Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत आज, जानें पूजा मुहूर्त और चांद निकलने का समय
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धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: मेघा कुमारी
Updated Thu, 09 Oct 2025 09:03 PM IST
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खास बातें
Karwa Chauth 2025 Sargi Time, Puja Vidhi, Chand Nikalne Ka Samay Live: शुक्रवार 10 अक्तूबर को सुहागिनों को महापर्व करवा चौथ मनाया जाएगा। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व के बारे में।
Karwa Chauth 2025
- फोटो : अमर उजाला
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लाइव अपडेट
09:00 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ सरगी का समय: Karwa Chauth Sargi Time
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है, जिसे सूर्योदय से पहले खाया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करवा चौथ 2025 के दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:40 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा। यही समय सरगी ग्रहण करने के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना जाता है।
08:30 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ पर सावधान रहें ये 3 राशियां
करवा चौथ के दिन बनने वाले विडाल योग और व्यातीपात योग मेष राशि वालों के लिए कुछ मुश्किलें लेकर आ सकते हैं। इस समय आपके परिवार में कुछ चिंता और तनाव बढ़ सकता है, जिससे आपका मन अशांत रहेगा।मिथुन राशि वालों के लिए भी करवा चौथ का दिन कुछ कठिनाइयों से भरा रहेगा। पारिवारिक जीवन में पुराने विवाद या अनबन फिर से उभर सकती है, जिससे घर का माहौल तनावपूर्ण हो सकता है।
कुंभ राशि वालों के लिए भी करवा चौथ के दिन बनने वाला विडाल और व्यातीपात योग चुनौतियां लेकर आएगा। इस समय आपके निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे सही समय पर महत्वपूर्ण फैसले लेना मुश्किल हो जाएगा।
08:10 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ व्रत के 5 खास नियम: Karwa Chauth Vrat Niyam
- करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी ग्रहण करना शुभ होता है, इसके बाद किसी भी चीज का सेवन न करें।
- करवा चौथ के व्रत की कथा का पाठ हमेशा 16 श्रृंगार और लाल जोड़े में करना चाहिए।
- चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत का पारण करें अन्यथा व्रत अधूर माना जाता है।
- इस दिन निर्जला उपवास रखें।
- व्रत में तामसिक चीजों का सेवन करें और नुकीली चीजों का उपयोग न करें।
07:29 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ 2025 और चंद्रोदय का समय- 10 अक्तूबर
वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 अक्तूबर चंद्रोदय का समय शाम 08 बजकर 13 मिनट पर होगा। अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय के समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
07:16 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ पूजन शुभ मुहूर्त 2025
इस वर्ष करवा चौथ पर सिद्धि और शिववास नाम का शुभ योग बना हुआ है। शास्त्रों में इस योग में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती, विध्नहर्ता मंगलमूर्ति भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा अर्चना करती हैं।
शाम 05:57 मिनट से शाम 07:11 मिनट तक
पूजन अवधि- 1 घंटा 14 मिनट
करवा चौथ व्रत समय- सुबह 06:19 मिनट से शाम 08: 13 मिनट तक
करवा चौथ व्रत अवधि- 13 घंटे 54 मिनट
06:53 PM, 09-Oct-2025
पूजन में करवे का प्रयोग और उसकी मान्यता
व्रत के दिन शाम को चंद्र दर्शन से पहले स्त्रियां मिट्टी के करवे में जल भरती हैं, उसे पूजा स्थान पर रखती हैं और भगवान गणेश,शिव-पार्वती,कार्तिकेय और चौथ माता का आवाहन करती हैं। करवे के ऊपर सराई में चावल, द्रव्य और मिठाई रखकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। यह करवा न केवल पूजा का पात्र है, बल्कि यह स्त्री की निष्ठा, प्रेम और संयम का प्रतीक भी बन जाता है।
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06:51 PM, 09-Oct-2025
'करवा चौथ' का अर्थ
करवा चौथ का नाम ही अपने रहस्य को समेटे हुए है। “करवा” एक मिट्टी का विशेष बर्तन होता है। प्राचीन काल में मिट्टी के बने बर्तन ही धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से प्रयुक्त होते थे, क्योंकि वे प्राकृतिक और पवित्र माने जाते थे। आज भी करवा चौथ की पूजा में दो करवे बनाए जाते हैं। इन पर रक्षा सूत्र बाँधा जाता है और आटे व हल्दी से स्वस्तिक का चिन्ह अंकित किया जाता है।
करवा चौथ का नाम ही अपने रहस्य को समेटे हुए है। “करवा” एक मिट्टी का विशेष बर्तन होता है। प्राचीन काल में मिट्टी के बने बर्तन ही धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से प्रयुक्त होते थे, क्योंकि वे प्राकृतिक और पवित्र माने जाते थे। आज भी करवा चौथ की पूजा में दो करवे बनाए जाते हैं। इन पर रक्षा सूत्र बाँधा जाता है और आटे व हल्दी से स्वस्तिक का चिन्ह अंकित किया जाता है।
06:41 PM, 09-Oct-2025
क्यों होती है चंद्रमा की पूजा?
चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है और इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु भी लंबी होती है। इसलिए करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं।
चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है और इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु भी लंबी होती है। इसलिए करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं।
06:20 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ पूजा विधि
- करवा चौथ पर्व के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी स्नान कर नए वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद करवा चौथ व्रत का संकल्प लें।
- व्रत का संकल्प लेने के बाद इस मंत्र का जाप करें - ''मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये''
- शाम को करवा में जल लेकर व्रत की करवा चौथ कथा पढ़ें या सुनें।
- पूजा करते समय मां पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
- भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने सुखी और लंबे वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें।
- चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।
- चन्द्र देव पूजा की समाप्त होने के बाद आप अपना व्रत तोड़ सकती हैं और अपने पति के हाथों से पानी पी सकती हैं।
- अपने बड़ों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूएं।
06:01 PM, 09-Oct-2025
करवा चौथ की परंपराएं
सोलह श्रृंगार: करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिनमें मेहंदी, चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी, और सुंदर पोशाक शामिल हैं। यह श्रृंगार उनकी नारीत्व और वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक होता है।
करवा चौथ कथा: व्रत के दौरान महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जिसमें नारी शक्ति और प्रेम की प्रेरणादायक कहानियाँ होती हैं। यह कथा व्रत की पवित्रता और महत्व को समझने में मदद करती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देना: संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।
सोलह श्रृंगार: करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिनमें मेहंदी, चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी, और सुंदर पोशाक शामिल हैं। यह श्रृंगार उनकी नारीत्व और वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक होता है।
करवा चौथ कथा: व्रत के दौरान महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जिसमें नारी शक्ति और प्रेम की प्रेरणादायक कहानियाँ होती हैं। यह कथा व्रत की पवित्रता और महत्व को समझने में मदद करती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देना: संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।

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