ने कहा कि जब हमारी शादी की 25वीं सालगिरह थी तो मैं अपनी पत्नी को स्विट्जरलैंड ले गया था। इस पर एक पुरुष ने पूछा कि 25वीं सालगिरह में स्विट्जरलैंड ले गए तो 50वीं सालगिरह में क्या करने वाले हैं तो शर्मा जी ने जवाब दिया कि 50वीं सालगिरह में उसको वापस लाने स्विट्जरलैंड जा रहा हूं। गौर गोपाल दास ने आगे कहा कि अगर आपको साथ में नहीं रहना है फिर आपका रिश्ता चल जाए तो अगर 50 साल तक एक साथ साथ में रहना है। सारे उतार-चढ़ाव एक साथ रहना है तब फिर 50 साल हो जाए तो उसका जश्न मनाना चाहता है। हम रिश्ते की लंबाई का जश्न मनाते हैं लेकिन उसकी गहराई का जश्न कोई नहीं मनाता है। इसलिए अमर उजाला का अभिनंदन, 77 साल में कई उतार-चढ़ाव आ होंगे। ऊपर-नीचे बहुत हुआ होगा। दिक्कतें-परेशानियां कई आईं होंगी, इस सबके बावजूद आगे बढ़ने के लिए जुनून और जज्बा लगता है। 
05:54 PM, 10-Jun-2025
जाने-माने प्रेरक वक्ता व लाइफ कोच
सोशल मीडिया में 51 लाख से अधिक अनुयायी वाले गौर गोपाल दास जाने-माने प्रेरक वक्ता व लाइफ कोच हैं। इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ने के बाद वे इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) से जुड़ गए। 

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
महाराष्ट्र में जन्मे गौर गोपाल दास ने कुसरो वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। 1992 में स्नातक करने के बाद पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से 1995 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री की और एक नामी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। 

05:41 PM, 10-Jun-2025


संवाद में वर्चुअल माध्यम से जुड़े केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से जुड़े। उन्होंने कहा कि अमर उजाला को महत्वपूर्ण कार्यक्रम अमर उजाला संवाद उत्तराखंड 2025 के आयोजन लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। नड्डा ने आगे कहा कि मुझे ये जानकर अत्यंत हर्ष हुआ कि आपने अपने महत्वपूर्ण 'संवाद' कार्यक्रम को तब आयोजित किया है जब 9 जून को केन्द्र में पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार की सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के 11 महत्वपूर्ण वर्ष पूरे हुए हैं। आपने मुझे संवाद उत्तराखंड 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जो मेरे लिए गर्व की बात है। 

नड्डा ने आगे कहा कि मैंने तो पूरा मन बनाया था कि मैं आपके साथ, आपके बीच अमर उजाला के कार्यक्रम में होता और हर विषय पर आपसे बातें करता, लेकिन व्यस्तता और जरूरी कामों के चलते मैं इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहा हूं, इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जल्द ही अमर उजाला के मंच पर आऊंगा और आपके साथ संवाद भी करूंगा। जैसा कि आप जानते हैं कि 9 जून को ही पीएम मोदी की सरकार के कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे हुए हैं। 11 वर्षों की ये यात्रा सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण की यात्रा रही है। देश ने इन 11 वर्षों में भारत को बदलते देखा है और हम सब 140 करोड़ भारतवासी इसके साक्षी हैं। देशवासियों के लिए सत्ता अब सेवा बन गई है, सरकार अब सहभागी बन गई है और सुशासन अब प्रशासन की संस्कृति बन गई है। हम सबको इस बात का गर्व है कि हम भारत के स्वर्णिम कालखंड को जी रहे हैं। देश ने हर क्षेत्र में प्रगति के नए आयाम स्थापित किए हैं, भारत अब लेने वाला भारत नहीं है बल्कि देने वाले भारत के रूप में जाना जा रहा है। पीएम मोदी की अगुवाई में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की अवधारणा के साथ अंत्योदय के मूल मंत्र को सार्थक करते हुए सर्व समावेशी विकास हो रहा है। 

अमर उजाला ने हमेशा सच का साथ दिया: जेपी नड्डा
जेपी नड्डा ने आगे कहा कि उत्तराखंड में हमारी पुष्कर सिंह धामी की सरकार पीएम मोदी के विजन को अक्षरश: जमीन पर उतार रही है। आपने संवाद उत्तराखंड की थीम भी बहुत अच्छी चुनी है कि उत्तराखंड स्वर्णिम शताब्दी की ओर। पिछले आठ वर्षों में उत्तराखंड ने डबल इंजन की सरकार में प्रगति की नई कहानी लिखी है। पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में उत्तराखंड ने विकास की लंबी छलांग लगाई है। पीएम मोदी ने भी कई बार कहा कि ये दशक उत्तराखंड का है। बहुत सारे विषय हैं जिन पर मैं चर्चा करना चाहता हूं, लेकिन परिस्थिति ही ऐसी है कि मैं आपके कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाया, मैं पुन: इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं, जल्द ही आपके बीच अमर उजाला के मंच पर आऊंगा। अमर उजाला अपनी जनसरोकार की बातों के लिए जाना जाता है, अमर उजाला ने हमेशा सच का साथ दिया है, आप हमेशा जनता की आवाज बने, मेरी आपको शुभकामनाएं हैं कि आप इसी तरह सार्थक चर्चाएं करते रहें, उत्तराखंड और देश के विकास में अपनी भागीदारी देके रहें, मैं फिर से सबकों बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
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05:24 PM, 10-Jun-2025
सवाल- आप मुंबई में अपने अभिनेता बनने तक की यात्रा को स्ट्रगल नहीं कहते, ऐसा क्यों? 
जवाब- यह एक ऐसा फील्ड है, जहां हर इंसान के अंदर एक अभिनेता है। मुझे ऐसा कोई इंसान नहीं मिला, जो खुद को स्क्रीन पर नहीं देखना चाहता हो। यह हर इंसान की भीतरीय अनुभूति है कि वह खुद को स्क्रीन पर देखना चाहता है। जब मैं अपनी मंजिल अपनी खुशी के लिए वहां गया। एक छत थी, खाना था तो संघर्ष कहां रहा। ऐसा नहीं था कि सड़क पर सो रहा था। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं क्यों हूं यहां वापस चला जाता हूं। मानसिक स्ट्रगल था।

सवाल- अभिनेता बनने की यात्रा के दौरान आपके मां-पिता की तरफ से कभी ऐसा होता था कि वह बोले हों कि कुछ और देख सकता हो? 
जवाब- एक दोस्त है मेरा वह कहता है कि मां-बाप कभी आपके फैसले के खिलाफ नहीं होते हैं बस वो आपको गरीब नहीं देखना चाहते हैं। जब तक बच्चा पैसा नहीं कमाने लग जाता है तब तक मां-बाप को उसकी चिंता रहती है। जिस दिन वह पैसे कमाने लग जाता है उस दिन वह चिंता मुक्त हो जाते हैं। मेरे पिता ने यह कभी नहीं कहा कि अगर नहीं हो रहा है तो छोड़ दो मां जरूर चिंता करती थीं।
05:23 PM, 10-Jun-2025
सवाल- आप जब पहली बार पिता से गले लगे, तो उनका क्या रिएक्शन था?
जवाब- यह तो याद नहीं। लेकिन, वह भी कभी दोनों हाथों से गले नहीं लगाते थे। एक ही हाथ से गले लगाते थे।
05:21 PM, 10-Jun-2025
सवाल- आप कॉलेज से आते थे। आप अपने पिता से गले लगते थे। पिता से अमूमन लड़के गले नहीं मिलते हैं। आपके साथ ऐसा कैसे हुआ?
जवाब- आप बैरियर को कैसे नहीं तोड़ सकते। शायद पिता के पिता ने भी उन्हें कभी गले नहीं लगाया होगा। उन्हें भी वह महसूस हुआ। मुझे भी लगा कि इसे तोड़ना पड़ेगा।
05:18 PM, 10-Jun-2025
सवाल- आप ऑडिशन देने जाते थे तो कभी ऐसा होता था कि चलो चलते हैं। काम बना तो बना, नहीं तो कुछ और काम निकलेगा?
जवाब- काम क्या निकलेगा। ऑडिशन में दो ही चीजें होती हैं या तो काम मिलेगा या नहीं मिलेगा। जीवन का सबसे मुश्किल दौर वह होता है, जब आपको शुरुआती काम मिलता है। कोई रेफ्रेंस नहीं होता। आप अच्छे एक्टर हो या नहीं। वह मुश्किल दौर होता है। लेकिन, ऐसा नहीं कि नहीं हुआ तो क्या हुआ। फिर एक दौर आएगा।
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