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MP News: 14 लाख की इनामी महिला नक्सली ने किया आत्मसमर्पण, बालाघाट में पहली बार महिला नक्सली मुख्यधारा में लौटी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट
Published by: बालाघाट ब्यूरो
Updated Sun, 02 Nov 2025 07:48 PM IST
सार
बालाघाट जिले में पहली बार महिला नक्सली सुनीता (23) ने हथियार डाल दिए। वह माओवादी नेता रामदेर की हथियारबंद गार्ड थी और 2022 में संगठन से जुड़ी थी। सुनीता ने हॉकफोर्स कैंप चौरिया में इंसास राइफल और वर्दी के साथ आत्मसमर्पण किया। कई अन्य नक्सली भी आत्मसमर्पण की तैयारी में हैं।
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बालाघाट में महिला नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पहली बार किसी महिला नक्सली ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। नक्सली गतिविधियों से चार दशक से अधिक समय से जूझ रहे इस जिले के लिए यह एक अहम घटना मानी जा रही है। 1992 के बाद यह पहली बार है कि किसी अन्य राज्य के नक्सली ने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
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महिला नक्सली सुनीता पिता विसरू (23), निवासी विरमन, इंद्रावती क्षेत्र जिला बीजापुर (छत्तीसगढ़) ने 1 नवंबर को हॉकफोर्स के चौरिया बालाघाट कैंप में आत्मसमर्पण किया। उसने हॉकफोर्स के सहायक सेनानी रूपेंद्र धुर्वे के समक्ष अपने हथियार सौंपे। सुनीता माओवादी संगठन के एमएमसी जोन प्रभारी और सेंट्रल कमेटी सदस्य (सीसीएम) रामदेर की हथियारबंद गार्ड के रूप में कार्यरत थी। आत्मसमर्पण के दौरान उसने इंसास राइफल, तीन मैगजीन, पिट्ठू बैग और वर्दी पुलिस को सौंपी।
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पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुनीता प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) केंद्रीय समिति की सदस्य और एनएमसी जोन प्रभारी रामदर की सशस्त्र सुरक्षा गार्ड थी। उस पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश पुलिस ने संयुक्त रूप से 14 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। वह छत्तीसगढ़ के बीजापुर तहसील के भैरमगढ़ के गोमवेटा की निवासी है। उन्होंने बताया कि इंसास राइफल रखने वाली सुनीता मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के गोंदिया और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में सक्रिय थी। अधिकारी ने बताया कि वह 2022 से गैरकानूनी आंदोलन से जुड़ी हुई थी और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के मढ़ इलाके में प्रशिक्षण ले रही थी।
छह माह का लिया था प्रशिक्षण
पुलिस के अनुसार, सुनीता वर्ष 2022 में नक्सली संगठन से जुड़ी थी। उसने माड़ क्षेत्र में छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद उसे रामदेर की सुरक्षा में तैनात किया गया था और वह इंद्रावती व माड़ क्षेत्रों में सक्रिय थी। 31 अक्टूबर की सुबह करीब 4 बजे उसने दलम से अलग होने का निर्णय लिया और जंगल में अपने हथियारों व सामग्री को डंप करने के बाद आत्मसमर्पण के उद्देश्य से हॉकफोर्स कैंप चौरिया पहुंच गई।
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संगठन में बदलाव के संकेत
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रामदेर की टीम के कई अन्य सदस्य भी आत्मसमर्पण की तैयारी में हैं। रामदेर ने पूछताछ के दौरान बताया कि सोनू दादा, रूपेश दादा और उनके कुछ साथियों ने पहले ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया है। इसके बाद अब बाकी सदस्य भी आत्मसमर्पण पर विचार कर रहे हैं।
दलम छोड़ने वालों में योगेश और मल्लेश के नाम सामने आए हैं। वहीं, चिलौरा निवासी देवेंद्र की हत्या में शामिल रहे रामदेर, रोहित, विमला, तुलसी, चंदू दादा, प्रेम, अश्विरे और सागर की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने महिला नक्सली के आत्मसमर्पण की पुष्टि करते हुए बताया कि सुनीता से पूछताछ की जा रही है और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में विस्तृत जानकारी मीडिया से साझा की जाएगी।
सीएम ने बताया चेतावनी का असर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उसके आत्मसमर्पण को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उग्रवादियों को दी गई कड़ी चेतावनी का सकारात्मक परिणाम बताया। यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के तहत किसी नक्सली का यह पहला आत्मसमर्पण है। 1992 के बाद यह पहली बार है कि किसी अन्य राज्य के नक्सली ने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 महीनों में मध्य प्रदेश में 1.46 करोड़ रुपये के इनामी नक्सलियों का सफाया किया गया है।

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