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नक्सल फ्री हुआ बालाघाट: आखिरी दो हार्डकोर नक्सलियों ने भी हथियार डाले, दोनों पर था इतना इनाम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट
Published by: बालाघाट ब्यूरो
Updated Thu, 11 Dec 2025 04:11 PM IST
सार
बालाघाट में नक्सलवाद को बड़ी सफलता मिली है। जिले के अंतिम दो हार्डकोर माओवादी दीपक उर्फ मंगल उइके और रोहित ने सीआरपीएफ कैंप में आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों पर कुल 43 लाख का इनाम था। लगातार सर्चिंग, ड्रोन सर्विलांस और सप्लाई लाइन तोड़ने से नेटवर्क कमजोर हुआ और अब बालाघाट पूरी तरह माओवादी मुक्त हो गया है।
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बालाघाट में दो नक्सलियों का सरेंडर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
तीन दशकों तक जंगलों में दहशत फैलाने वाले माओवादी संगठन का बालाघाट जिले से पूर्ण सफाया हो गया है। गुरुवार को जिले में सक्रिय बचे हुए दो हार्डकोर माओवादी दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मंगल उइके और उसके साथी रोहित (एसीएम, दर्रेकसा एरिया कमेटी) ने कोरका स्थित सीआरपीएफ कैंप में आत्मसमर्पण कर दिया। एसपी आदित्य मिश्रा के मुताबिक इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद जिले में कोई हार्डकोर नक्सली नहीं रह गया है।
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तीन दशक तक सिरदर्द रहा दीपक
वर्ष 1995 में संगठन से जुड़े दीपक उर्फ मंगल उइके ने लंबे समय तक मलाजखंड दलम के डिप्टी कमांडर और डीवीसीएम टैंक ग्रुप के सक्रिय माओवादी के रूप में काम किया। सूत्रों के मुताबिक दीपक संगठन की रणनीति, नए सदस्यों की भर्ती और ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क तैयार करने में लीड रोल निभाता था। उसने आत्मसमर्पण के दौरान एक स्टेनगन भी जमा करवाई है। दीपक बालाघाट जिले के ही पालगोंदी गांव का रहने वाला है और स्थानीय इलाकों से अच्छी तरह वाकिफ होने के कारण सुरक्षा एजेंसियों के लिए लगातार चुनौती बना हुआ था। दीपक पर 29 लाख रुपये का इनाम था, जबकि रोहित पर 14 लाख रुपये का इनाम था। अधिकारी ने बताया कि दोनों ही मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक हैं।
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लगातार दबाव में टूटा माओवादी नेटवर्क
पिछले एक साल से पुलिस और सुरक्षाबलों ने जिले में गहन सर्चिंग, ड्रोन सर्विलांस, सप्लाई लाइन तोड़ने और गांवों में लगातार संवाद अभियान जैसे कदम उठाए थे। इन कार्रवाइयों ने माओवादी नेटवर्क की जड़ों को हिलाकर रख दिया। सूत्र बताते हैं कि कई महीनों से संगठन भोजन, दवा और लोकल सपोर्ट के गंभीर संकट से जूझ रहा था। लगातार सरेंडर की वजह से माओवादी लीडरशिप भी कमजोर होती गई।
कुछ दिन पहले 12 माओवादी हुए थे सरेंडर—अब बालाघाट पूरी तरह शांत
कुछ ही दिन पहले छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक करोड़ के इनामी रामधेर सहित 12 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसी के बाद दीपक के भी सरेंडर की खबरें इंटरनेट मीडिया में आई थीं, जिन्हें पुलिस ने उस समय गलत बताया था। लेकिन गुरुवार को मिली पुष्टि के बाद स्पष्ट हो गया कि बालाघाट में अब नक्सलवाद का कोई सक्रिय ढांचा मौजूद नहीं है।
2026 की डेडलाइन से पहले मिली बड़ी सफलता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश से माओवाद के समूल नाश के लिए मार्च 2026 तक की समय सीमा तय की है। ऐसे में बालाघाट का माओवादी मुक्त होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए विशेष उपलब्धि माना जा रहा है।

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