MP: दूसरे गांव तक पैदल जाना पड़ता था मंदिर, इसीलिए वहां से मूर्ति ही उखाड़ लाया शख्स, गांव वालों ने दी ये सजा
MP: अब इसे चोरी कहें या कुछ और मगर जो कुछ इस शख्स ने किया उसने सभी को हैरत में डाल दिया। दरअसल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के अंतर्गत आने वाले गोराखार गांव में एक अजीब घटना घटी। यहां एक व्यक्ति ने पड़ोसी गांव के मंदिर से एक मूर्ति इसलिए उखाड़ ली क्योंकि उसे प्रतिदिन उस मंदिर तक पैदल जाना पड़ता था।

विस्तार
बैतूल से अनोखा मामाला सामने आया है। यहां एक शख्स ने मंदिर से इसलिए मूर्ति उखाड़ी क्योंकि उसे दूसरे गांव में पूजा करने के लिए जाना होता था। हालांकि, उसके इस कृत्य के लिए उसे एक अनोखी सजा दी गई।

दरअसल हुआ यूं कि गांव में नाग देवता का एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें सैंडस्टोन से बनी नागदेवता की प्रतिमा स्थापित है। शुक्रवार की रात पड़ोसी गांव के निवासी, कमलेश धोटे, ने उस प्रतिमा को उखाड़कर अपने साथ ले जाने की कोशिश की। जब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा, तो उसने बताया कि वह प्रतिमा को अपने गांव में स्थापित करना चाहता है ताकि उसे रोज़ दर्शन करने के लिए दूसरे गांव न जाना पड़े।
कमलेश ने मूर्ति को गांव ले जाने के बजाय रास्ते में ही छोड़ दिया। सुबह जब ग्रामीणों ने सड़क किनारे नाग देवता की प्रतिमा देखी, तो गांव में असंतोष फैल गया। पुलिस को बुलाया गया और बैतूल बाज़ार थाना पुलिस ने कमलेश को हिरासत में ले लिया, साथ ही ग्रामीणों से शिकायत दर्ज कराने को कहा। हालांकि, ग्रामीणों ने कमलेश को माफी मांगने का एक अवसर दिया। उन्होंने शर्त रखी कि अगर वह मूर्ति को अपने कंधे पर रखकर वापस मंदिर तक पहुंचाए और रविवार को अपने खर्चे पर प्रतिमा की पुनः प्राण प्रतिष्ठा कराए, तो उसे पुलिस के हवाले नहीं किया जाएगा।
कमलेश ने ग्रामीणों की बात मानी और प्रतिमा को कंधे पर रखकर वापस मंदिर तक पहुंचाया। इसके बाद, ग्रामीणों ने उसकी पुलिस शिकायत दर्ज नहीं कराई। बताया जा रहा है कि कमलेश नशे का आदी है, इसलिए ग्रामीणों ने उसके प्रति कड़ी सजा नहीं दी। ग्रामीण विक्की लिल्लोरे का कहना है कि कमलेश धोटे जो की बघोली ग्राम का निवासी है उसके द्वारा हमारे गांव के मंदिर से नाग देवता की मूर्ति को उखाड़ कर अपने गांव ले जाने का प्रयास किया मगर जब गांव के लोगों ने इस बारे में पूछा तो उसने प्रतिमा सड़क किनारे छोड़ दी, इसके बाद गांव वालों ने सजा के तौर पर उसे मूर्ति को कंधे पर रख कर मंदिर तक ले जाने और अपने खर्च पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवानी होगी ।